झरते रहे बदन से लफ्ज सांसो की सरगम पर ..
रात यूँ तारों के साथ हौले से ढलती रही .......
बुनती रही सपनो की एक चाद्दर ,याद टूटी हुई
कोई शमा जैसे पिघल के पल पल जलती रही
हवा ने भी पलट लिया शायद रुख़ अपना
कोई तस्वीर बन के फिर आईने में ढलती रही
देते कब तक नसीब को दोष अपने ए दोस्त
हाथों की लकीरें थी ,बन के फिर मिटती रही
कहा तो ना था हमने अपना फ़साना ज़माने को
फिर भी तेरे मेरे नाम की एक कहानी बनती रही !!
रात यूँ तारों के साथ हौले से ढलती रही .......
बुनती रही सपनो की एक चाद्दर ,याद टूटी हुई
कोई शमा जैसे पिघल के पल पल जलती रही
हवा ने भी पलट लिया शायद रुख़ अपना
कोई तस्वीर बन के फिर आईने में ढलती रही
देते कब तक नसीब को दोष अपने ए दोस्त
हाथों की लकीरें थी ,बन के फिर मिटती रही
कहा तो ना था हमने अपना फ़साना ज़माने को
फिर भी तेरे मेरे नाम की एक कहानी बनती रही !!
18 comments:
वाह , प्यारी सी खूबसूरत ग़ज़ल . सरगम जहन की .
बुनती रही सपनो की एक चाद्दर ,याद टूटी हुई
कोई शमा जैसे पिघल के पल पल जलती रही
यादों की कसक को कहती खूबसूरत गज़ल
और इसी तरह में तेरे भीतर जीती रही, खुद के भीतर मरते हुये...
बेहतरीन रचना
khoobsoorat nazm......
सुंदर लाइने
बुनती रही सपनो की एक चाद्दर ,याद टूटी हुई
कोई शमा जैसे पिघल के पल पल जलती रही
.
.
बेहतरीन
बेहतरीन
बुनती रही सपनो की एक चाद्दर ,याद टूटी हुई
कोई शमा जैसे पिघल के पल पल जलती रही
बहुत सुंदर पंक्तियाँ ....सार गर्भी भावनाओ को लिए हुए !!!!!!!
बहुत सुंदर पंक्तियाँ ....सार गर्भी भावनाओ को लिए हुए !!!!!!!
Beautiful
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बेहतरीन भाव ...
वाह जी
बहुत खूब, तारों के साथ ढलती रात...
utam
beautiful picture and composition too....!!!
देते कब तक नसीब को दोष अपने ए दोस्त
हाथों की लकीरें थी ,बन के फिर मिटती रही
वाह ... बेहतरीन
बड़ी प्रभावी रचना। आपने अपने अहसासों को सुंदर शब्द दे दिए हैं । पढ़कर डूब गया मैं उनमें
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