दिल मेरा बन के बंज़ारा कहाँ कहाँ से ना गुज़रा
हर एक रिश्ता ज़िंदगी का एक दास्तान बन के गुज़रा
आती रही हिचकियाँ हमे तमाम रात
दिल में फिर से किसी का याद का बादल था उतरा
फिर से बहलया हमने अपने दिल को दे के झूठी तसलियाँ
पर यह किसा भी सिर्फ़ मासूम दिल को बहलाने का सबब निकाला
ना मिलेगा सकुन कभी मेरी इस भटकती रूह को
जो भी गुज़रा मेरे दिल कि गली से एक दर्द नया दे के गुज़रा !!
हर एक रिश्ता ज़िंदगी का एक दास्तान बन के गुज़रा
आती रही हिचकियाँ हमे तमाम रात
दिल में फिर से किसी का याद का बादल था उतरा
फिर से बहलया हमने अपने दिल को दे के झूठी तसलियाँ
पर यह किसा भी सिर्फ़ मासूम दिल को बहलाने का सबब निकाला
ना मिलेगा सकुन कभी मेरी इस भटकती रूह को
जो भी गुज़रा मेरे दिल कि गली से एक दर्द नया दे के गुज़रा !!
4 comments:
वाह वाह्..
दीवाने दिल की सदा यही है
खुशियाँ बाँट ली और ग़म तन्हा सहे
हम से दीवाने तो बस यूं ही जिया करते हैं
अच्छी कविता है।
घुघूती बासूती
भाव अच्छे हैं.
Di ya ... bahut accha laga aap ki khud ki ek e-book dekh ke.
tosha
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