
1: )आतंक के हाथ
क़ानून से ज्यादा लंबे हैं
जो ख़ास सुरक्षा मिलने पर भी
मौका मिलते ही
धमाका कर जाते हैं
और लिखने वाले के हाथ
अभी भी बंधे हैं
जो आजाद होते हुए भी
इंसानो से ड़र जाते हैं !!
2:)सुनो ,
आज कुछ लफ्ज़ दे दो मुझे
ना जाने मेरी कविता के
सब मायने...
कहाँ खो गये हैं?
मेरे अपने लिखे लफ्ज़ अब
ना जाने क्यों ....
बेमानी से हो गये हैं
दिखते हैं अब सिर्फ़ इसमें
विस्फोटक ,बलात्कार, भ्रष्टाचार
और कुछ डरे सहमे से शब्द
जो मुझे किसी ,
कत्लगाह से कम नही दिखते
हो सके तो दे देना
अब मुझे
विश्वास और प्यार के वो लफ्ज़
जो मेरे देश की
पावन मिटटी की
खुशबु थे कभी!!
एक सवाल आज एक साल बाद यह सब करने वाले कसाव के दिल में क्या चल रहा होगा ? क्या कुछ शर्मसार होगा ॥? या ..?