अमृता प्रीतम के इन खतों को जब जब पढ़ा है लिखा है इन शब्दों ने उन दिलों को छुआ है जो जानते हैं कि असल में प्रेम के अर्थ क्या है ।हर बार इन खतों को पढ़ती हूँ और नए अर्थ पाती हूँ फिर आप सब के साथ सांझा कर देती हूँ । हर पढने वाले को यह लिखे लफ्ज़ अपने दिल की आवाज़ लगते हैं और मेरे लिखने का उत्साह बढ़ जाता है ।शुक्रिया आप सभी दोस्तों का इस सफर का हमसफ़र बनने के लिए ।आज उनका लिखा एक और यादगार ख़त चंद लफ़्ज़ों में @रंजू भाटिया
जीती!
यह मेरी ज़िन्दगी की सड़क कैसी है,जिसके सारे मील के पत्थर हादसों के बने हुए हैं ।तुम थे तो घर नहीं था ।आज घर है तो तुम नहीं हो थोड़े से मीलो की दूरी होती है ,पर एक कानून की छोटी सी मोहर उसे दूसरी दुनिया की दूरी बना देती है ।मैं अजीब तरह से परेशान हूँ और ऐसा लग रहा है जैसे यह बेचनी मेरी उम्र जितनी लम्बी है ,या मेरी उम्र का नाम ही बैचनी है ।
29 .3.62
आशी
जीती!
यह मेरी ज़िन्दगी की सड़क कैसी है,जिसके सारे मील के पत्थर हादसों के बने हुए हैं ।तुम थे तो घर नहीं था ।आज घर है तो तुम नहीं हो थोड़े से मीलो की दूरी होती है ,पर एक कानून की छोटी सी मोहर उसे दूसरी दुनिया की दूरी बना देती है ।मैं अजीब तरह से परेशान हूँ और ऐसा लग रहा है जैसे यह बेचनी मेरी उम्र जितनी लम्बी है ,या मेरी उम्र का नाम ही बैचनी है ।
29 .3.62
आशी
2 comments:
Beautiful
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल गुरूवार (27-04-2017) को पाँच लिंकों का आनन्द "अतिथि चर्चा-अंक-650" पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना चर्चाकार का नैतिक कर्तव्य होता है।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
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