Friday, June 22, 2012

उम्मीद...

न जाने क्यों
ठहरे हुए पानी की तरह
मेरे लफ्ज़ भी काई से
कहीं मन में
ठिठक गए हैं ,
सन्नाटे की
आहट में
न कोई एहसास
न आंसुओं की
गिरती बूंदें
इसमें कोई
लहर नहीं बनाती
पर इस जमे हुए
सन्नाटे में
तेरे होने की
सरसराहट सी
एक उम्मीद जगाती है
की कहीं से प्रेम की
अमृत धारा
फिर से इन जमे हुए
एहसासों में
कोई लहर दे जायेगी
और फिर कोई
नयी कविता
पन्नो पर बिखर जायेगी !!!

16 comments:

सदा said...

फिर कोई
नयी कविता
पन्नो पर बिखर जायेगी !!!
वाह ... बहुत बढि़या भाव

ANULATA RAJ NAIR said...

फूटेगी अमृत धरा...भिगो डालेगी ....

सुन्दर भाव...
अनु

अनामिका की सदायें ...... said...

apni si lagi yah shabd mala.

निवेदिता श्रीवास्तव said...

ठहरा हुआ पानी और लफ्जों की काई ....... नीरवता में भी गूंजते एहसास ......

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

उम्मीद ... अमृत धारा की .... ज़रूर फूटेगी ...सुंदर अभिव्यक्ति

Shanti Garg said...

बहुत बेहतरीन रचना....
मेरे ब्लॉग पर आपका हार्दिक स्वागत है।

vandana gupta said...

इसी उम्मीद पर तो दुनिया कायम है।

प्रवीण पाण्डेय said...

लहरों का उमड़ना होता रहे, कविता यूँ ही बनती रहे..

Maheshwari kaneri said...

और फिर कोई
नयी कविता
पन्नो पर बिखर जायेगी !!...वाह: बहुत सुन्दर कोमल भाव..

Vinay said...

सुन्दर कृति!

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया said...

और फिर कोई
नयी कविता
पन्नो पर बिखर जायेगी,,,,,

मन के भावों की सुंदर प्रस्तुति

MY RECENT POST:...काव्यान्जलि ...: यह स्वर्ण पंछी था कभी...
!

मुकेश कुमार सिन्हा said...

thande pani ki tarah lafz.... ek dum alag sa laga padh kar....:)
aap sab me bahut hi alag likhte ho....!!
ek dum sadharan se shabd aapke rachna me jaan de dete hain..

वन्दना अवस्थी दुबे said...

बहुत सुन्दर उम्मीद जगाती रचना.

दिगम्बर नासवा said...

खामोशी में उनके होने का एहसास रहे तो आशा बंधी रह्रती है ... भाव प्रधान रचना ...

sourabh sharma said...

इमरोज का गहरा प्रभाव इस कविता में दिख रहा है पहले तो मुझे लगा कि इमरोज की कविता आपने पोस्ट की है फिर आपका नाम देखा। एक बार अज्ञेय ने भी तो कहा था न, कि महान कवि हमारे पुरखे हैं हमें परंपरा में शब्द दे जाते हैं जिन्हें गढ़ते हैं हम फिर से, फिर फिर से

स्वाति said...

बहुत खूब....