कुछ लफ्ज़ ज़िन्दगी के
सिर्फ खुद से ही पढ़े जाते हैं
वही लफ्ज़ जो दिल की गहराइयों में
दबे गए कभी सोच कर
कभी भूल से
जैसे ...........
कुछ भूली हुई सभ्यताएं
जो नजर आती है
सिर्फ जमीनों के खोदने से
ठीक वैसे ही
"कुछ यादें "जो दबी हैं
ज़िन्दगी के उन पन्नो में
जो वर्जित है सच जानने से पहले
दुनिया की नजरों में आना
और वो पन्ने पढ़े हैं सिर्फ उन्ही ने
जो जानते हैं कि
" कहाँ क्या दफ़न हुआ था ?"
सिर्फ खुद से ही पढ़े जाते हैं
वही लफ्ज़ जो दिल की गहराइयों में
दबे गए कभी सोच कर
कभी भूल से
जैसे ...........
कुछ भूली हुई सभ्यताएं
जो नजर आती है
सिर्फ जमीनों के खोदने से
ठीक वैसे ही
"कुछ यादें "जो दबी हैं
ज़िन्दगी के उन पन्नो में
जो वर्जित है सच जानने से पहले
दुनिया की नजरों में आना
और वो पन्ने पढ़े हैं सिर्फ उन्ही ने
जो जानते हैं कि
" कहाँ क्या दफ़न हुआ था ?"
18 comments:
बढ़िया |
जो जानते हैं कि
" कहाँ क्या दफ़न हुआ था ?"
बिल्कुल सही कहा
आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (09-06-2013) के चर्चा मंच पर लिंक की गई है कृपया पधारें. सूचनार्थ
फिर भी किसी न किसी बीज रूप में पड़ी रहती हैं स्मृतियाँ।
कुछ जिंदगी के सफे बस खुद से पढे जाते हैं ।
क्या बात कही है ।
कुछ तहखाने इसलिए ही कभी खोले नहीं जाते :-)
बेहद सुन्दर. आत्म चिंतन की प्रेरणा लिए.
दफन सभ्यताओं को फिर पारंगत ही पढ़ पाते हैं
बहुत सुंदर रचना
सुंदर भावपूर्ण रचना।
ये राज भी पता चला। अच्छा है।
बढिया .....कुछ यादें दफ़न करनी भी जरुरी हो जाती है
स्मृतियाँ तो मन की लहरें हैं
फिर फिर दस्तक दे जाती हैं |
यादें तो यादें हैं, आयेगीं किसी रोज लोट कर जिंदगी की किसी मोड पर फिर से जेहन में देकर दस्तक..
बहुत खूबसूरत अभिव्यक्ति हैं आपकी..धन्यवाद
http://khudgarznadeem.blogspot.in/
यादें तो यादें हैं,,आएगी देकर दस्तक कहीं किसी रोज़ जिंदगी की किसी मोड पर..
बहुत खूबसूरत कविता है आपकी..धन्यवाद
http://khudgarznadeem.blogspot.in/
bahut badhiya
सच कहा है ... ऐसे कुछ दर्द सिर्फ अकेले के साथी होते हैं ... जो बस अपने करीब होते हैं ...
हार्दिक बधाई ...बहुत सुन्दर भाव ....
काफी अछा
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