सुख -दुख के दो किनारों से सजी यह ज़िन्दगानी है
हर मोड़ पर मिल रही यहाँ एक नयी कहानी है
कैसी है यह बहती नदिया इस जीवन की
प्यासी है ख़ुद ही और प्यासा ही पानी है
हर पल कुछ पा लेने की आस है
टूट रहा यहाँ हर पल विश्वास है
आँखो में सजे हैं कई ख्वाब अनूठे
चाँद की ज़मीन भी अब अपनी बनानी है
कैसी यह यह प्यास जो बढ़ती ही जानी है
प्यासी है नदिया और प्यासा ही पानी है
जीवन की आपा- धापी में अपने हैं छूटे
दो पल प्यार के अब क्यों लगते हैं झूठे
हर चेहरे पर है झूठी हँसी, झूठी कहानी है
कैसी यह यह प्यास जो बढ़ती ही जानी है
प्यासी है नदिया ख़ुद प्यासा ही पानी है
हर तरफ़ बढ़ रहा है यहाँ लालच का अँधियारा
ख़ून के रिश्तो ने ख़ुद अपनो को नकारा
डरा हुआ सा बचपन और भटकी हुई सी जवानी है
कैसी है यह प्यास जो बढ़ती ही जानी है
प्यासी है नदिया ख़ुद ही प्यासा ही पानी है
रंजू भाटिया .........
हर मोड़ पर मिल रही यहाँ एक नयी कहानी है
कैसी है यह बहती नदिया इस जीवन की
प्यासी है ख़ुद ही और प्यासा ही पानी है
हर पल कुछ पा लेने की आस है
टूट रहा यहाँ हर पल विश्वास है
आँखो में सजे हैं कई ख्वाब अनूठे
चाँद की ज़मीन भी अब अपनी बनानी है
कैसी यह यह प्यास जो बढ़ती ही जानी है
प्यासी है नदिया और प्यासा ही पानी है
जीवन की आपा- धापी में अपने हैं छूटे
दो पल प्यार के अब क्यों लगते हैं झूठे
हर चेहरे पर है झूठी हँसी, झूठी कहानी है
कैसी यह यह प्यास जो बढ़ती ही जानी है
प्यासी है नदिया ख़ुद प्यासा ही पानी है
हर तरफ़ बढ़ रहा है यहाँ लालच का अँधियारा
ख़ून के रिश्तो ने ख़ुद अपनो को नकारा
डरा हुआ सा बचपन और भटकी हुई सी जवानी है
कैसी है यह प्यास जो बढ़ती ही जानी है
प्यासी है नदिया ख़ुद ही प्यासा ही पानी है
रंजू भाटिया .........
25 comments:
आपकी यह बेहतरीन रचना बुधवार 07/11/2012 को http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जाएगी. कृपया अवलोकन करे एवं आपके सुझावों को अंकित करें, लिंक में आपका स्वागत है . धन्यवाद!
जीवन की आपा- धापी में अपने हैं छूटे
दो पल प्यार के अब क्यूं लगते हैं झूठे
हर चेहरे पर है झूठी हँसी, झूठी कहानी है
कैसी यह यह प्यास जो बढ़ती ही जानी है
प्यासी है नदिया ख़ुद प्यासा ही पानी है
बहुत ही सशक्त पंक्तियां
बेहद भावपूर्ण उम्दा रचना दिल में उतर गई
सुन्दर रचना
कैसी है यह प्यास जो बढ़ती ही जानी है
प्यासी है नदिया ख़ुद ही प्यासा ही पानी है,,,
सशक्त भाव लिये सुंदर,,,,पंक्तियाँ,,,
RECENT POST : समय की पुकार है,
बहुत उम्दा!
जीवन का कड़वा यथार्थ लिख डाला रंजू....
अच्छी कविता बन पड़ी है...सोच में डाल रही है...
सस्नेह
अनु
जीवन की आपा- धापी में अपने हैं छूटे
दो पल प्यार के अब क्यों लगते हैं झूठे....behad sunder :-)
जीवन की आपा- धापी में अपने हैं छूटे
दो पल प्यार के अब क्यों लगते हैं झूठे....bahut sunder :-)
महकता हुआ फूल
प्यास नदी की सागर है..उसी की ओर भागती है।
जीवन का यथार्थ और मनुष्य की मृगतृष्णा को सही शब्द दिए आपने . सुन्दर
आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टि की चर्चा कल मंगल वार 6/11/12 को चर्चाकारा राजेश कुमारी द्वारा चर्चा मंच पर की जायेगी आपका स्वागत है ।
जीवन का कड़वा यथार्थ ...सुन्दर रचना
जीवन के सत्य को कहती गहन भाव लिए अच्छी प्रस्तुति
बहुत ही गहरे और सुन्दर भावो को रचना में सजाया है आपने.....
बहुत सुंदर रचना !
~सादर !
"जीवन की आपा- धापी में अपने हैं छूटे
दो पल प्यार के अब क्यों लगते हैं झूठे
हर चेहरे पर है झूठी हँसी, झूठी कहानी है
कैसी यह यह प्यास जो बढ़ती ही जानी है
प्यासी है नदिया ख़ुद प्यासा ही पानी है"
वर्तमान का सही चित्रण.....saadar!
bahut bahut shukriya aap sabhi dosto ke is saneh ka ..:)
हर तरफ़ बढ़ रहा है यहाँ लालच का अँधियारा
ख़ून के रिश्तो ने ख़ुद अपनो को नकारा
डरा हुआ सा बचपन और भटकी हुई सी जवानी है
कैसी है यह प्यास जो बढ़ती ही जानी है
प्यासी है नदिया ख़ुद ही प्यासा ही पानी है
आज के हालात का जीवंत चित्रण । बहुत अछ्छी पोस्ट ।
जीवन का कटु सत्य है...
kadava sach sundar panktiyon me
bahut badiya.....
कैसी है यह प्यास जो बढ़ती ही जानी है
प्यासी है नदिया ख़ुद ही प्यासा ही पानी है...
बहुत सुन्दर रंजू....
आज तो ब्लॉग देखते ही मन खुश हो गया :-)
अनु
जीवन की आपा- धापी में अपने हैं छूटे
दो पल प्यार के अब क्यों लगते हैं झूठे
हर चेहरे पर है झूठी हँसी, झूठी कहानी है
कैसी यह यह प्यास जो बढ़ती ही जानी है
प्यासी है नदिया ख़ुद प्यासा ही पानी है...................बहुत सही आंकलन ...सादर
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