आज यह कैसा
अजब सा फ़साना है
उनके होंठो पर
ख़ामोशी का ज़माना है
शहरो के इस जंगल में
हर शख्स बेगाना है
मौसम अक्सर भटका है यहाँ
तूने भी भटक जाना है
मुझ में तो ताप है सूरज का
हर पल जलते जाना है
चाँद समझ कर तूने कभी
दिखना कभी छिप जाना है
कब काम आया
पेडो का साया ही ख़ुद पेडो के
हर मुसाफ़िर ने यहाँ
पल दो पल ठहर के चले जाना है
तेज़ हवा है यहाँ
वक़्त का बदलता हर साया
इस तेज़ बहती हवाओं में भी
एक उम्मीद का दीप जलाना है
हम तुम दोनो
शब्द भी हैं और अर्थ भी
एक गीत में ढल कर
हमने इस ज़िंदगी को गुनगुनाना है!!
अजब सा फ़साना है
उनके होंठो पर
ख़ामोशी का ज़माना है
शहरो के इस जंगल में
हर शख्स बेगाना है
मौसम अक्सर भटका है यहाँ
तूने भी भटक जाना है
मुझ में तो ताप है सूरज का
हर पल जलते जाना है
चाँद समझ कर तूने कभी
दिखना कभी छिप जाना है
कब काम आया
पेडो का साया ही ख़ुद पेडो के
हर मुसाफ़िर ने यहाँ
पल दो पल ठहर के चले जाना है
तेज़ हवा है यहाँ
वक़्त का बदलता हर साया
इस तेज़ बहती हवाओं में भी
एक उम्मीद का दीप जलाना है
हम तुम दोनो
शब्द भी हैं और अर्थ भी
एक गीत में ढल कर
हमने इस ज़िंदगी को गुनगुनाना है!!
13 comments:
इस तेज़ बहती हवाओं में भी
एक उम्मीद का दीप जलाना है......behad sunder :-)
तेज़ हवा है यहाँ
वक़्त का बदलता हर साया
इस तेज़ बहती हवाओं में भी
एक उम्मीद का दीप जलाना है
बाह! क्या बात हे,
विपरीत परिस्थतियो में भी खुद को सछम बनाये रखने के लिए प्रेरित करती पंक्तियाँ!!!!
तेज़ हवा है यहाँ
वक़्त का बदलता हर साया
इस तेज़ बहती हवाओं में भी
एक उम्मीद का दीप जलाना है
बाह! क्या बात हे,
विपरीत परिस्थतियो में भी खुद को सछम बनाये रखने के लिए प्रेरित करती पंक्तियाँ!!!!
तेज़ हवा है यहाँ
वक़्त का बदलता हर साया
इस तेज़ बहती हवाओं में भी
एक उम्मीद का दीप जलाना है
खूबसूरत नज़्म ... बस ज़िंदगी को यूं ही गुनगुनाते रहिए ।
एक गीत में ढल कर
हमने इस ज़िंदगी को गुनगुनाना है!!सुंदर प्रस्तुति,,,,
recent post : नववर्ष की बधाई
हम तुम दोनो
शब्द भी हैं और अर्थ भी
एक गीत में ढल कर
हमने इस ज़िंदगी को गुनगुनाना है!!
...बहुत सुन्दर भावमयी रचना..
सुंदर बिंबों में छिपी करुण सच्चाई
http://www.dil-punjab.com/entries/general/ranjna-bhatia
ranjna ji apki rachna.......
http://www.dil-punjab.com/entries/general/ranjna-bhatia
ranjna ji apki rachna.......
गहरे भाव व्यक्त करती कविता।
इस तेज़ बहती हवाओं में भी
एक उम्मीद का दीप जलाना है
बस यही ज़ज्बा कायम रहे
ख़ूबसूरत कविता
गिरा अरथ जल विची सम कहियत भिन्न न भिन्न
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