Thursday, July 09, 2015

कलम से कड़छी तक का सफर

कलम और कड़छी ?पढ़ने में कुछ अजीब से तो नहीं लगते न ? कैसे लग सकते हैं भला ? कलम के साथ भी कड़छी थी हाथ में और इस में कोई अनोखी बात भी नहीं। ।आप सोचँगे कि मैं यह क्या लिख रही हूँ ,हैरान मत होइए ,बस यूँ ही दिल में आया कि कुछ बाते आपसे शेयर की जाएँ सो या बात कही ,आज से कुछ साल पहले मैंने अपन ब्लॉग शुरू किया (कुछ मेरी कलम से ) वो कलम जी पहले सिर्फ डायरी में लिखती थी ,अब वह की बोर्ड के जरिये ब्लॉग में लिखने लगी और फिर नए नए रास्तो को खोजती ,देखती लिखती कई पड़ावों पर अपनी मंजिल तलाश करती रही ,सफर धीरे धीरे ज़िन्दगी का भी तय होता रहा  और वहां भी कई पड़ाव पार होते रहे ,लिखने के अलावा एक और शौक   भी    रहा मुझे खाना  बंनाने का खिलाने का ,कुछ नया बनाती तो रेस्पी भेज   देती .ट्रेडिशनिल खाना भी लोगो तक अपनी पहुंच बनाये यह दिल में हमेशा रहता , और    कहते      हैं न  कुछ तय  नहीं होता कभी ज़िन्दगी में और एक दिन अचानक ,वक़्त की कुछ चाल बदली और यह शौक कुछ प्रोफेशनिली हो गया ,टिफ़िन सर्विस की शुरुआत हुई  कलम से कड़छी तक का रास्ता बना ,"समायरा फ़ूड सर्विस" नाम से शुरू हुआ यह सफर अपनी डगमग नवजात शिशु सा चलना शुरू हुआ है ,कलम से दिल में जगह बनी ,कड़छी से पेट  और दिल दोनों में जगह बनाने की कोशिश है ,शौक और प्रोफेशन हमेशा यदि एक से हो तो सफर कुछ रोचक हो जाता है। सही कहा न मैंने :)

4 comments:

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (11-07-2015) को "वक्त बचा है कम, कुछ बोल लेना चाहिए" (चर्चा अंक-2033) (चर्चा अंक- 2033) पर भी होगी।
--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (11-07-2015) को "वक्त बचा है कम, कुछ बोल लेना चाहिए" (चर्चा अंक-2033) (चर्चा अंक- 2033) पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

कविता रावत said...

शौक और प्रोफेशन हमेशा यदि एक से हो तो सफर कुछ रोचक हो जाता है.. बिल्कुल सही कहा आपने ।
"समायरा फ़ूड सर्विस" एक दिन रेस्टोरेंट बन जाय, यही कामना है ...
बहुत बढ़िया प्रेरक प्रस्तुति

rashmi ravija said...

bahut shubhkaamnaayen ...yah sfr ek mukaam haasil kafre aur sabki jubaan par aapki food sevice ka hi naam ho..all the best (y)