गर्भ में आते ही जान लिया था मैंने
कि लड़की का जन्म लेना इस युग में
इतना आसान नही होता
सहनी पड़ती है हर टीस
चलाना पड़ता है यहाँ
जलते अंगारों पर
आई गर्भ में तो लगा
जैसे बाहर अजब सी
हुई है कुछ हलचल
सुनाई देती मुझे भीतर
माँ की सिसकियाँ
और पापा का परेशान सा
कोई स्वर सुनाई देता था
वेदना की साँसे
इस क़द्र थी गहरी
कि अपनी हर धड़कन
एक टीस देती सी लगती था
नासमझ मैं क्या जान पाती
कि मेरा गर्भ में होना
कोई खुशी का सबब नही
एक वेदना है एक टीस है
जो देगी उम्र भर ऐसी पीड़ा
जिसका हल शायद पिता को
एक बहुत बढे कर्जे से ,
माँ को दुनिया के तानों से
सिर्फ़ चुकाना होगा
कि लड़की का जन्म लेना इस युग में
इतना आसान नही होता
सहनी पड़ती है हर टीस
चलाना पड़ता है यहाँ
जलते अंगारों पर
आई गर्भ में तो लगा
जैसे बाहर अजब सी
हुई है कुछ हलचल
सुनाई देती मुझे भीतर
माँ की सिसकियाँ
और पापा का परेशान सा
कोई स्वर सुनाई देता था
वेदना की साँसे
इस क़द्र थी गहरी
कि अपनी हर धड़कन
एक टीस देती सी लगती था
नासमझ मैं क्या जान पाती
कि मेरा गर्भ में होना
कोई खुशी का सबब नही
एक वेदना है एक टीस है
जो देगी उम्र भर ऐसी पीड़ा
जिसका हल शायद पिता को
एक बहुत बढे कर्जे से ,
माँ को दुनिया के तानों से
सिर्फ़ चुकाना होगा
18 comments:
सिसके वातावरण विषैला,
शान्ति कहाँ है, दिग्भ्रम फैला।
जिसका हल शायद पिता को
एक बहुत बढे कर्जे से ,
माँ को दुनिया के तानों से
सिर्फ़ चुकाना होगा,,,,
बेहतरीन,सुंदर रचना,,,,
recent post: वजूद,
जिसका हल शायद पिता को
एक बहुत बढे कर्जे से ,
माँ को दुनिया के तानों से
सिर्फ़ चुकाना होगा,,,,,
बेहतरीन,सुंदर रचना,,,,
recent post: वजूद,
गहन अभिवयक्ति......
रंजू मन भीग गया इसको पढ़ कर...
व्यथित हो गया..
सस्नेह
अनु
बहुत मर्मस्पर्शी रचना...
बहुत दर्द किन्तु कटु सत्य ...
आपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल बृहस्पतिवार 20 -12 -2012 को यहाँ भी है
....
मेरे भीतर का मर्द मार दिया जाये ... पुरुष होने का दंभ ...आज की हलचल में .... संगीता स्वरूप
. .
आपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल बृहस्पतिवार 20 -12 -2012 को यहाँ भी है
....
मेरे भीतर का मर्द मार दिया जाये ... पुरुष होने का दंभ ...आज की हलचल में .... संगीता स्वरूप
. .
अपने इस दर्द के साथ यहाँ आकर उसे न्याय दिलाने मे सहायता कीजिये या कहिये हम खुद की सहायता करेंगे यदि ऐसा करेंगे इस लिंक पर जाकर
इस अभियान मे शामिल होने के लिये सबको प्रेरित कीजिए
http://www.change.org/petitions/union-home-ministry-delhi-government-set-up-fast-track-courts-to-hear-rape-gangrape-cases#
कम से कम हम इतना तो कर ही सकते हैं
माता पिता की मजबूरी और बेटियों की टीस .... गहन अभिव्यक्ति
Hi,
I am from Virat Bharat I read This Blog. Your Poetry Is really very nice. Really Good If you Want to see our Site You can easily Visit http://viratbharatnews.blogspot.in/
Thanking You
Puneet Kardam
हर युग की एक सी कहानी
व्यथा को शब्द दिए हैं आपने ...
गहरे दर्द की अनुभूति कराती है रचना ...
मर्मस्पर्शी रचना..
मेरी बिटिया अभी अभी इस धरती पर आई है। पता नहीं संसार का सलूक उसके साथ कैसे होगा? ईश्वर उसे और बेटियों को इस गहन पीड़ा से बचाए
बेह्तरीन अभिव्यक्ति
ठीस नामक काव्य पढ़ने और समय का सत्य समझने के बाद मुझे जो लगा वह एक सामान्य से काव्य में प्रकट कर रहा हूँ युगों से पीड़ित नारी आज भी परेशान है मुक्ति व स्वतंत्रता की चाह में अपने ही पहरे में परेशानी की इन्तहा हो गयी हैं सड़को देर सवेर निकलना भारी है काव्य पढे़।जो समझ आया वह शव्दो में ढ़ाला है वैसे में कोई कवि नही हूँ केवल एक ब्लागर हूँ।
नारी ,नारी ,नारी
जंग अभी तक जारी
दिन वीते वीते महिने और वीत गये है कितने युग।
पर मिटी नही तो केवल नारी तेरी पीड़ा गीले दृग।।
तूने ही पुरुष को दिया जन्म जिसने दी तुझको पीडा़।
सबसे ज्यादा नारी तुझको दी तूने ही पीड़ा।।
नारी पर शासन नारी का नारी पर प्रशासन नारी का ।
नारी पर त्रास नारी का नारी पर नारी को दुख भी नारी का ।।
नारी पर नारी ही भारी जिसका शासन अब भी जारी।
मजा ले रहा पुरुष वन अत्याचारी।नारी पर नारी की पीड़ा भारी।।यह जंग अभी भी जारी ।।
Post a Comment