Friday, November 02, 2012

जज्बात .

जज्बात (कविता-संग्रह)

रु१५0
प्रकाशक-हिंद युग्म
१,जिया सराय,
 हौज़ खास,
 नई दिल्ली-११००१६
(मोबाइल: 9873734046)
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जज्बात .....वो ख्याल जो तेरी रहगुजर से हो कर गुजरे/बस वही जज्बात है !!
जज्बात यानी हमारे भाव ..इमोशन ..जो जुड़े होते हैं दिल के भावों से और जब वह मुखरित होते हैं शब्दों में तो वह अपनी बात यूँ इस अंदाज़ से कह जाते हैं ...दूर जाने से किसने रोका है /बस ख्याल से परे रहने की इजाजत नहीं तुझे ...........बहुत रोचक लगी यह पंक्तियाँ मुझे |पहले कभी इनका लिखा पढ़ा नहीं ..नेट पर इनकी वेबसाईट में पढ़ी यह पंक्तियाँ
किताबें भी कितनी अच्छी दोस्त होती है /चाहे जितनी बार इन्हें पढ़े .इनके पन्नो पर वही लिखा रहता है /जो पहले लिखा था कभी बदलता नहीं .एक सच्चे दोस्त की तरह /एक सच्चे प्रेम की तरह /हम इंसानों की फितरत किताबों सी क्यों नहीं होती है .कोई दोस्त हमें किताबों सा क्यों नहीं मिलता ...जब यह पढ़ा तो इनके संग्रह को पढ़ डाला और निराशा नहीं हुई ..बहुत ही नए तरीके से इन्होने सरल शब्दों में यह कविताओं की सरगम बुनी है ...
      यह काव्य संग्रह है "मनु " इनका तखल्लुस है और "पूरा  नाम है पूनम चन्द्रा जो देहरादून  में जन्मी और अंगेरजी साहित्य में स्नात्कोत्तर है |अब यह कनाडा में रहती है| हिंदी रायटर्स गिल्ड ,कनाडा की सदस्य हैं और अपने ही आई टी व्यवसाय से जुडी हैं|  गुलजार अमृता प्रीतम को दिल से पसंद करने वाली मनु की खुद की जुबान में जज्बात हर लम्हा खुद से की हुई बात का जिक्र है जो कहीं न कहीं पढने वाले के दिल की राह से हो कर गुजरता है और यह वाकई सच है ..
एहसास .ख्याल जिक्र बात
सब तेरे दायरों में तो क़ैद है
कोई इनसे निजात पाए कैसे
अपने बस की बात भी तो हो !

एक कोमल दिल न जाने किन किन ख्यालों में गुम रहता है और वहां जहन बीते कल नाम की एक पुरानी किताब उठा कर सिर्फ गुजरी हुई बाते ही पढता है ,उन बातों को फिर से जीता है .खिलता है ,मुरझाता है .और इसी तरह हमारा आज कल में तब्दील होता रहता है .यह पंक्तियाँ ही जज्बात संग्रह हमसे क्या कहना चाहता है स्पष्ट कर देती हैं|
आपकी ज़िन्दगी में एक नाम जरुर होता है
जिसका ज़िक्र आते ही
सारे बीते लम्हे आपकी आँखों के सामने
झरने की तरह बहने लगते हैं ....
..और यह नाम आपके दिल की गहराई में छिपा रहता है और गहराई में डूबे उस पन्ने पर आप एक नयी कहानी नहीं लिख सकते .क्यों की वह हमेशा मुड़ा हुआ होता है ..सच है यह ज़िन्दगी का जो हर दिल में मद्दम मद्दम धडकता रहता है |
और बहता है यह एक नदी सा
जितना बह जाता है आँखों के सामने से
मुड कर पीछे देखने पर
पहले से ज्यादा
खुद तक आता दिखाई देता है ..
.....यह ज़िन्दगी के हर मोड़ से हो कर गुजरता है इसको था कहने की गलती मत करो ...इसको बहने दो .इसका कोई साहिल नहीं ये है बस बहुत है ..प्यार है यह .कभी मरता नहीं कभी नहीं ....हर बात को इतनी सहजता से मनु जी ने अपने इस संग्रह में कह दिया है की वाकई लगता है खुद से कोई बातें कर रहा है ...हर पंक्ति ख्यालों में बन कर ताप कर इस संग्रह में उतरी है ...
इस कद्र बातें होती है तुमसे ख्यालों में
ऐसा लगता है एक मुलाक़ात हो गयी
पिछले रोज़ एक ख़त लिखा था तुम्हे
जवाब नहीं मिला अब तक

हकीकत में न सही ,ख्यालों में तो जवाब दिया करो !! क्या अंदाज़ है अपनी शिकायत कहने का ...कौन होगा जो जवाब नहीं दे पायेगा ..

पूरी तरह जीना कब का भुला दिया
कुछ तुम में जिंदा हूँ
कुछ खुद में बाकी हूँ .
......और जब यह जिक्र जहन में हलचल मचाता है तो

तेरी ज़िक्र पे मेरी सोच
कितनी दूर तक चली जाती है
हर बीता लम्हा पढ़ती है
और लौट कर आती भी नहीं
मुझे बाँधने की आदत
तुझे
भूली नहीं अब तक ...
और कहाँ भूला जाता है उस हर लम्हे को जो ज़िन्दगी से जुड़ा है बंधा है ..मेरा प्यार /तेरे किसी वादे का मोहताज नहीं .तेरे जाने के बाद /तू /और भी पास होता है मेरे .........
   छोटी छोटी बातें है जो दिल से जुडी है पर बहुत  मासूमियत  से अपनी बात कह गयीं है .
कैसी राह है ये
जो तुझ तक तो जाती है
पर कभी
लौट कर
मुझ तक नहीं आती !!

           बहुत ही सरल शब्दों में कही यह बातें मनु जी ने बहुत आसानी  से बुन दी हैं लफ़्ज़ों में ..यह  मेरे पास आया सबसे मासूम संग्रह है ,जिसके हर पन्ने को बहुत ही दिलकश अंदाज में रचनाओं से सजाया गया है ..कही दो पंक्ति में अपनी बात कहीं चार पंक्ति में अपनी बात कहता अपनी बात पन्ना दर पन्ना पलटते हुए कहता जाता है
ये जुदाई ,ये बेरुखी
सिर्फ दिखावें हैं ,बहाने हैं
उसे शौक है
अपनी तारीफ में कुछ सुनने और लिखवाने का
...सही ऐसा लगा मुझे भी जज्बात संग्रह को पढ़ते हुए ...वक़्त की धार पर यह लफ्ज़ कहीं भी रास्ता भटकते नहीं है ....तेरी तलाश में जब भी खत्म करनी चाही मैंने /सारी दुनिया घूम कर .बस खुद को आईने में देख लिया .तेरा वजूद इस कद्र हावी है मुझ पर ............यह वजूद जो हावी है दिल पर वही तो यह भावनाएं अपनी कहलवा देता है और इस के लिए भी खूब कहा ..
तजुर्बे के लिए
उम्रदराज़ होना जरुरी नहीं ..
हम तराशते हैं दुनिया में ,अपनी जगह ,अपने लफ़्ज़ों से ही ..यह बाते मनु के संग्रह में सिर्फ दो दो पंक्तियों में ब्यान हुई है ..जो खुद में मुक्कमल है .विशेष  अन्दाज़ में लिखी यह रचनाएँ मनमोह लेने वालीं है |वो खूबसूरत  लफ्ज़ /जिसे दुनिया कहते हैं /खुद अपने आपसे ही तो शुरू होती है !दुनिया के अर्थ को इस तरह बखूबी ब्यान करना इन लफ़्ज़ों में बहुत बेहतरीन लगा ,जो खुद से शुरू हो खुद पर ही खत्म इस से अधिक मुक्कमल एहसास और क्या होगा ..वह एहसास जो मिट नहीं सकते हैं पत्थर पर लिखे से ..
मेरे नाम को अपने दिल से 
मिटाने का ख्याल 
आने भी मत देना जहन में 
पत्थरों पर लिखे नाम जितना मिटाओ उतने उभरते हैं ....साफ़ सरल पर गहन अर्थ लिए यह रचना बहुत ही गहरे से आपको अपना सन्देश दे जाती है ....पर हर सन्देश सही पहुँच जाये वह देखिये इन दो पंक्तियों में कैसे अपनी बात कह गया
तेरे शहर की मोहर लगा 
तेरा कोरा ख़त भी नहीं मिला कभी .........सब पते जैसे जहन में कहीं कौंध जाते हैं और न जाने दिल को क्या क्या याद दिला देती हैं यह दो पंक्तियाँ ..शिकायत का लहजा इस से अधिक खूबसूरत हो सकता है क्या ?

           इस संग्रह के प्रकथन को लिखने वाले मुकेश मिश्र जी के अनुसार भी मनु जी ने एक निराले किस्म की शैली और शिल्प को तो चुना ही -साथ में अपने समय ,काल .व्यक्ति और समाज के साझेपन को भी अभिवयक्त किया है| उनकी लिखी इन रचनाओं में शब्दों में अर्थ जुटाने की और फिर उन अर्थो को खोलने की एक विशिष्ट विशेषता है|
         इस में लिखी रचनाएँ अपने साथ बहा कर ले जाती है अपने कवर पृष्ट पर बनी लहरों सी और कहीं कहीं पटक भी देती है ठीक लहरों से टकराती उन चट्टानों से जो पढ़ते हुए पाठक के मन में हिलोरें लेती है |..मुक्तसर शब्दों में अपनी बात कहता यह संग्रह इस के आखिरी पृष्ट पर लिखी पंक्तियों को सच कर देता है | इन में बहती भावनाओं  का वेग कहीं बहुत तेज है और कहीं बहुत धीमा ..खोता हुआ सा ..जैसे कोई लहर भटक कर पीछे रह गयी हो ....पर  यह इमोशन ही तो हैं जो कभी तेज कभी होल से छु लेते हैं दिल के हर कोने को और इन रचनाओं के बीच के भटकाव को महसूस नहीं होने देते ...
हमारे दिलों को वो आवाज़
जो अक्सर सिर्फ हमें सुनाई देती है
खुद के अन्दर एक ऐसा दोस्त
जो हमसे बातें करता है
सुनता भी है ,जवाब भी देता है
खुद की आँखों में
किसी और की रौशनी की तरह .............
 

३ नवम्बर को शाम ४ बजे इस संग्रह का " हिंदी भवन" में विमोचन है ..आये और  "जज्बात" की लहर को अपने संग महसूस करें और भिगो ले अपना मन ..इन में लिखी रचनाओं से ..









5 comments:

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

पुस्तक का बेहतरीन परिचय .... आभार

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया said...

जज्बात (कविता-संग्रह) का परिचय देती सुन्दर समीक्षा के बधाई,,,,
सभी ब्लॉगर परिवार को करवाचौथ की बहुत बहुत शुभकामनाएं,,,,,

RECENT POST : समय की पुकार है,

संगीता पुरी said...

बहुत अच्‍छी जानकारी ..

ANULATA RAJ NAIR said...

बहुत सुन्दर समीक्षा रंजू....पूरा न्याय किया है पुस्तक के साथ...
बहुत बढ़िया पुस्तक मालूम होती है...

शुक्रिया

सस्नेह
अनु

Meenakshi Mishra Tiwari said...

khoobsoorat andaaz-e-bayaan Ranju ji