Tuesday, September 10, 2013

उम्मीद

उन राहों पर
जहाँ वादा था
साथ साथ चलने का
मैं तो चल रही हूँ
पर नही देखूंगी
पीछे मुड कर
तुम्हारे आने की राह
क्यों कि 
यह टीस अब सही नहीं जाती है
बस यही विश्वास  है कि
जो रास्ते पर
घना कोहरा दिख रहा है
वह एक दिन
नीले से चमकीले अम्बर सा
दिखेगा कभी
और साथ ही शायद   दिखे
तुंहारे साथ साथ आने की आहट भी ...
@ईश्वर का अस्तित्व उम्मीद की एक किरण है।  आशा का हर  लम्हा दिल के लिए आगे बढ़ने का एक भरोसा
रंजू भाटिया

8 comments:

ANULATA RAJ NAIR said...

बहुत सुन्दर भाव.....
बहुत अच्छी रचना..

सस्नेह
अनु

दिगम्बर नासवा said...

जिंदगी तो वैसे भी ईश्वर के अस्तित्व से, चमकीले अम्बर से चलने वाली है ... किसी के न आने की टीस जितना जल्दी हो निकाल देनी चाहिए ...

an uPadhyay said...

Bahut khub ranjana ji`purane dino ki yaad dila di aapne

Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून said...

पर मो इन्‍वर्टेड कॉमा में लि‍खने का मतलब मैं नही समझा जी

अव्यक्त said...

बहुत ही सुंदर अहसास कराती कविता...उम्मीद में ईश्वर का अस्तित्व छिपा है...

अव्यक्त said...

उम्मीद में छिपा है..ईश्वर का अस्तित्व..सारगर्भित कविता..

विभूति" said...

भावो को खुबसूरत शब्द दिए है अपने.....

प्रवीण पाण्डेय said...

सुन्दर कविता..