तुम्हे सुना देंगे
अपने दिल की हर बात यूँ ही
शायद कुछ दर्द
थम भी जायेगा
पर कैसे मिटा पायेंगे
इस रूह के जख्म
:
:
बस एक छोटी सी ख्वाइश है .........
दिल चाहता है कि..
तेरा कन्धा मिले तो
जी भर के रो सकूँ मैं सिर्फ़ एक बार ....
अपने दिल की हर बात यूँ ही
शायद कुछ दर्द
थम भी जायेगा
पर कैसे मिटा पायेंगे
इस रूह के जख्म
:
:
बस एक छोटी सी ख्वाइश है .........
दिल चाहता है कि..
तेरा कन्धा मिले तो
जी भर के रो सकूँ मैं सिर्फ़ एक बार ....
24 comments:
आपकी यह बेहतरीन रचना शनिवार 15/12/2012 को http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जाएगी. कृपया अवलोकन करे एवं आपके सुझावों को अंकित करें, लिंक में आपका स्वागत है . धन्यवाद!
कोमल भाव लिए
प्यारी रचना..
:-)
वाह ... बेहतरीन अभिव्यक्ति
सादर
bahut najuk si nano!
beautifull!
बहुत प्यारी कविता रंजू...
और क्या चाहे कोई भला।
तेरा कन्धा मिले तो
जी भर के रो सकूँ मैं सिर्फ़ एक बार ....bhaut hi khubsurat khwaish hai....
बहुत सुन्दर..
सादर निमंत्रण,
अपना बेहतरीन ब्लॉग हिंदी चिट्ठा संकलक में शामिल करें
क्या हैं मेरे ज़ज्बात कोई भी समझे ना
दुःख देती है हर बात कोई भी समझे ना || अंजु (अनु)
बहुत बढिया कोमल सी रचना,,, बधाई।
recent post हमको रखवालो ने लूटा
बहुत बढिया कोमल सी रचना, बधाई।
recent post हमको रखवालो ने लूटा
आपका यह पोस्ट अच्छा लगा। मेरे नए पोस्ट पर आपकी प्रतिक्रिया की आतुरता से प्रतीक्षा रहेगी। धन्यवाद।
waah...kamaal...itne kam shadon men itni komal aur nazuk baat..seedhe dil par dastak karti rachna..bahut bahut badhai..
चाहत दर्द को उतारने की ... जरूरत एक काँधे की ...
लाजवाब रचना है ...
भावो में डूब के लिखी गई कविता . अंतर्मन को छूती हुई . बहुत सुन्दर .
कोमल सी ख़्वाहिश ....
gehre bhav...dil ko chuti rachna
bahut sundar rachna .... last ki 2 lines ne to khasa prbhavit kiya. :)
you are welcome to my recent poem : नम मौसम, भीगी जमीं ..
बहुत प्यारी....भावपूर्ण पंक्तियाँ है रंजू....
सस्नेह
अनु
बहुत कोमल अभिव्यक्ति
बहुत सुन्दर..
तेरा कन्धा मिले तो
जी भर के रो सकूँ मैं सिर्फ़ एक बार
sach!
गज़ब!! क्या बात है!!
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