Tuesday, July 09, 2013

ममता की छांव

माँ जो है .........
शब्दों का संसार रचा
हर शब्द का अर्थ नया बना
पर कोई शब्द
छू पाया
माँ शब्द की मिठास को

माँ जो है ......
संसार का सबसे मीठा शब्द
इस दुनिया को रचने वाले की
सबसे अनोखी और
आद्वितीय कृति

है यह प्यार का
गहरा सागर
जो हर लेता है
हर पीड़ा को
अपनी ही शीतलता से

इंसान तो क्या
स्वयंम विधाता
भी इसके मोह पाश से
बच पाये है
तभी तो इसकी
ममता की छांव में
सिमटने को
तरह तरह के रुप धर कर
यहाँ जन्म लेते आए हैं

रंजना [रंजू ] भाटिया

माँ ..की याद कहाँ भूली जा सकती है ...आज माँ की पुण्यतिथि पर

18 comments:

ANULATA RAJ NAIR said...

माँ की जगह सदा सुरक्षित रहती है दिल में...
हर पल याद आती,
यादों को महकाती माँ...

सस्नेह
अनु

Guzarish said...

आपकी रचना कल बुधवार [10-07-2013] को
ब्लॉग प्रसारण पर
कृपया पधार कर अनुग्रहित करें |
सादर
सरिता भाटिया

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
साझा करने के लिए आभार!

सु-मन (Suman Kapoor) said...

बेहद सुंदर

ताऊ रामपुरिया said...

इंसान तो क्या
स्वयंम विधाता
भी इसके मोह पाश से
बच न पाये है
तभी तो इसकी
ममता की छांव में
सिमटने को
तरह तरह के रुप धर कर
यहाँ जन्म लेते आए हैं ॥

बिल्कुल सही कहा आपने, सुंदर रचना.

रामराम.

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

माँ हमेशा मन के करीब रहती है ...पुण्य तिथि पर उनको नमन

Anju (Anu) Chaudhary said...

माँ को नमन

Ranjana verma said...

माँ को कोई भी शब्द नहीं छु पाया... . बहुत सुंदर प्रस्तुति....

Ranjana verma said...

माँ को कोई भी शब्द नहीं छु पाया... . बहुत सुंदर प्रस्तुति....

प्रतिभा सक्सेना said...

एक ऐसा संबंध जिसकी याद ही मन को नेह से सिक्त कर दे ,ऐसी छाँह जिसकी शीतलता कभी कम न हो - वही है माँ !

प्रतिभा सक्सेना said...

एक ऐसा संबंध जिसकी याद ही मन को नेह से सिक्त कर दे ,ऐसी छाँह जिसकी शीतलता कभी कम न हो - वही है माँ !

Kailash Sharma said...

माँ- एक ऐसी छांव जो सदैव सिर पर रहती है...

विभूति" said...

माँ के प्यार में निस्वार्थ भाव को समेटती आपकी खुबसूरत रचना.

प्रवीण पाण्डेय said...

ममता जीवन की शीतलता है, माँ को स्मृति की श्रद्धांजलि

Naveen Mani Tripathi said...

bahut hi sargarbhit rachana ....badhai.

रश्मि शर्मा said...

बहुत सुंदर...मां को नमन

Unknown said...

वाह . बहुत उम्दा,
कभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण अथवा टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |

दिगम्बर नासवा said...

माँ को नमन .. उसको भूलना उम्र में तो संभव नहीं ... उसका एहसास साया है घनी छाँव सा ...