लोदी गार्डन बहुत फेमस है अपने हरियाले बाग, सुन्दर पेड़, सुबह सुबह टहलने वालोँ लवर्स गार्डनके लिए और मेरे लिए खुशवंत सिंह की बुनी कहानियों के लफ़्ज़ों के लिए भी। पर आज बात नावल कहानी या कविता की नहीं आज बात करुँगी आपसे यहाँ बने सुन्दर से रेस्ट्रोरेन्ट की।
हरे भरे परिवेश में सुन्दर भारतीय साज सज्जा से सजा यह रेस्ट्रोरेन्ट दिल्ली की भीड़ भाड़ में जैसे शांति देता सा प्रतीत होता है यहाँ मेरा दो बार जाना हुआ एक बार क्रिसमिस की सर्द रात में जब यह शान से अपनी जगमगाती लाइट्स में हर आने वाले को आकर्षित कर रहा था और दूसरी बार अब मई की दोपहरी में जब झूमते हरे पेड़ो के साथ यह तपती दोपहरी में जैसे राहत दे रहा था अपने ठंडे शीतल मेलन (तरबूज खरबूजा )मील वीक से।
जाते ही आम पन्ना जिसमें पुदीने के ताजे पत्तों का जायका हर आने वाले को राहत दे जाता है। उसके बाद मेलन सलाद और मेन कोर्स तक हर चीज में आप मेलन का मीठे ठन्डे जायके का स्वाद ले सकते हैं।
इंडियन फ़ूड खाने वालों को यहाँ आ कर जरूर निराशा होगी क्यों की यहाँ के मुख्य कस्टमर टारगेट विदेशी ही हैं पर आज कल इडियन्स में भी फ़ूड एक्सपरिमेंटों को ले कर लोगों की कमी नहीं है। मेलन ड्रिंक विद लेमन के साथ चीज गार्लिक ब्रेड को खाना वाकई अनूठा अनुभव है :)
शाकाहरी आइटम्स में मुझे मिला खाने को
रोज़मेरी थाइम एंड कुनिवा (Quinoa (pronounced keen-wah )विद रोस्टेड वेजिटेबल यह अभी नया साउथ अमरीका में खोजा गया अनाज है जो बहुत पौष्टिक है। यह कुछ कुछ मुझे अपने नमकीन दलिये जैसा लगा। बस कमी लगी तो भारतीय मसालों की :) यदि यह भारतीय मसालों के साथ जोड़ के बना दिया जाए तो बहुत ही अमज़िंग पौष्टिक खाना है। पास्ता , भी यहाँ का बहुत बेहतरीन लगा। और अंत में होममेड फिग आईस्क्रीम और बहुत सी स्वादिष्ट डेजर्ट खाना न भूले।
बाकी नॉन वेज खाने वालों और ड्रिंक्स के शौकीनों के लिए यहाँ भरपूर वैरायटी है। बार बाहर गार्डन में भी है और चिलचलाती धूप में अंदर राहत देता ठंडक में भी है। यहाँ का मुख्य जोर भी आज कल प्रचलित हुई पद्द्ति ऑर्गेनिक पर आधारित है और यहाँ यह ऑर्गेनिक स्वाद वाकई महसूस हुआ सलाद और सूप में इस ताजे स्वाद का अनूठा अंदाज़ था। हर मेज पर लगे बबरी के छोटे पौधे एक अच्छा सा एहसास देते हैं ( मुझे गांव में अपनी नानी के घर की याद हो आई जहाँ यह बबरी के पौधे रसोई के साथ लगे थे और नानी के बनाये खाने में मुख्य रूप से प्रयोग होते थे)यह पेट के लिए बहुत बेहतरीन है। रेस्ट्रोरेन्ट के बाहर छोटी सी बेलगाडी में लगे पौधे घर की रसोई बगिया का एहसास करवाते हैं। वैसे यहाँ इस्तेमाल होने वाली सब्ज़ियाँ फल इनके अपने बने फ़ार्म हाउस से आते हैं। जब इस तरह के रेस्ट्रोनेट को चलाने वाला मालिक खुद ही पौधो खासकर ऑर्गेनक में रूचि रखता हो तो खाने में ताजे सब्ज़ी फलों का स्वाद मिलना लाज़मी है। इस तरह की यहाँ के माहौल पारिवारिक के साथ साथ रूमानी कपल्स के लिए भी बेहतरीन है। अब बात आती है यहाँ रेट्स की तो यह बाकी कुछ जगह की तुलना में महंगा तो जरूर है पर इतिहास के पन्नो से जुड़ा अपनी कुदरती सुंदरता में सकून से बैठ कर हरियाली को दिन में और रात में रूमानी माहौल को जोड़े तो कुछ जेब पर राहत मिले न मिले पर दिल को जरूर राहत दे जाता है।हाँ कुछ राय इसको चलाने वालों के लिए भी कि इतिहास के पन्नो से जुड़ा यह माहौल कुछ भारतीय व्यंजन भी पेश करे तो यकीन माने इसको चलाने वाले की यहाँ आने वाले बहुत होंगे हालाँकि भारतीय भी अब अपना खाने का टेस्ट डेवलप कर चुके हैं पर फिर भी खाने में मसालों की खुशबु की तो तलाश होती ही है।मैं इसको रेटिंग आधार पर ५ में से ५ नंबर यहाँ के विन्रम स्टाफ़ शेफ को दूंगी और ५ में ५ नम्बर यहाँ के माहौल को खाने के आधार पर ४ क्यूंकि बात है स्वाद की मुझे बहुत पसंद आया आप जाए खाये और अपने अंक खुद निर्धारित करें।
हरे भरे परिवेश में सुन्दर भारतीय साज सज्जा से सजा यह रेस्ट्रोरेन्ट दिल्ली की भीड़ भाड़ में जैसे शांति देता सा प्रतीत होता है यहाँ मेरा दो बार जाना हुआ एक बार क्रिसमिस की सर्द रात में जब यह शान से अपनी जगमगाती लाइट्स में हर आने वाले को आकर्षित कर रहा था और दूसरी बार अब मई की दोपहरी में जब झूमते हरे पेड़ो के साथ यह तपती दोपहरी में जैसे राहत दे रहा था अपने ठंडे शीतल मेलन (तरबूज खरबूजा )मील वीक से।
जाते ही आम पन्ना जिसमें पुदीने के ताजे पत्तों का जायका हर आने वाले को राहत दे जाता है। उसके बाद मेलन सलाद और मेन कोर्स तक हर चीज में आप मेलन का मीठे ठन्डे जायके का स्वाद ले सकते हैं।
इंडियन फ़ूड खाने वालों को यहाँ आ कर जरूर निराशा होगी क्यों की यहाँ के मुख्य कस्टमर टारगेट विदेशी ही हैं पर आज कल इडियन्स में भी फ़ूड एक्सपरिमेंटों को ले कर लोगों की कमी नहीं है। मेलन ड्रिंक विद लेमन के साथ चीज गार्लिक ब्रेड को खाना वाकई अनूठा अनुभव है :)
बाकी नॉन वेज खाने वालों और ड्रिंक्स के शौकीनों के लिए यहाँ भरपूर वैरायटी है। बार बाहर गार्डन में भी है और चिलचलाती धूप में अंदर राहत देता ठंडक में भी है। यहाँ का मुख्य जोर भी आज कल प्रचलित हुई पद्द्ति ऑर्गेनिक पर आधारित है और यहाँ यह ऑर्गेनिक स्वाद वाकई महसूस हुआ सलाद और सूप में इस ताजे स्वाद का अनूठा अंदाज़ था। हर मेज पर लगे बबरी के छोटे पौधे एक अच्छा सा एहसास देते हैं ( मुझे गांव में अपनी नानी के घर की याद हो आई जहाँ यह बबरी के पौधे रसोई के साथ लगे थे और नानी के बनाये खाने में मुख्य रूप से प्रयोग होते थे)यह पेट के लिए बहुत बेहतरीन है। रेस्ट्रोरेन्ट के बाहर छोटी सी बेलगाडी में लगे पौधे घर की रसोई बगिया का एहसास करवाते हैं। वैसे यहाँ इस्तेमाल होने वाली सब्ज़ियाँ फल इनके अपने बने फ़ार्म हाउस से आते हैं। जब इस तरह के रेस्ट्रोनेट को चलाने वाला मालिक खुद ही पौधो खासकर ऑर्गेनक में रूचि रखता हो तो खाने में ताजे सब्ज़ी फलों का स्वाद मिलना लाज़मी है। इस तरह की यहाँ के माहौल पारिवारिक के साथ साथ रूमानी कपल्स के लिए भी बेहतरीन है। अब बात आती है यहाँ रेट्स की तो यह बाकी कुछ जगह की तुलना में महंगा तो जरूर है पर इतिहास के पन्नो से जुड़ा अपनी कुदरती सुंदरता में सकून से बैठ कर हरियाली को दिन में और रात में रूमानी माहौल को जोड़े तो कुछ जेब पर राहत मिले न मिले पर दिल को जरूर राहत दे जाता है।हाँ कुछ राय इसको चलाने वालों के लिए भी कि इतिहास के पन्नो से जुड़ा यह माहौल कुछ भारतीय व्यंजन भी पेश करे तो यकीन माने इसको चलाने वाले की यहाँ आने वाले बहुत होंगे हालाँकि भारतीय भी अब अपना खाने का टेस्ट डेवलप कर चुके हैं पर फिर भी खाने में मसालों की खुशबु की तो तलाश होती ही है।मैं इसको रेटिंग आधार पर ५ में से ५ नंबर यहाँ के विन्रम स्टाफ़ शेफ को दूंगी और ५ में ५ नम्बर यहाँ के माहौल को खाने के आधार पर ४ क्यूंकि बात है स्वाद की मुझे बहुत पसंद आया आप जाए खाये और अपने अंक खुद निर्धारित करें।
10 comments:
:) कोई स्पोंसर करे तो हम भी यहाँ के जायके का मजा ले सकें :)
अच्छी पोस्ट !!
वाह......देख-पढ़ कर जाने की इच्छा हो गयी.....रेस्टोरेंट वालों को आपको pay करना चाहिए...for this beautiful and effective advertising :-)
अनु
आपके इस अनुभव ने हमें सुनहरे अतीत में पहुँचा दिया जिन दिनों हम लोधी कॉलोनी के घर में रहा करते थे...हर रोज़ की सैर के लिए लोधी गार्डन जाया करते थे. बहुत यादें जुड़ी इस गार्डन के साथ...अगली बार आपके अनुभव को याद करते हुए ज़रूर जाएँग़े..
बहुत बढिया
आपने तो फोटो भी इतने लाजवाब डाले हैं की मन करता है हाथ बड़ा के उठा लूं अभी ...
वाह मन किया कि जायें वहां तुरंत।
Babri kaun sa paudha hai?
Babri kaun sa paudha hai
Babri kaun sa paudha hai?
सुन्दर प्रस्तुति फोटो बेहतरीन लगे
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