स्पर्श (लघुकथा)
" यह बच्चे हमारे पास भगवान का रूप है मिसेज सिन्हा , आप इन में से एक भी ले जायेंगी तो यह आपको दुआ देंगे , न जाने कौन कठोर हृदय इंसान है , जो इन नन्ही रूहों को यहाँ छोड़ जाते हैं । आप जैसी कुछ पुण्य आत्माएं इनका जीवन संवार देती है "।
अनाथ आश्रम का संचालक धाराप्रवाह मिसेज सिन्हा से बोले जा रहा था । "आप मुझ पर भरोसा रखे मैं इस बच्चे को अपने बच्चे की तरह ही रखूंगी , आप बस जल्दी से सभी कागजी कार्यवाही पूरी कर दीजिये । वैसे ही बहुत वक़्त लगा दिया है हमारे देश के कानून ने । यह अब अमेरिका में पलेगा बढेगा कम बात है क्या ? और उन्होंने नन्हे "मोहित "को गहरी नज़रों से देखा , जो अभी महज १० साल का था , और उत्सुकता से यह सब सुन रहा रहा था । उसको बता दिया गया था कि उसके नए माँ बाप उसको दूर देश ले जायेंगे और वहां खूब पढ़ाएंगे ।
सब कार्य होते ही वह नयी माँ उसको बड़ी सी कार की तरफ ले गयी । ख़ुशी से मोहित के जैसे पर निकल आये थे , आखिर उसके भी दुःख भरे दिन समाप्त हुए । घर पहुँचते ही अभी वह घर को निहार ही रहा था कि एक जोर की थाप उसकी पीठ पर पड़ी ," चल यही खड़ा रहेगा क्या ,और उस थाप ने उसको आने वाले भविष्य के बारे में बता दिया ,आखिर अनाथ होते हुए वह इन " "स्पर्शों "की पहचान से अच्छी तरह से वाकिफ हो गया था !!
17 comments:
आखिर की पंक्ति ने सांस रोक दी,सच कैसे कैसे निर्दयता देखने सुनने को मिलती हैं। हृदय स्पर्शी कधा रंजू जी 🙏
भारत मे अनाथ बच्चो की सुरक्षा के नाम पर कागजी कार्रवाई तो बहुत है लेकिन लेकिन वास्तविक काम कुछ नही ।
शुक्रिया 😘🙏
सही कहा आपने
ओह , घर चाहे जितना बड़ा हो ,ऐसे लोगों कामन छोटा ही रहता है । लग रहा जैसे गुलाम प्रथा अभी भी खत्म नहीं हुई । पहले मंडी लगा करती थी अब अनाथाश्रम हो गए हैं । ऐसी थाप का स्पर्श पहचानना ..... मर्मस्पर्शी लघु कथा ।
दिल को छूती रचना।
आपकी लिखी रचना सोमवार 18 जुलाई 2022 को
पांच लिंकों का आनंद पर... साझा की गई है
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
संगीता स्वरूप
आपकी लिखी रचना सोमवार 18 जुलाई 2022 को
पांच लिंकों का आनंद पर... साझा की गई है
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
संगीता स्वरूप
अनाथ बच्चों के दर्द और उनके अंधकारमय भविष्य को दर्शाती यह सार्थक लघुकथा पसंद आयी।आपको बहुत-बहुत शुभकामनायें और बधाईयाँ।
मर्मस्पर्शी लघुकथा ।
व्वाहहहहहह
सादर
एक मर्मांतक अभिव्यक्ति जिसकी चोट भीतर तक झझकोर गई 🙏🙏😔
दिल को छूती बहुत ही मार्मिक लघुकथा ।
अपने स्वार्थ में अंधे लोग कितने क्रूर हो जाते हैं न। मानवता,संवेदनशीलता ऐसे में कोरी गप्प लगने लगती है।
समाज के मुखौटाधारी वर्ग का सच उघारकर रख दिया आपने।
संदेशयुक्त अच्छी कहानी।
सादर।
ओह ! आखिरी पंक्तियाँ मन को हिला गईं।मार्मिक विषय पर लिखी गई सुंदर संवेदनशील लघुकथा ।
दिल को चीर गई आपकी यह रचना।
आप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद
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