उन राहों पर
जहाँ वादा था
साथ साथ चलने का
मैं तो चल रही हूँ
पर नही देखूंगी
पीछे मुड कर
तुम्हारे आने की राह
क्यों कि
यह टीस अब सही नहीं जाती है
बस यही विश्वास है कि
जो रास्ते पर
घना कोहरा दिख रहा है
वह एक दिन
नीले से चमकीले अम्बर सा
दिखेगा कभी
और साथ ही शायद दिखे
तुंहारे साथ साथ आने की आहट भी ...
जहाँ वादा था
साथ साथ चलने का
मैं तो चल रही हूँ
पर नही देखूंगी
पीछे मुड कर
तुम्हारे आने की राह
क्यों कि
यह टीस अब सही नहीं जाती है
बस यही विश्वास है कि
जो रास्ते पर
घना कोहरा दिख रहा है
वह एक दिन
नीले से चमकीले अम्बर सा
दिखेगा कभी
और साथ ही शायद दिखे
तुंहारे साथ साथ आने की आहट भी ...
@ईश्वर का अस्तित्व उम्मीद की एक किरण है। आशा का हर लम्हा दिल के लिए आगे बढ़ने का एक भरोसा
रंजू भाटिया
रंजू भाटिया
8 comments:
बहुत सुन्दर भाव.....
बहुत अच्छी रचना..
सस्नेह
अनु
जिंदगी तो वैसे भी ईश्वर के अस्तित्व से, चमकीले अम्बर से चलने वाली है ... किसी के न आने की टीस जितना जल्दी हो निकाल देनी चाहिए ...
Bahut khub ranjana ji`purane dino ki yaad dila di aapne
पर मो इन्वर्टेड कॉमा में लिखने का मतलब मैं नही समझा जी
बहुत ही सुंदर अहसास कराती कविता...उम्मीद में ईश्वर का अस्तित्व छिपा है...
उम्मीद में छिपा है..ईश्वर का अस्तित्व..सारगर्भित कविता..
भावो को खुबसूरत शब्द दिए है अपने.....
सुन्दर कविता..
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