हर "स्त्री "में रहती है
"एक लड़की "
जो हर पल
जिंदा रहती है
"बाबुल" के घर में
हर पल चहकती यह "गुडिया "
पिया के घर में
अपने ही रचे संसार में
कहीं खो जाती है
पर जब वह अकेले में
करती है खुद से बातें
अपनी भूली हुई यादों से
यूं ही कुछ पढ़ते पढ़ते
मिलती है ...
कुछ लिखे हुए लफ्जों से
और तब वह जाग कर
वही "चंचल नदी "सी
बन जाती है...
हंसती है ,मुस्कराती है
अपनी की कही बातों पर
अपनी ही किसी
पुरानी यादों पर
हाँ सही है यह
हर स्त्री में होती है
एक "नन्ही बच्ची"
जो बीतते वक्त के साथ भी
कभी "बड़ी "नही हो पाती है !!..
रंजू .......डायरी के पन्नो से एक पन्ना
पिया के घर में
अपने ही रचे संसार में
कहीं खो जाती है
पर जब वह अकेले में
करती है खुद से बातें
अपनी भूली हुई यादों से
यूं ही कुछ पढ़ते पढ़ते
मिलती है ...
कुछ लिखे हुए लफ्जों से
और तब वह जाग कर
वही "चंचल नदी "सी
बन जाती है...
हंसती है ,मुस्कराती है
अपनी की कही बातों पर
अपनी ही किसी
पुरानी यादों पर
हाँ सही है यह
हर स्त्री में होती है
एक "नन्ही बच्ची"
जो बीतते वक्त के साथ भी
कभी "बड़ी "नही हो पाती है !!..
रंजू .......डायरी के पन्नो से एक पन्ना
16 comments:
बेहद सुन्दर स्त्री की सच्चाई बयां करती रचना.
हर स्त्री में होती है
एक "नन्ही बच्ची"
जो बीतते वक्त के साथ भी
कभी "बड़ी "नही हो पाती है !!. बहुत सही कहा रंजु जी..बहुत सुन्दर...
बचपना तो सदा ही हृदय में धड़कता रहे ।
एक परिचय वरण बन गया,
प्यार पाणिग्रहण बन गया,
जबकि स्वीकार बंधन किया
मुक्ति का उपकरण बन गया,,,,
RECENT POST : ऐ माता तेरे बेटे हम
ये 'लड़की' यूँही जीवंत रहे!
ढ़
--
ए फीलिंग कॉल्ड.....
बहुत सुंदर रचना..
:-)
सच्ची.....वो बच्ची शायद बड़ी होना ही नहीं चाहती...कभी कभी पांव पटक कर,मचल कर जिद्द करके...अपनी बात मनवाना चाहती है....
बहुत प्यारी रचना रंजू..
सस्नेह
अनु
बहुत सुन्दर...बचपन कहाँ भुला पाते हैं बड़े होने पर भी...
बहुत सुन्दर...बचपन कहाँ भुला पाते हैं..
वाह--वाह .. क्या बात है
बहुत ही भावपूर्ण रचना जो सीधे दिल को छू गयी
बहुत बधाई एवं आभार !!
हर स्त्री के मन की बात कहती सुंदर रचना
एक "नन्ही बच्ची"
जो बीतते वक्त के साथ भी
कभी "बड़ी "नही हो पाती है !!
बिल्कुल सच
behad khoobsurat Ranju ji...
पर जब वह अकेले में
करती है खुद से बातें
अपनी भूली हुई यादों से
यूं ही कुछ पढ़ते पढ़ते
मिलती है ...
कुछ लिखे हुए लफ्जों से
और तब वह जाग कर
वही "चंचल नदी "सी
बन जाती है...
khoobsoorat bhaav ranju ji
behatreen
saadar
ek dam sach.
Behad samvedansheel kavita ...
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