बदली यह हवा है यह बदला मेरे दिल का आलम है
दिल के हर कोने में बस मुस्कराता हुआ सा तू बस गया
पिघला है यह आसमान या फिर घुला है रंग तेरे प्यार का
आज यह समा गुलाबी रंगत में कैसे निखर गया
नये- नये से खिले- खिले से कुछ लगते हैं एहसास अपने
या तू मेरे ख्वाबो की तबीर में आ के फिर से ढल गया
मचल लेने दे आज मुझे अपने पहलू में सनम
कि आज तेरी नज़रो से मेरे दिल में फिर से कोई कमल खिल गया!!
मिलेगा इस तड़पती रूह को और सकुन तब ही
जब तेरे प्यार की बारिश में यह तन मन मेरा जल गया !!
दिल के हर कोने में बस मुस्कराता हुआ सा तू बस गया
पिघला है यह आसमान या फिर घुला है रंग तेरे प्यार का
आज यह समा गुलाबी रंगत में कैसे निखर गया
नये- नये से खिले- खिले से कुछ लगते हैं एहसास अपने
या तू मेरे ख्वाबो की तबीर में आ के फिर से ढल गया
मचल लेने दे आज मुझे अपने पहलू में सनम
कि आज तेरी नज़रो से मेरे दिल में फिर से कोई कमल खिल गया!!
मिलेगा इस तड़पती रूह को और सकुन तब ही
जब तेरे प्यार की बारिश में यह तन मन मेरा जल गया !!
11 comments:
अच्छा लिखा है .. पर कुछ कमी रह गई .. तुफ़ान के मचल जाने में.. पता नहीं क्यूं.. पर कुछ और तङप चाहिये थी मुझे..
रचना और चित्र दोनों सुन्दर हैं ।
शुक्रिया मान्या ...तड़प और ...?
यह बेताबियाँ है दिल की इसे और ना तडपाओ
आ के पास बेतो मेरे पहलू में
कुछ कहो और कुछ सुन जाओ !!:)
शुक्रिया प्रभाकर .....:)
दिल के मचलने का क्या कहें।
बहुत शोर सुना करते थे पहलू में दिल का,चीरा तो कतरा-ए-खूं निकला।
बहुत खुब कहा!! दिल से एक आवाज आती है,
खुली चाँदनी पट से तेरी हर साज आती है,
फिर भी मैखाने पर मैं चला जाता हूँ किसलिये
क्या वहाँ तुम्हारी रुह मुझे नहीं पुकारती है!!!
रचना तो श्रेष्ठ है, पर अंतिम लाईन मैं लिखता तो --"प्यार की बारिश में तन-मन मेरा खिल उठा" क्यों!!!इसलिए की इतनी सुंदर और पुनीत रचना में "काम" की दृष्टि नहीं होनी चाहिए!जल उठा यही संकेत कर रहा है…।
sahi kaha shrish ...shukriya dil se:)
दिल से एक आवाज आती है,
खुली चाँदनी पट से तेरी हर साज आती है,
फिर भी मैखाने पर मैं चला जाता हूँ किसलिये
क्या वहाँ तुम्हारी रुह मुझे नहीं पुकारती है!!!
bahut khoob divyabh ....shayad kuch soch mein fark aa gaya .maine sirf prem ke ek roop ko in lines mein dikahane ki koshish ki thee ..shukriya aapka tahe dil se :)
दिल के लुटने का सबब पूछो न सबके सामने
नाम आयेगा तुम्हारा, ये कहानी फिर सही
.........मेरा दिल मचल गया त मेरा क्या कसूर है ... हा हा
SHUKRIYA MOHINDER JI ....SACH MEIN DILK MACHAL GAYA .TOH KISI KA KYA KASUR HAI [:)]
Nicely said....
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