Tuesday, November 19, 2013

बिखराव


गुलमोहर "काव्य संग्रह एक सुन्दर गिफ्ट के साथ आज मुझे मिला बहुत सुन्दर कवर पेज और बहुत से जाने माने मित्रों की सुन्दर रचनाएं। पढ़ना अभी बाकी है पर अभी इस में प्रकाशित अपनी एक रचना के साथ इस संग्रह की एक झलक.....इसको आप भी पढ़ सकते हैं अभी ऑनलाइन आर्डर कर के..... इन लिंक्स पर
@Snapdeal: http://www.snapdeal.com/product/gulmohar/1909245992(मात्र रु 105 में, कैश ऑन डिलीवरी सुविधा के साथ)

@Infibeam: http://www.infibeam.com/Books/gulmohar-hindi-anju-anu-chaudhary-mukesh/9789381394595.html (मात्र रु 120 में, कैश ऑन डिलीवरी सुविधा के साथ)


बिखराव

समेट रही हूँ
सहज रही हूँ
घर की हर बिखरी चीज को
पुराने फोटो
पुराना ,पर महंगा फर्नीचर
कभी घर के पूर्वजों को मिले
कई अवसरों पर मिले उपहार
यूँ ही बनी रहे इनकी चमक
साल दर साल
और गर्व करे आने वाली पीढ़ी
और घर में आया हर मेहमान
इस की चमक को खोना नही है
इस लिए लिए हर पहर इनको झाड़ पौंछ के
घर के हर कोने में सज़ा रही हूँ
यह चीजे चमक खो के भी
अपने अस्तित्व का एहसास करवा देती हैं
पर नही सहज पाती मैं
उन पुरानी किताबों से
वह धूमिल होते अक्षर
वह अमूल्य हमारी धरोहर
वो शब्द जो पहचान थे हमारी
सत्य ,प्रेम .उदारता और संवेदना
जैसे मेरे हाथो से सहजने की कोशिश में
पल दर पल दूर हुए जा रहे हैं
अपनी चमक खोये जा रहे हैं !!

7 comments:

विभूति" said...

खुबसूरत अभिवयक्ति.....

ANULATA RAJ NAIR said...

वाह...
बधाई.....
gift भी सुन्दर है...रचनाएं तो खैर लाजवाब होनी ही हुईं.

शुभकामनाएं..

अनु

सदा said...

वाह ... बेहतरीन अभिव्‍यक्ति ...

Sunil Kumar said...

sundar atisundar, badhai ...

tanahi.vivek said...

Bahut Bahut Khoob

Misra Raahul said...

काफी सुंदर चित्रण ..... !!!
कभी हमारे ब्लॉग पर भी पधारे.....!!!

खामोशियाँ

Madan Mohan Saxena said...

बहुत सुन्दर पंक्तियाँ,ह्रदयस्पर्शी.आभार