Friday, February 09, 2007

माँ के जाने के बाद


इक सन्नटा सा कमरे में फैला था
माँ के वाजूद से यह घर हरा भरा था
उसकी की हुई दुआओ से यह घर अभी भी महक रहा था
अभी भी जैसे उसकी मुस्कान का घर पर पहरा था
अभी भी उसके ख़ामोश होंठो पर सबके लिए दुआएं थी
बच्चो को दुख सेहने की शक्ति ...
पति के लिए हर बाला से टकराने की तमन्नाएँ थी
हर आरज़ू जैसे बंद आँखो से अभी भी पुकार रही थी
तुम सब हँसते खेलते स्वस्थ रहो ..
यह दुआ वोह बंद दिल की धड़कनो से भी माँग रही थी
जीते जी उसके कभी हम ना समझ पाए उसकी प्यार की आवाज़ को
आज मर के भी वोह सबको अपने में समेटे दुलार रही थी!!

13 comments:

ghughutibasuti said...

सुन्दर ! माँ कुछ प्राणी ही ऐसी होती है ।
घुघूती बासूती
ghughutibasuti.blogspot.com

Divine India said...

शायद ईश्वर भी माँ की करुणा पाने के लिए ही अवतरीत होते हैं…माँ, माँ होती है न तो किसी उपमा की ललक न जीने की…बस पुत्रों में ही ढूढती है अपने जीने के उद्देश्य…अच्छा है…।

surjit singh said...

Very touching poem.You have a strong writing power.My good wishes.
http://gurushabad1.blogspot.com

Anonymous said...

माँ

Manisha Bhatra said...

har pankti har shabd dil ko choote hai ranjana ji ,aap ke shabdo me jaado hota hai
maa hoti hi aise hai

जीते जी उसके कभी हम ना समझ पाए उसकी प्यार की आवाज़ को
आज मर के भी वोह सबको अपने में समेटे दुलार रही थी!! ......

रंजू भाटिया said...

shukriya aapka ghughuti ji ..aapka aana aur is rachna ko padhana sach bahut accha laga ...aage bhi aapke vichaaro ko jaanane ki abhilasha rahegi !!

रंजू भाटिया said...

shukriya divyabh ....maa jaisa duniya mein kuch nahi hota.sach mein

रंजू भाटिया said...

shukriya surjit ..yahan aa ke isko padane ka

रंजू भाटिया said...

shukriya manisha ....

रंजू भाटिया said...

shukriya ...maa lafaz hi dil ki har baat keh deta hai !!

Unknown said...

hello mam
am not good with language
but time to time i read and understand your writings
have great day
kalyan

रंजू भाटिया said...

shukriya kalyaan ...raju ...aap yahan aaye aur isko padha ...pasand kiya ...

Atul Chauhan said...

जीते जी उसके कभी हम ना समझ पाए उसकी प्यार की आवाज़ को
आज मर के भी वोह सबको अपने में समेटे दुलार रही थी!! ......


वाकई हकीकत है। आदमी को मां-बाप का प्यार उन्हें खोने के बाद ही पता चलता है…………।