Wednesday, August 17, 2022

मीरा को राधा कर दो


 जिस को देखूं साथ तुम्हारे

मुझ को राधा दिखती है

दूर कहीं इक मीरा बैठी

गीत तुम्हारे लिखती है

तुम को सोचा करती है

आँखों में  पानी भरती है 

उन्ही अश्रु की स्याही से 

लिख के खुद ही पढ़ती है

यूँ ही पूजा करते करते

कितने ही युग बीत गये

 बंद पलकों में ही न जाने

 कितने जीवन रीत गये

 खोलो नयन अब अपने कान्हा 

पलकों में तुम को भरना है

पूजा जिस भाव  से तुम्हे

 उसी से प्रेम अब तुमसे करना है

आडा तिरछा भाग्य है युगों से

तुम इसको सीधा साधा कर दो

अब तो सुधि लो  मेरे कान्हा

मीरा को "राधा "कर दो

हाथ थाम लो 

अब तो कृष्णा 

इस भव सागर से

 पार तुम कर दो ।


हरे कृष्ण हरे राम

6 comments:

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

सुंदर प्रस्तुति । लेकिन मीरा को राधा कर दिया तो राधा कहाँ जाएगी ? 😄
वैसे कृष्ण तो सबके हैं ।

Ravindra Singh Yadav said...

आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर गुरुवार 18 अगस्त 2022 को लिंक की जाएगी ....

http://halchalwith5links.blogspot.in
पर आप सादर आमंत्रित हैं, ज़रूर आइएगा... धन्यवाद!

!

Onkar Singh 'Vivek' said...

वाह वाह! मार्मिक अभिव्यक्ति।

Abhilasha said...

वाह बहुत ही सुन्दर रचना

अनीता सैनी said...

बहुत ही सुंदर सृजन।
हृदयस्पर्श भाव।
कृष्ण जन्माष्टमी की शुभकामनाएँ एवं बधाई ।

Bharti Das said...

बहुत बढियां सृजन