https://youtu.be/ZPwXbLB8nCU
माँ ..आज उनकी पुण्य तिथि पर ..9 जुलाई 1975
दीवाली के रोशन दीयों की तरह
मैंने तुम्हारी हर याद को
अपने ह्रदय के हर कोने में
संजों रखा है
आज भी सुरक्षित है
मेरे पास तुम्हारा लिखा
वह हर लफ्ज़
जो खतों के रूप में
कभी तुमने मुझे भेजा था
आशीर्वाद के
यह अनमोल मोती
आज भी मेरे जीवन के
दुर्गम पथ को
राह दिखाते हैं
आज भी रोशनी से यह
जगमगाते आखर और
नसीहत देती
तुम्हारी वह उक्तियाँ
मेरे पथ प्रदर्शक बन जाते हैं
और तुम्हारे साथ -साथ
चलने का
एक मीठा सा एहसास
मुझ में भर देते हैं ..
https://youtu.be/ZPwXbLB8nCU
10 comments:
आदरणीया, बहुत सुंदर भावप्रवण रचना
धन्यवाद जी
माँ को नमन । अपने मन में रचा बसा एहसास बहुत खूबसूरती से शब्दों में पिरोया है ।
सादर नमस्कार ,
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (10-7-22) को "बदलते समय.....कच्चे रिश्ते...". (चर्चा अंक 4486) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है,आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी।
------------
कामिनी सिन्हा
सादर नमस्कार ,
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (10-7-22) को "बदलते समय.....कच्चे रिश्ते...". (चर्चा अंक 4486) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है,आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी।
------------
कामिनी सिन्हा
माँ के शब्द मन में सदा प्रतिध्वनित रहते हैं ,भूलजाना संभव ही नहीं.
"माँ कभी खत्म नहीं होती" कविता का शीर्षक ही हृदय को छूने वाला है। यह एक विचार अपने आप में संपूर्ण उपन्यास है। एक सुंदर भावपूर्ण रचना के लिए आपको बहुत-बहुत बधाईयाँ और शुभकामानएँ।सादर।
हृदयस्पर्शी सृजन।
सादर
बहुत सुंदर हृदय स्पर्शी सृजन।
बहुत सुन्दर
Post a Comment