यह जीवन का सत्य है की हम अक्सर छोटी छोटी बातो के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण चीज़ो का सत्यनाश करते हैं .कुछ छोटे पल जो अक्सर दिली ख़ुशी दे के जाते हैं ..हम यूँ ही बेकार के लालच में गवां देते हैं .....कुछ उदारहण के माध्यम से इन बातो को आसानी से समझा जा सकता है ...
किसी गावं में एक बहुत ही स्मरिद्ध परिवार रहता था ..उस परिवार में दो बेटे थे ..अचानक एक दिन घर के मुखिया यानी की बाप का सवर्गवास हो गया ..अब बात आई बँटवारे की ....महीनो बीत गये पर बँटवारे की लिस्ट ना बन पाई ...जिस पर दोनो भाई सहमत होते ...""यह माँ के गले का हार तू कैसे लेगा ...यह तो माँ की हार्दिक इच्छा मेरी पत्नी को देने की थीई ..तुम दोनो से तो कभी उसकी बनी ही नही .,..या ...वह सबसे उपर का कमरा मैं तुझे कैसे दे डू ? मैं क्या नीचे वाले कमरे में घुट के मार जउं ..आदि आदि ..असी कई बातो पर रोज़ बेहास होती और कोई फैलसा ना हो पाता ....अंत में पाँचो के पासस जाने का फ़ेसला किया गया..की वोह जो कह देंगे वही माना जाएगा ...पाँचो ने जब यह सब सुना तो कहा की हम यहाँ पर पाँच ताले लगा रहे हैं ..फ़ैसला कल होगा ..सुन के दोनो भाइयों ने भी अपने दो ताले और लगा दिए ...अब दोनो भाई निश्चिंत हो गये की अब कोई अंदेर नही जा पाएगा और कल तोह फ़ैसला हो ही जाएगा .....पर रात को जो चुपके से घरो में घुसते हैं वोह भी इसी समाज़ के सदस्य हैं ...उनको भी तो अपना पेट भरना है ..और वोह तो कभी सीधे दरवाज़े से अंदर जाते ही नही ..यानी की चोर महराज़ जी ...सो वह पिछले दरवाज़े से घुसे और सारा घर साफ़ .....अब सूबेह जब पाँचो ने और दोनो भाईयों ने खुअला दरवाज़ा और सब सामान साफ़ देखा तोह हेरान परेशान ...पाँचो ने कहा अब ख़ाली कमरे हैं उन्ही को बाँट लो आपस में ..अब बडा भाई बोला की मुझे तोह मुँबई में नोकरी मिल गयी है मैं तो वहीं जा रहा हौन ...छोटे तुम्ही अब इन को सँभालो ...छोटा भाई बोला की आपके बगेर में अकेला क्या करूँगा ..आप शहर में धक्के खाए और में यहाँ आराम से राहू .मुझे तोह नर्क में भी जगह नही मिलेगी .....यह कह दोनो भाई एक दूसरे से लिपट गये ...पाँच हेराँ की यही पहले कर लेते तो इतना नुक़सान ना होता ....इस तरह से कई छोटी बातो को ले कर बड़ी चीज़ो का नुक़सान कर दिया जाता है .....
फ़ोर्ड मोटर कम्पनी के मालिक एक मामूली सा इंसान था ..अपनी मेहनत से वोह संसार का सबसे धन पति आदमी बना ...सारा जीवन उसने उसी धन को कामने में लगा दिया ...दुनिया की नज़र में वो सबसे सुखी आदमी माना जाता .पर जब एक दिन किसी ने उस से पूछा की आप तो बहुत सुखी होंगे ..आपके जीवन में किसी चीज़ का अभाव ही नही है ....तब फ़ोर्ड ने दुखी हो कर कहा की धन के अलावा मेरे पास सब अभाव ही अभाव है ....मैने सिर्फ़ धन कामाया ..पर कोई अच्छा दोस्त नही बना पाया ..अब यदि कोई बने तो वोह सच दोस्त नही होगा ....अब मेरा बुढ़ापा...बिना आची मित्रो के सूना है .आस पास सिर्फ़ अब ख़ुशमदी लोग ही इख़्हट्ठे किए जा सकते हैं सचे दोस्त नही ,,मैं इतना धन कमा के भी अकेला ही रह गया ...मैं धन के पिच्छे अपने जीवन के सुख के पल खो बेता ..और अब सब कुछ होते हुए भी अकेला ही हूँ ...फिर वही की छोटी बातो के आगे . जीवन के अच्छा वक़्त यूँ ही गवां दिया ...
दुर्योधन ने पाँच गाँव नही दिए पर अपना पूरा साम्राज्या ,पूरा वंश ,और अपना जीवन दे दिया .....कुमति के कारण हम छोटी छोटी बातो को ख़ुशियों को यूँ ही जाने देते है झूठी त्रिष्णा के पिच्छे भाग कर अपने जीवन के कई सूखो को खो बेत्ततें हैं ...ज़िन्दगी बहुत छोटी है में ज्यादा से ज्यादा खुशियाँ बटोर के किसी को बिना दुख पहुँचाए .हम अपना जीवन जी ले यही ज़िंदगी जीना सही अर्थो में कहलाएगा !!
किसी गावं में एक बहुत ही स्मरिद्ध परिवार रहता था ..उस परिवार में दो बेटे थे ..अचानक एक दिन घर के मुखिया यानी की बाप का सवर्गवास हो गया ..अब बात आई बँटवारे की ....महीनो बीत गये पर बँटवारे की लिस्ट ना बन पाई ...जिस पर दोनो भाई सहमत होते ...""यह माँ के गले का हार तू कैसे लेगा ...यह तो माँ की हार्दिक इच्छा मेरी पत्नी को देने की थीई ..तुम दोनो से तो कभी उसकी बनी ही नही .,..या ...वह सबसे उपर का कमरा मैं तुझे कैसे दे डू ? मैं क्या नीचे वाले कमरे में घुट के मार जउं ..आदि आदि ..असी कई बातो पर रोज़ बेहास होती और कोई फैलसा ना हो पाता ....अंत में पाँचो के पासस जाने का फ़ेसला किया गया..की वोह जो कह देंगे वही माना जाएगा ...पाँचो ने जब यह सब सुना तो कहा की हम यहाँ पर पाँच ताले लगा रहे हैं ..फ़ैसला कल होगा ..सुन के दोनो भाइयों ने भी अपने दो ताले और लगा दिए ...अब दोनो भाई निश्चिंत हो गये की अब कोई अंदेर नही जा पाएगा और कल तोह फ़ैसला हो ही जाएगा .....पर रात को जो चुपके से घरो में घुसते हैं वोह भी इसी समाज़ के सदस्य हैं ...उनको भी तो अपना पेट भरना है ..और वोह तो कभी सीधे दरवाज़े से अंदर जाते ही नही ..यानी की चोर महराज़ जी ...सो वह पिछले दरवाज़े से घुसे और सारा घर साफ़ .....अब सूबेह जब पाँचो ने और दोनो भाईयों ने खुअला दरवाज़ा और सब सामान साफ़ देखा तोह हेरान परेशान ...पाँचो ने कहा अब ख़ाली कमरे हैं उन्ही को बाँट लो आपस में ..अब बडा भाई बोला की मुझे तोह मुँबई में नोकरी मिल गयी है मैं तो वहीं जा रहा हौन ...छोटे तुम्ही अब इन को सँभालो ...छोटा भाई बोला की आपके बगेर में अकेला क्या करूँगा ..आप शहर में धक्के खाए और में यहाँ आराम से राहू .मुझे तोह नर्क में भी जगह नही मिलेगी .....यह कह दोनो भाई एक दूसरे से लिपट गये ...पाँच हेराँ की यही पहले कर लेते तो इतना नुक़सान ना होता ....इस तरह से कई छोटी बातो को ले कर बड़ी चीज़ो का नुक़सान कर दिया जाता है .....
फ़ोर्ड मोटर कम्पनी के मालिक एक मामूली सा इंसान था ..अपनी मेहनत से वोह संसार का सबसे धन पति आदमी बना ...सारा जीवन उसने उसी धन को कामने में लगा दिया ...दुनिया की नज़र में वो सबसे सुखी आदमी माना जाता .पर जब एक दिन किसी ने उस से पूछा की आप तो बहुत सुखी होंगे ..आपके जीवन में किसी चीज़ का अभाव ही नही है ....तब फ़ोर्ड ने दुखी हो कर कहा की धन के अलावा मेरे पास सब अभाव ही अभाव है ....मैने सिर्फ़ धन कामाया ..पर कोई अच्छा दोस्त नही बना पाया ..अब यदि कोई बने तो वोह सच दोस्त नही होगा ....अब मेरा बुढ़ापा...बिना आची मित्रो के सूना है .आस पास सिर्फ़ अब ख़ुशमदी लोग ही इख़्हट्ठे किए जा सकते हैं सचे दोस्त नही ,,मैं इतना धन कमा के भी अकेला ही रह गया ...मैं धन के पिच्छे अपने जीवन के सुख के पल खो बेता ..और अब सब कुछ होते हुए भी अकेला ही हूँ ...फिर वही की छोटी बातो के आगे . जीवन के अच्छा वक़्त यूँ ही गवां दिया ...
दुर्योधन ने पाँच गाँव नही दिए पर अपना पूरा साम्राज्या ,पूरा वंश ,और अपना जीवन दे दिया .....कुमति के कारण हम छोटी छोटी बातो को ख़ुशियों को यूँ ही जाने देते है झूठी त्रिष्णा के पिच्छे भाग कर अपने जीवन के कई सूखो को खो बेत्ततें हैं ...ज़िन्दगी बहुत छोटी है में ज्यादा से ज्यादा खुशियाँ बटोर के किसी को बिना दुख पहुँचाए .हम अपना जीवन जी ले यही ज़िंदगी जीना सही अर्थो में कहलाएगा !!
15 comments:
सुन्दर नीतिपरक कथा..
अच्छा लेख है. सभी चीजों के सामन्जस्य के साथ जीवन ज्यादा महत्वपूर्ण है.
रंजना दी... बहुत अच्छा लगा पढ कर...
बहुत अच्छा िलखा है आप्ने... :)
जब नाश मनुज पर छाता,पहले विवेक मर जाता हैकहते हैं हमारा संघर्ष खुद हमारे मस्तिष्क से होता है…।
बहुत सुंदर ज्ञान की बात क्योंकि कुछ नया पढ्ने को अब यहाँ मिल रहा है…। :) :)
shukriya abhay....[:)]
shukriya samir ....sahi kaha aapane ...
shukriya shikha ...tumhe yahan dekh ke bahut khushi hui mujhe [:)]
shukriya divyabh ..aapka yahan aana bahut hi aur is k padhana bahut achha lagata hai ...yun hi hosala dete rahe ...tahe dil se aapka shukriya ...
ranju sach kaha.....
akser hum bari cheezo ko paane mein choti cheezo ko raundte chale jaate hai.......
aur baad mein unke liye sirf haath malte rah jaate hai.....
i cant find a reason why god gave u to me, but that is not the question to ba asked. may be thequestion is how did god knew that i needed a frieng like u pankaj
hi pankaj ...bahut bahut shukriya aapka ..:)
पढ़ कर अच्छा लगा।
shukriya unmukat ji ....[:)]
पढ कर अच्छा लगा ... जारी रखिये.
बेवफ़ा said...
पढ कर अच्छा लगा ... जारी रखिये.
shukriya ji aapka bahut bahut
Post a Comment