माँ जो है .........
शब्दों का संसार रचा
हर शब्द का अर्थ नया बना
पर कोई शब्द
छू न पाया
माँ शब्द की मिठास को
माँ जो है ......
संसार का सबसे मीठा शब्द
इस दुनिया को रचने वाले की
सबसे अनोखी और
आद्वितीय कृति
है यह प्यार का
गहरा सागर
जो हर लेता है
हर पीड़ा को
अपनी ही शीतलता से
इंसान तो क्या
स्वयंम विधाता
भी इसके मोह पाश से
बच न पाये है
तभी तो इसकी
ममता की छांव में
सिमटने को
तरह तरह के रुप धर कर
यहाँ जन्म लेते आए हैं ॥
रंजना [रंजू ] भाटिया
माँ ..की याद कहाँ भूली जा सकती है ...आज माँ की पुण्यतिथि पर
शब्दों का संसार रचा
हर शब्द का अर्थ नया बना
पर कोई शब्द
छू न पाया
माँ शब्द की मिठास को
माँ जो है ......
संसार का सबसे मीठा शब्द
इस दुनिया को रचने वाले की
सबसे अनोखी और
आद्वितीय कृति
है यह प्यार का
गहरा सागर
जो हर लेता है
हर पीड़ा को
अपनी ही शीतलता से
इंसान तो क्या
स्वयंम विधाता
भी इसके मोह पाश से
बच न पाये है
तभी तो इसकी
ममता की छांव में
सिमटने को
तरह तरह के रुप धर कर
यहाँ जन्म लेते आए हैं ॥
रंजना [रंजू ] भाटिया
माँ ..की याद कहाँ भूली जा सकती है ...आज माँ की पुण्यतिथि पर
18 comments:
माँ की जगह सदा सुरक्षित रहती है दिल में...
हर पल याद आती,
यादों को महकाती माँ...
सस्नेह
अनु
आपकी रचना कल बुधवार [10-07-2013] को
ब्लॉग प्रसारण पर
कृपया पधार कर अनुग्रहित करें |
सादर
सरिता भाटिया
बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
साझा करने के लिए आभार!
बेहद सुंदर
इंसान तो क्या
स्वयंम विधाता
भी इसके मोह पाश से
बच न पाये है
तभी तो इसकी
ममता की छांव में
सिमटने को
तरह तरह के रुप धर कर
यहाँ जन्म लेते आए हैं ॥
बिल्कुल सही कहा आपने, सुंदर रचना.
रामराम.
माँ हमेशा मन के करीब रहती है ...पुण्य तिथि पर उनको नमन
माँ को नमन
माँ को कोई भी शब्द नहीं छु पाया... . बहुत सुंदर प्रस्तुति....
माँ को कोई भी शब्द नहीं छु पाया... . बहुत सुंदर प्रस्तुति....
एक ऐसा संबंध जिसकी याद ही मन को नेह से सिक्त कर दे ,ऐसी छाँह जिसकी शीतलता कभी कम न हो - वही है माँ !
एक ऐसा संबंध जिसकी याद ही मन को नेह से सिक्त कर दे ,ऐसी छाँह जिसकी शीतलता कभी कम न हो - वही है माँ !
माँ- एक ऐसी छांव जो सदैव सिर पर रहती है...
माँ के प्यार में निस्वार्थ भाव को समेटती आपकी खुबसूरत रचना.
ममता जीवन की शीतलता है, माँ को स्मृति की श्रद्धांजलि
bahut hi sargarbhit rachana ....badhai.
बहुत सुंदर...मां को नमन
वाह . बहुत उम्दा,
कभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण अथवा टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |
माँ को नमन .. उसको भूलना उम्र में तो संभव नहीं ... उसका एहसास साया है घनी छाँव सा ...
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