कुछ रिश्ते
जो होते हैं
यूँ ही "बेमतलब "के
जब तोड़ते हैं वह दम
तो दिल उदास नहीं होता
निकलती हैं दिल से
बस एक सांस राहत की
और .........कह उठता है दिल
न जाने किस उम्मीद पर
क्यों बरसों तक
एक पागल जिद में
हम खामोश रह कर
जैसे मुर्दा जिस्म को
ज़िंदा मानने का ढोंग किये हुए थे ??# रंजू भाटिया
जो होते हैं
यूँ ही "बेमतलब "के
जब तोड़ते हैं वह दम
तो दिल उदास नहीं होता
निकलती हैं दिल से
बस एक सांस राहत की
और .........कह उठता है दिल
न जाने किस उम्मीद पर
क्यों बरसों तक
एक पागल जिद में
हम खामोश रह कर
जैसे मुर्दा जिस्म को
ज़िंदा मानने का ढोंग किये हुए थे ??# रंजू भाटिया
11 comments:
बढिया
जितना शीघ्र यह हो उतना ही अच्छा..
बेहद उम्दा....
plz. visit :
http://swapnilsaundarya.blogspot.in/2013/03/blog-post.html
सुन्दर भाव लिए सार्थक प्रस्तुति,आभार.
bhaut hi khubsurat abhivaykti...........
रिश्तों की भी एक उम्र होती है।
सच है जो रिश्ते ढोए जाते हैं उनके टूटने पे राहत ही मिलती है ...
rishton ki sachhai bahut saavdhani aur sundarta se pesh ki aapne..bahut bahut badhai
एक पागल जिद में
हम खामोश रह कर
जैसे मुर्दा जिस्म को
ज़िंदा मानने का ढोंग किये हुए थे-----badhia anubhuti
बेहद प्रभाव साली रचना और आपकी रचना देख कर मन आनंदित हो उठा बहुत खूब
आप मेरे भी ब्लॉग का अनुसरण करे
आज की मेरी नई रचना आपके विचारो के इंतजार में
तुम मुझ पर ऐतबार करो ।
.
http://rohtakexpress.com/index.php/topic,105.0.html
Post a Comment