जीवन में हर किसी चीज़ का एक मोल है
कुछ नही है बेकार यहाँ और बेबस यहाँ
क्यूं समझते हो तुम ख़ुद को काम किसी से ए दोस्त
यहाँ हर एक शय अनमोल है
दूर गगन छिटका चाँद अपनी आभा बिखेर रहा
उसी आसीमित आसमान में तारो का गुल खिल रहा
आसमान पर खिल रहे हर तारे का अपना मोल है
एक एक तारे से ही चमकता आसमान चमकता चकोर है
खिल रहे हैं इस चमन में कितनी तरह के फूल यहाँ
हर फूल का है अपना रंग और उसमें हर रंग है खिल रहा
महकते से इन चमन को गुलिस्तान बनता हर फूल है
हर फूल की ख़ुश्बू से महकता पूरा चमन महकता फूल है
दूर तक फैला हुआ यह समुंदर अपनो रूप से सबको लुभा रहा
लहर-लहर करके सागर बनता और बढ़ता जा रहा
सीपी की कोख में पड़ी एक बूँद से बनताहै मोती यहाँ
बूँद -बूँद से बनता यह सागर का जीवन अनमोल है
इस जगत के जंगल में हर कोई अपनी छटा बिखेर रहा
हर किसी का जीवन कोई ना कोई अर्थ यहाँ दे रहा
ना समझो तुम ख़ुद को छोटा इस जहाँ के सामने
एक एक आदमी से यह दुनिया ही तो प्यार का एक बोल है
कोई नही बेकार और बेबस यहाँ हर एक शय अनमोल है
कुछ नही है बेकार यहाँ और बेबस यहाँ
क्यूं समझते हो तुम ख़ुद को काम किसी से ए दोस्त
यहाँ हर एक शय अनमोल है
दूर गगन छिटका चाँद अपनी आभा बिखेर रहा
उसी आसीमित आसमान में तारो का गुल खिल रहा
आसमान पर खिल रहे हर तारे का अपना मोल है
एक एक तारे से ही चमकता आसमान चमकता चकोर है
खिल रहे हैं इस चमन में कितनी तरह के फूल यहाँ
हर फूल का है अपना रंग और उसमें हर रंग है खिल रहा
महकते से इन चमन को गुलिस्तान बनता हर फूल है
हर फूल की ख़ुश्बू से महकता पूरा चमन महकता फूल है
दूर तक फैला हुआ यह समुंदर अपनो रूप से सबको लुभा रहा
लहर-लहर करके सागर बनता और बढ़ता जा रहा
सीपी की कोख में पड़ी एक बूँद से बनताहै मोती यहाँ
बूँद -बूँद से बनता यह सागर का जीवन अनमोल है
इस जगत के जंगल में हर कोई अपनी छटा बिखेर रहा
हर किसी का जीवन कोई ना कोई अर्थ यहाँ दे रहा
ना समझो तुम ख़ुद को छोटा इस जहाँ के सामने
एक एक आदमी से यह दुनिया ही तो प्यार का एक बोल है
कोई नही बेकार और बेबस यहाँ हर एक शय अनमोल है
14 comments:
बहुत अनमोल बातें बताई है रंजना जी,
इस जगत के जंगल में हर कोई अपनी छटा बिखेर रहा
हर किसी का जीवन कोई ना कोई अर्थ यहाँ दे रहा
ना समझो तुम ख़ुद को छोटा इस जहाँ के सामने
एक एक आदमी से यह दुनिया ही तो प्यार का एक बोल है
कोई नही बेकार और बेबस यहाँ हर एक शय अनमोल है
सीधी,सच्ची बात बिना तोड़-मरोड़ के...
बहुत अच्छा लगा,..
सुनीता(शानू)
यूं तो जहां में किस चीज की कमी है
अब किस को क्या मिला, ये मुककदर की बात है
रंजू जी,रचना बहुत अच्छी है आप ने ठीक कहा-
"जीवन में हर किसी चीज़ का एक मोल है
कुछ नही है बेकार यहाँ और बेबस यहाँ
क्यूं समझते हो तुम ख़ुद को काम किसी से ए दोस्त
यहाँ हर एक शय अनमोल है"
जो रोग डॉक्टरों की समझ में नहीं आता उसे 'एलर्जी' कह देते हैं। जिसे का मूल्य नहीं आँक पाते उसे 'अनमोल' कह देते हैं। वस्तुतः अनमोल ही बहुमूल्य है।
अच्छे भाव सजाये हैं, बधाई.
हर फूल का है अपना रंग...
सही कहा है आपने
प्राकृतिक सुंदरता का मनोरम वर्णन…क्या सुंदर भाव व्यक्त किए हैं…।
ऐसे तो कोई देखता ही नहीं इतने गौर से,मगर हर आँख में सिंधु हर सांस में फैली खुशबू है…।
shukriya sunita .....[:)]aage bhi aati rahe yahan par aapaka sawagat hai
bilkul sahi mohinder ji .....shukriya
shukriya bali ji aap yahan aaye aur isko padha ..[:)]
shukriya hariram ji ....sahi aur sachi baat kahi aapne ..aapka yahan sawagat hai ...
shukriya sameer ji
shukriya rakesh ji
shukriya divyabh ऐसे तो कोई देखता ही नहीं इतने गौर से,मगर हर आँख में सिंधु हर सांस में फैली खुशबू है…।
bahut khoob
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