बुन नहीं सकते
एहसासों को
भावनाओं को
और ख्वाइशों को
किसी
कल पुर्जे से ,संबंधों से ...
क्यों कि
दिल के यह गीत
जो बुने जातें हैं रेशम से
किसी "जुलाहे सी रूह" से
वह अब भी
इस मशीनी युग में
किसी मशीन से बुनना
मुमकिन नहीं !!!
कहो सच है न ...:)
एहसासों को
भावनाओं को
और ख्वाइशों को
किसी
कल पुर्जे से ,संबंधों से ...
क्यों कि
दिल के यह गीत
जो बुने जातें हैं रेशम से
किसी "जुलाहे सी रूह" से
वह अब भी
इस मशीनी युग में
किसी मशीन से बुनना
मुमकिन नहीं !!!
कहो सच है न ...:)
18 comments:
बिलकुल सच है
latest post हिन्दू आराध्यों की आलोचना
latest post धर्म क्या है ?
आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा शनिवार (30-3-2013) के चर्चा मंच पर भी है ।
सूचनार्थ!
koshish kar ke dekho.. shayad sambhav hai..:)
कोशिश कीजिये कदाचित संभव हो सके.
बहुत सुंदर भावों की अभिव्यक्ति.....
RECENT POST: होली की हुडदंग ( भाग -२ )
बिलकुल सच है जी ... :)
आज की ब्लॉग बुलेटिन 'खलनायक' को छोड़ो, असली नायक से मिलो - ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
बढ़िया
बहुत सुन्दर रचना | पढ़कर ह्रदय गदगद हो उठा | आभार
कभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण अथवा टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |
Tamasha-E-Zindagi
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वाह जी बधिया
sahi kaha arun jee ne
koshish karne me kya jata hai..
बहुत सुन्दर....होली की हार्दिक शुभकामनाएं ।।
पधारें कैसे खेलूं तुम बिन होली पिया...
बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति,आभार.
बुनना रूह से..गहरा..
बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति,.
बहुत खूब .....सच ही तो
सच ही तो है ..
सुन्दर रचना
sau pratishat sahi...rooh se bune gaye 'Tane' ke zaroorat hai is yug men.
हमेशा की तरह ये पोस्ट भी बेह्तरीन है
कुछ लाइने दिल के बडे करीब से गुज़र गई....
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