वेदना दिल की आंखो से बरस के रह गई
दिल की बात फ़िर लफ्जों में ही रह गई
टूटती नही न जाने क्यों रात की खामोशी
सहर की बात भी बदगुमां सी रह गई
बन के बेबसी ,हर साँस धड़कन बनी
तन्हा यह ज़िंदगी, तन्हा ही रह गई
रहते थे वह परेशां मेरे बोलने के हुनर से
खामोशी भी मेरी उन्हें चुभ के रह
सपनों की पांखर टूट गई आँख खुलते ही
हकीकत ज़िंदगी की ख्वाब बन के रह गई !!
दिल की बात फ़िर लफ्जों में ही रह गई
टूटती नही न जाने क्यों रात की खामोशी
सहर की बात भी बदगुमां सी रह गई
बन के बेबसी ,हर साँस धड़कन बनी
तन्हा यह ज़िंदगी, तन्हा ही रह गई
रहते थे वह परेशां मेरे बोलने के हुनर से
खामोशी भी मेरी उन्हें चुभ के रह
सपनों की पांखर टूट गई आँख खुलते ही
हकीकत ज़िंदगी की ख्वाब बन के रह गई !!
12 comments:
वेदना दिल की आंखो से बरस के रह गई
दिल की बात फ़िर लफ्जों में ही रह गई
वाह ... बहुत खूब।
वाह क्या बात है बहुत खूब सुन्दर रचना बधाई स्वीकारें
सपनों की पांखर टूट गई आँख खुलते ही
हकीकत ज़िंदगी की ख्वाब बन के रह गई !!
सपनों की पांखर टूट गई आँख खुलते ही
हकीकत ज़िंदगी की ख्वाब बन के रह गई !!
खूबशूरत गजल के लिये बहुत२ बधाई,,,,रंजना जी,,,
मै तो पहले से ही आपका फालोवर हूँ आपकी पोस्ट पर हमेशा आता हूँ आप भी फालो करे ,तो मुझे हादिक खुशी होगी,,,,,आभार,,,
RECENT POST:..........सागर
ख्याब ......बने ही टूटने के लिए हैं ..
वाह....
लाजवाब गज़ल...
देखा...अब ख़याल भागते नहीं...और मात्राएँ भी परफेक्ट :-)
सस्नेह
अनु
बहुत खुबसूरत रचना अभिवयक्ति.........
वाह बढ़िया है जी
भावों का कोमल अहसास कराती
अति उत्तम भावपूर्ण अभिव्यक्ति...
सुन्दर....
:-)
बहुत सुन्दर रचना।
सपनों की पांखर टूट गई आँख खुलते ही
हकीकत ज़िंदगी की ख्वाब बन के रह गई !!
bahut khubsoorat
कविता नहीं एक सजी संवरी सी आह है एक !
और आह को चाहिए एक उम्र असर होने तक
रहते थे वह परेशां मेरे बोलने के हुनर से
खामोशी भी मेरी उन्हें चुभ के रह
क्या बात है...बहुत सटीक..
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