Monday, December 12, 2022

मुस्कान

 


कोई भी" दर्द "

मारता है 'तिल तिल 

फैलता है ,होले से 

और विदा होने से पहले 

वसूलता है ....

अपने रहने "का हर दाम 

कभी लफ़्ज़ों में ,

कभी कहानियों में

कभी किस्सों में 

और कभी "नम आँखों की बारिश में "

हर दाम चुकाने के बाद ही देता है "मुस्कान" किश्तों में धीरे धीरे !

#रंजूभाटिया

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