कहने करने की
हर हद टूट जाती *****
और
बादलों की नमी का नजारा
लगता बदरंग बेसहारा !!
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दिल में जलती
सूरज सी आग
नयनों में
टिप टिप करती
बरसात
कुदरत के रंग सी
यही प्रेम की सौगात !!
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कुछ
बात बनी इन तीन क्षणिकाओं में क्या ? जो यूँ ही खिड़की से देखते हुए बादलो
की आँख मिचोली देखते हुए लिखी गयी अभी अभी :) रंजू भाटिया
8 comments:
bahut hee khubsoorat muktak...
meri nayi post par aapka swaagat hai...
http://raaz-o-niyaaz.blogspot.com/2013/07/blog-post.html
बहुत ही सुंदर और भाव मय, शुभकामनाएं.
रामराम.
बेहतरीन .
बारिश भाव नम कर जाती है।
दिल को छू हर एक पंक्ति....
सभी अच्छी हैं .... अंतिम वाली बेहतरीन
कुछ सालता है मन में आसें उफनती मन में
बरसा निगोड़ी लगाए आग तन मन में!
प्रेम की सौगात भी कैसी होती है ... आग और बरसात साथ ले आती है ... भावपूर्ण सभी ...
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