कोई भी" दर्द "
मारता है 'तिल तिल
फैलता है ,होले से
और विदा होने से पहले
वसूलता है ....
अपने रहने "का हर दाम
कभी लफ़्ज़ों में ,
कभी कहानियों में
कभी किस्सों में
और कभी "नम आँखों की बारिश में "
हर दाम चुकाने के बाद ही देता है "मुस्कान" किश्तों में धीरे धीरे !
#रंजूभाटिया
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