Wednesday, March 06, 2013

रिश्ते


कुछ रिश्ते
जो होते हैं
यूँ ही "बेमतलब "के
जब तोड़ते हैं वह दम
तो दिल उदास नहीं होता
निकलती हैं दिल से
बस एक सांस राहत की
और .........कह उठता है दिल
न जाने किस उम्मीद पर
क्यों बरसों तक
एक पागल जिद में
हम खामोश रह कर
जैसे मुर्दा जिस्म को
ज़िंदा मानने का ढोंग किये हुए थे ??# रंजू भाटिया

11 comments:

travel ufo said...

बढिया

प्रवीण पाण्डेय said...

जितना शीघ्र यह हो उतना ही अच्छा..

Swapnil Shukla said...

बेहद उम्दा....
plz. visit :
http://swapnilsaundarya.blogspot.in/2013/03/blog-post.html

Rajendra kumar said...

सुन्दर भाव लिए सार्थक प्रस्तुति,आभार.

विभूति" said...

bhaut hi khubsurat abhivaykti...........

ePandit said...

रिश्तों की भी एक उम्र होती है।

दिगम्बर नासवा said...

सच है जो रिश्ते ढोए जाते हैं उनके टूटने पे राहत ही मिलती है ...

Akhil said...

rishton ki sachhai bahut saavdhani aur sundarta se pesh ki aapne..bahut bahut badhai

Jyoti khare said...

एक पागल जिद में
हम खामोश रह कर
जैसे मुर्दा जिस्म को
ज़िंदा मानने का ढोंग किये हुए थे-----badhia anubhuti

Dinesh pareek said...

बेहद प्रभाव साली रचना और आपकी रचना देख कर मन आनंदित हो उठा बहुत खूब

आप मेरे भी ब्लॉग का अनुसरण करे

आज की मेरी नई रचना आपके विचारो के इंतजार में

तुम मुझ पर ऐतबार करो ।

.

Teacher said...

http://rohtakexpress.com/index.php/topic,105.0.html