Saturday, July 09, 2022

मां कभी खत्म नहीं होती


https://youtu.be/ZPwXbLB8nCU

 माँ ..आज उनकी पुण्य तिथि पर ..9 जुलाई 1975



दीवाली के रोशन दीयों की तरह

मैंने तुम्हारी हर याद को

अपने ह्रदय के हर कोने में

संजों रखा है


आज भी सुरक्षित है

मेरे पास तुम्हारा लिखा

वह हर लफ्ज़

जो खतों के रूप में

कभी तुमने मुझे भेजा था


आशीर्वाद के

यह अनमोल मोती

आज भी मेरे जीवन के

दुर्गम पथ को

राह दिखाते हैं

आज भी रोशनी से यह

जगमगाते आखर और

नसीहत देती

तुम्हारी वह उक्तियाँ

मेरे पथ प्रदर्शक बन जाते हैं

और तुम्हारे साथ -साथ

चलने का

एक मीठा सा एहसास

मुझ में भर देते हैं ..

https://youtu.be/ZPwXbLB8nCU


10 comments:

Marmagya - know the inner self said...

आदरणीया, बहुत सुंदर भावप्रवण रचना

रंजू भाटिया said...

धन्यवाद जी

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

माँ को नमन । अपने मन में रचा बसा एहसास बहुत खूबसूरती से शब्दों में पिरोया है ।

Kamini Sinha said...

सादर नमस्कार ,

आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (10-7-22) को "बदलते समय.....कच्चे रिश्ते...". (चर्चा अंक 4486) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है,आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी।
------------
कामिनी सिन्हा


Kamini Sinha said...

सादर नमस्कार ,

आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (10-7-22) को "बदलते समय.....कच्चे रिश्ते...". (चर्चा अंक 4486) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है,आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी।
------------
कामिनी सिन्हा


प्रतिभा सक्सेना said...

माँ के शब्द मन में सदा प्रतिध्वनित रहते हैं ,भूलजाना संभव ही नहीं.

Vocal Baba said...

"माँ कभी खत्म नहीं होती" कविता का शीर्षक ही हृदय को छूने वाला है। यह एक विचार अपने आप में संपूर्ण उपन्यास है। एक सुंदर भावपूर्ण रचना के लिए आपको बहुत-बहुत बधाईयाँ और शुभकामानएँ।सादर।

अनीता सैनी said...

हृदयस्पर्शी सृजन।
सादर

मन की वीणा said...

बहुत सुंदर हृदय स्पर्शी सृजन।

Onkar said...

बहुत सुन्दर