Wednesday, May 16, 2007

कुछ अनमोल बातें


जीवन में हर किसी चीज़ का एक मोल है
कुछ नही है बेकार यहाँ और बेबस यहाँ
क्यूं समझते हो तुम ख़ुद को काम किसी से ए दोस्त
यहाँ हर एक शय अनमोल है

दूर गगन छिटका चाँद अपनी आभा बिखेर रहा
उसी आसीमित आसमान में तारो का गुल खिल रहा
आसमान पर खिल रहे हर तारे का अपना मोल है
एक एक तारे से ही चमकता आसमान चमकता चकोर है


खिल रहे हैं इस चमन में कितनी तरह के फूल यहाँ
हर फूल का है अपना रंग और उसमें हर रंग है खिल रहा
महकते से इन चमन को गुलिस्तान बनता हर फूल है
हर फूल की ख़ुश्बू से महकता पूरा चमन महकता फूल है

दूर तक फैला हुआ यह समुंदर अपनो रूप से सबको लुभा रहा
लहर-लहर करके सागर बनता और बढ़ता जा रहा
सीपी की कोख में पड़ी एक बूँद से बनताहै मोती यहाँ
बूँद -बूँद से बनता यह सागर का जीवन अनमोल है

इस जगत के जंगल में हर कोई अपनी छटा बिखेर रहा
हर किसी का जीवन कोई ना कोई अर्थ यहाँ दे रहा
ना समझो तुम ख़ुद को छोटा इस जहाँ के सामने
एक एक आदमी से यह दुनिया ही तो प्यार का एक बोल है
कोई नही बेकार और बेबस यहाँ हर एक शय अनमोल है

14 comments:

सुनीता शानू said...

बहुत अनमोल बातें बताई है रंजना जी,
इस जगत के जंगल में हर कोई अपनी छटा बिखेर रहा
हर किसी का जीवन कोई ना कोई अर्थ यहाँ दे रहा
ना समझो तुम ख़ुद को छोटा इस जहाँ के सामने
एक एक आदमी से यह दुनिया ही तो प्यार का एक बोल है
कोई नही बेकार और बेबस यहाँ हर एक शय अनमोल है
सीधी,सच्ची बात बिना तोड़-मरोड़ के...
बहुत अच्छा लगा,..
सुनीता(शानू)

Mohinder56 said...

यूं तो जहां में किस चीज की कमी है
अब किस को क्या मिला, ये मुककदर की बात है

परमजीत सिहँ बाली said...

रंजू जी,रचना बहुत अच्छी है आप ने ठीक कहा-

"जीवन में हर किसी चीज़ का एक मोल है
कुछ नही है बेकार यहाँ और बेबस यहाँ
क्यूं समझते हो तुम ख़ुद को काम किसी से ए दोस्त
यहाँ हर एक शय अनमोल है"

हरिराम said...

जो रोग डॉक्टरों की समझ में नहीं आता उसे 'एलर्जी' कह देते हैं। जिसे का मूल्य नहीं आँक पाते उसे 'अनमोल' कह देते हैं। वस्तुतः अनमोल ही बहुमूल्य है।

Udan Tashtari said...

अच्छे भाव सजाये हैं, बधाई.

राकेश खंडेलवाल said...

हर फूल का है अपना रंग...

सही कहा है आपने

Divine India said...

प्राकृतिक सुंदरता का मनोरम वर्णन…क्या सुंदर भाव व्यक्त किए हैं…।
ऐसे तो कोई देखता ही नहीं इतने गौर से,मगर हर आँख में सिंधु हर सांस में फैली खुशबू है…।

रंजू भाटिया said...

shukriya sunita .....[:)]aage bhi aati rahe yahan par aapaka sawagat hai

रंजू भाटिया said...

bilkul sahi mohinder ji .....shukriya

रंजू भाटिया said...

shukriya bali ji aap yahan aaye aur isko padha ..[:)]

रंजू भाटिया said...

shukriya hariram ji ....sahi aur sachi baat kahi aapne ..aapka yahan sawagat hai ...

रंजू भाटिया said...

shukriya sameer ji

रंजू भाटिया said...

shukriya rakesh ji

रंजू भाटिया said...

shukriya divyabh ऐसे तो कोई देखता ही नहीं इतने गौर से,मगर हर आँख में सिंधु हर सांस में फैली खुशबू है…।

bahut khoob