Monday, June 11, 2012

सजे हुए से रिश्ते

अजीब है यह मन
गुलदस्ते में सजे
इन नकली फूलों को यूँ
रोज़  दुलारता है
और उस पर..
 जमी धूल को
इस गहराई से पोंछता है
कि  शायद कभी यूँ
छूने भर से  जी  उठे
:
ठीक वैसे ही जैसे
मेरे तुम्हारे बीच के
मुरझाये हुए
पर सजे हुए से रिश्ते ...........

रंजू .................

16 comments:

Maheshwari kaneri said...

बहुत सुन्दर....गहन अभिव्यक्ति..

Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून said...

ठीक वैसे ही जैसे
मेरे तुम्हारे बीच के
मुरझाये हुए
पर सजे हुए से रिश्ते ...........


सुंदर

ब्लॉ.ललित शर्मा said...

अद्भुत है, मुरझाए हुए रिश्तों को भी सजा कर रखना।

सशक्त रचना

Anju (Anu) Chaudhary said...

रिश्तों को यूँ ही संभाल के चलना होता हैं ...

प्रवीण पाण्डेय said...

रिश्ते तो मन की छुअन से अनुप्राणित हो जाते हैं।

दर्शन कौर धनोय said...

मन की अजीबो- गरीब स्थति ..कभी मृतप्राय कभी जीवित ...

ANULATA RAJ NAIR said...

रिश्तों में बनावट खोखला कर देती है उन्हें.....

सुन्दर रचना.

अनु

सुरेन्द्र "मुल्हिद" said...

khoobsurat rishte

सदा said...

वाह ...बहुत ही बढि़या।

दिगम्बर नासवा said...

ये रिश्ते जरूर जी उठेंगे अगर चिंगारी बाकी है ... कागज़ के फूल तो वैसे ही रहेंगे ... गहरी सोच है ...

Rishi said...

blog pe aake bahut acha laga...ati sundar rachna...badhai..!!

दिगम्बर नासवा said...

रिश्ते सदा के लिए कभी नहीं मुरझाते ...

मेरी पहली टिप्पणी लगता है स्पैम में चली गयी ... कमेन्ट बोक्स में जा के आप "स्पैम नहीं" कों क्लिक करें ... टिप्पणियाँ कमेन्ट में वापस आ जायंगी ...

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

ठीक वैसे ही जैसे
मेरे तुम्हारे बीच के
मुरझाये हुए
पर सजे हुए से रिश्ते ...........

यथार्थ को कहती गहन अभिव्यक्ति

Asha Joglekar said...

इन्सानी रिश्ते कागज के फूल नही सच्चे फूल हैं मुरझा सकते हैं पर नमी पाकर फिर खिल उठेंगे .

सुंदर अभिव्यक्ति ।

Pawan Kumar said...

शायद रिश्तों की यही सच्चाई है और खूबसूरती भी यही है

Alpana Verma said...

मुरझाए रिश्तों से भी सजा लेते हैं दुनिया!
बहुत खूब!