भागता दौड़ता वक़्त
बहुत ही मिन्नतों से
एक पल के लिए आया था
मेरी मुट्ठी में
ठीक किसी गीले बादल सा
और छोड़ गया
अपनी नमी मेरी हथेलियों से
आँखों की उपरी पलकों में
न जाने कहाँ गया
वह छोटे से
हसीन वक़्त का
छोटा सा टुकड़ा !!!!
रंजना (रंजू ) भाटिया .
१३ अगस्त १२
बहुत ही मिन्नतों से
एक पल के लिए आया था
मेरी मुट्ठी में
ठीक किसी गीले बादल सा
और छोड़ गया
अपनी नमी मेरी हथेलियों से
आँखों की उपरी पलकों में
न जाने कहाँ गया
वह छोटे से
हसीन वक़्त का
छोटा सा टुकड़ा !!!!
रंजना (रंजू ) भाटिया .
१३ अगस्त १२
22 comments:
बहुत ही बढिया ...
यही टुकड़ा बाद में एक मीठी याद बन जाएगा...
सुन्दर ख़याल !!!!
अनु
बहुत ही शानदार और सराहनीय प्रस्तुति....
बधाई
इंडिया दर्पण पर भी पधारेँ।
beautiful...........
बहुत बढ़िया प्रस्तुति..
आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टि की चर्चा कल मंगल वार १४/८/१२ को चर्चाकारा राजेश कुमारी द्वारा चर्चामंच पर की जायेगी आपका स्वागत है|
Gaagar men saagar sa bhav.
............
कितनी बदल रही है हिन्दी !
behtreen rachna prstuti....
ऐसे ही छोटे छोटे पलों को संजों ले हम..
वाह...सुन्दर भावपूर्ण प्रस्तुति...बहुत बहुत बधाई...
बहुत बढ़िया शानदार प्रस्तुति,,,,,
स्वतंत्रता दिवस बहुत२ बधाई,एवं शुभकामनाए,,,,,
RECENT POST ...: पांच सौ के नोट में.....
वक्त तो चला जाता है, मगर यादें साथ रह जाती हैं ...
सुंदर रचना !
वक़्त का हसीं टुकड़ा ,
फिसल जाता है हाथ से पानी की बूँद सा !
beautiful expressions
Very nice post.....
Aabhar!
Mere blog pr padhare.
***HAPPY INDEPENDENCE DAY***
वक्त का टुकड़ा ...
कभी हाथों में रुक सका है वक्त ... फिसल जाता है चुपके से और पता भी नहीं चलता ...
बहुत ही शानदार और प्रस्तुति....
बधाई
वक्त का छोटा सा हसीन टुकड़ा ...
बहुत खूबसूरत कविता !
बहुत महीन भाव -कुछ कह सा गया
वाह भई रंजू जी बहुत बढ़िया
वक़्त बेरहम है,
किसी का नहीं होता...
सुन्दर भाव लिए रचना...
:-)
Post a Comment