रुख ज़िन्दगी का
जिस तरफ़ देखो उस तरफ़ है
भागम भाग
हर कोई अपने में मस्त है
कैसी हो चली है यह ज़िन्दगी
एक अजब सी प्यास हर तरफ है
जब कुछ लम्हे लगे खाली
तब ज़िन्दगी मेरी तरफ़
रुख करना
खाना पकाती माँ
क्यों झुंझला रही है
जलती बुझती चिंगारी सी
ख़ुद को तपा रही है
जब उसके लबों पर
खिले कोई मुस्कराहट
ज़िन्दगी तब तुम भी
गुलाबों सी खिलना
पिता घर को कैसे चलाए
डूबे हैं इसी सोच को ले कर
किस तरह सब को मिले सब कुछ बेहतर
इसी को सोच के घुलते जा रहे हैं
जब दिखे वह कुछ अपने पुराने रंग में
हँसते मुस्कराते जीवन से लड़ते
तब तुम भी खिलखिला के बात करना
ज़िन्दगी तब मेरी तरफ़ रुख करना
बहन की ज़िन्दगी उलझी हुई है
चुप्पी और किसी दर्द में डूबी हुई है
याद करती है अपनी बचपन की सहेलियां
धागों सी उलझी है यह ज़िन्दगी की पहेलियाँ
उसकी चहक से गूंज उठे जब अंगना
तब तुम भी जिंदगी चहकना
तब मेरी तारा तुम भी रुख करना
भइया अपनी नौकरी को ले कर उलझा है
जाने अब कौन सा काम कहाँ अटका है
हाथ के साथ है जेब भी खाली
फ़िर भी आँखों में हैं
एक दुनिया उम्मीद भरी
जब यह उम्मीद सच बन कर
झलके
तब तुम भी दीप सी दिप दिप जलना
ज़िन्दगी तुम इधर तब रुख करना
नन्हा सा बच्चा
हेरान है सबको भागता दौड़ता देख कर
जब यह सबकी हैरानी से उभरे
मस्त ज़िन्दगी की राह फ़िर से पकड़े
तब तुम इधर का रुख करना
ज़िन्दगी अपने रंगों सी खूब तुम खिलना
जिस तरफ़ देखो उस तरफ़ है
भागम भाग
हर कोई अपने में मस्त है
कैसी हो चली है यह ज़िन्दगी
एक अजब सी प्यास हर तरफ है
जब कुछ लम्हे लगे खाली
तब ज़िन्दगी मेरी तरफ़
रुख करना
खाना पकाती माँ
क्यों झुंझला रही है
जलती बुझती चिंगारी सी
ख़ुद को तपा रही है
जब उसके लबों पर
खिले कोई मुस्कराहट
ज़िन्दगी तब तुम भी
गुलाबों सी खिलना
पिता घर को कैसे चलाए
डूबे हैं इसी सोच को ले कर
किस तरह सब को मिले सब कुछ बेहतर
इसी को सोच के घुलते जा रहे हैं
जब दिखे वह कुछ अपने पुराने रंग में
हँसते मुस्कराते जीवन से लड़ते
तब तुम भी खिलखिला के बात करना
ज़िन्दगी तब मेरी तरफ़ रुख करना
बहन की ज़िन्दगी उलझी हुई है
चुप्पी और किसी दर्द में डूबी हुई है
याद करती है अपनी बचपन की सहेलियां
धागों सी उलझी है यह ज़िन्दगी की पहेलियाँ
उसकी चहक से गूंज उठे जब अंगना
तब तुम भी जिंदगी चहकना
तब मेरी तारा तुम भी रुख करना
भइया अपनी नौकरी को ले कर उलझा है
जाने अब कौन सा काम कहाँ अटका है
हाथ के साथ है जेब भी खाली
फ़िर भी आँखों में हैं
एक दुनिया उम्मीद भरी
जब यह उम्मीद सच बन कर
झलके
तब तुम भी दीप सी दिप दिप जलना
ज़िन्दगी तुम इधर तब रुख करना
नन्हा सा बच्चा
हेरान है सबको भागता दौड़ता देख कर
जब यह सबकी हैरानी से उभरे
मस्त ज़िन्दगी की राह फ़िर से पकड़े
तब तुम इधर का रुख करना
ज़िन्दगी अपने रंगों सी खूब तुम खिलना
7 comments:
सार्थक रचना
एक ही कविता में सबका दर्द आपने समेट दिया। बहुत सुंदर रचना।
मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है।
iwillrocknow.com
वाह!!बहुत खूब!!यही जिंदगी है ...
जीवन का सार्थक पहलू प्रदर्शित करती सहज रचना।
जीवन के विभिन्न रूपों की बहुत प्रभावी अभिव्यक्ति।
बेहतरीन
जिस तरफ़ देखो उस तरफ़ है
भागम भाग .....
हर कोई अपने में मस्त है
कैसी हो चली है यह ज़िन्दगी
सादर....
बहुत सुन्दर
Post a Comment