Tuesday, June 05, 2007

लिखो कुछ ऐसे....


यूँ ही बैठे-बैठे जब पलटे अपनी डायरी के पन्ने
जाना तब मेरे दिल ने की कुछ अनकहा सा
कुछ अछूता सा ना जाने मेरी कविता
में क्या रह जाता है
प्यार और दर्द मे डूबा मनवा
ना जाने कितने गीत रोज़ लिख जाता है
पर क्यूं लगता है फिर भी सब कुछ अधूरा सा
कुछ कहने की ललक लिए दिल हर बार
कुछ का कुछ कह जाता है

दिल ने मेरे तब कहा मुझसे मुस्कारा के
कि जो दिल में है उमड़ रहा
वो दिल की बात लिखो
कुछ नयेपन से आज
एक नया गीत रचो
लिखो वही जो दिल सच मानता है
एक आग वो जिस में यह दिल
दिन रात सुलगता है ..

कहा उसने ------
लिखो कुछ ऐसा
जैसे फूलो की ख़ुश्बू से
महक उठती है फ़िज़ा सारी
दूर कहीं पर्वत पर जमी हुई बर्फ़ को
चमका देती है सूरज की पहली किरण कँवारी
या फिर पत्तो पर चमक उठती है सुबह की ओस की बूँद कोई
आँखो में भर देती है ताज़गी हमारी
या फिर तपती दोपहर में दे के छाया
कोई पेड़ राही की थकन उतारे सारी
लिखो पहली बारिश से लहलहा के फ़सल
दिल में उमंग भर देती है उजायरी
महकने लगती है मिट्टी उस पहली बारिश से
सोँधी -सोँधी उसकी ख़ुश्बू
जगाए दिल में प्रीत न्यारी
लिखो कुछ ऐसे जैसे हीर भी तुम
और रांझा भी तुम में ही है समाया हुआ
प्यार की पहली छुअन की सिरहन
जैसे दिल के तारो को जगा दे हमारी
या फिर याद करो अपने जीवन का सोलवाँ सावन
जब खिले थे आँखो में सपने तुम्हारे
और महक उठी थी तुम अपनी ही महक से
जैसे कोई नाज़ुक कली हो चटकी हो प्यारी प्यारी

सुन के मैं मन ही मन मुस्काई
और एक नयी उमंग से फिर कलम उठाई
रचा दिल ने एक नया गीत सुहाना
कैसा लगा आपको ज़रा हमे बताना ??:)

28 comments:

Tapashwani Kumar Anand said...

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भावनाए बचाती है हऱ मोड़ पऱ,
राह भी ये दिखाती झकझोर कर|

बहुत ख़ूब भावनाओं का संगम है जैसे:-

याद करो अपने जीवन का सोलवाँ सावन
जब खिले थे आँखो में सपने तुम्हारे

nayi rachna ke liye dher sari badhai|

tapashwani kumar anand

Sanjeet Tripathi said...

बहुत खूब!!!

Tushar Joshi said...

बहुत अच्छा लिखा है रंजना जी। शब्द बहोत ज्यादा हो गये, कहीं कहीं भाव खोया सा लगता है।

कविता का भाव सुंदर है।

ख्वाब है अफसाने हक़ीक़त के said...

bahut khoob. Ranjana ji. Aapki kalam se likhi gayi ye rachna bahut hi khubsurat ban padi hai. Saral shabdo ka prayog na sirf rachna ko sunder banata hai balki bhaavo ki abhivyakti ka sashakt maadhyam hai. Very nice.

Unknown said...

bahut khup laga ji :)

Unknown said...

It was such a fabulous poetry......i much apprecited ......in bottom of my heart i lov very much to all ur poems.....god knows what's the feelings r there.....thanks for send me....."Bhagwan aapki Kalam ko Jannat ki Ochaai de....ye dua hai meri......

With lots of thanks
Aditya

राजीव रंजन प्रसाद said...

लिखो वही जो दिल सच मानता है
एक आग वो जिस में यह दिल
दिन रात सुलगता है ..

दूर कहीं पर्वत पर जमी हुई बर्फ़ को
चमका देती है सूरज की पहली किरण कँवारी
या फिर पत्तो पर चमक उठती है सुबह की ओस की बूँद

बहुत सुन्दर रंजना जी

*** राजीव रंजन प्रसाद

Unknown said...

bahoot khoob mam aap ne to sare jajbaat....apni lekhnee ke sahare.....apni lekhan patheeka pe utaar deye hai.....behetreen......mam

Mohinder56 said...

जाना तब मेरे दिल ने की कुछ अनकहा सा
कुछ अछूता सा ना जाने मेरी कविता
में क्या रह जाता है
बताओ न क्या रह जाता है ??????????
दिल ने मेरे तब कहा मुझसे मुस्कारा के
कि जो दिल में है उमड़ रहा
वो दिल की बात लिखो
कुछ नयेपन से आज
एक नया गीत रचो
दिल ने बहुत सही कहा जी.. और आपने माना...........

रचा दिल ने एक नया गीत सुहाना
कैसा लगा आपको ज़रा हमे बताना ??:)

बहुत बढिया जी... क्वालिटी वाला है
मजा आ गया

दीपक भारतदीप said...

मन के भावों अच्छी तरह प्रस्तुत किया है-दीपक भारत दीप

Anupama said...

ab hum bhi diwaane hote jaa rahe hain aapke ;)

Udan Tashtari said...

लगा तो गीत वाकई में सुहाना
दिल का हाल है शब्दों में जाना
अब टिप्पणी करके क्या बतलाना.....


---बस वाह वाह किये देते हैं. बहुत खूब रही दास्तान.

ghughutibasuti said...

बहुत सुन्दर !
घुघूती बासूती

Unknown said...

behad behtar,aur dil ke karib hai.
bbehad khubsurat.

Divine India said...

जब चेहरा वह जो छुपा रहता है और तलाश नैनों में होता जाता है तो कविता आपकी अंगराई में लिपटकर बनाता तो है नित्य नये सबेरे में उस रोशनी को वह आभा को लेकिन अगर वह मिल भी जाए तो जिज्ञासा फिर भी नये चेहरे को ढूंढने निकल ही जाएगी…।

Anonymous said...

बहुत सुंदर रंजना जी। बहुत अच्छे भाव हैं - कविता में न जाने क्या रह जाता है- मन में कई प्रश्न उठा दिए हैं आपने।

रंजू भाटिया said...

bahut bahut shukriya tapashwani ..:)

रंजू भाटिया said...

shukriya sanjeet

रंजू भाटिया said...

shukriya tushar ji

रंजू भाटिया said...

shukriya deepak ...aapne itne pyaar se is rachna ko padha ..[:)]

रंजू भाटिया said...

shukriya swapana ji ...

रंजू भाटिया said...

shukriya aditya....aapka yah pyaar hi mujhe kuch naya likhne ka hosala deta hai ...

रंजू भाटिया said...

bahut bahut shukriya rajeev ji ...

रंजू भाटिया said...

shukriya shad ...

रंजू भाटिया said...

shukriya mohinder ji ....

रंजू भाटिया said...

shukriya deepak ji ..

रंजू भाटिया said...

shukriya anupama ...


shukiriya ..divyabhji ..rajesh ji ....

shukriya sameer..suman ji ..aur mired ji

Anju kakkar said...

"Maa" poem bahut achi thi ranju..

Anju Kakkar(yoga)...