Wednesday, June 06, 2012

सवाल अनकहा

 
ऐ ज़िन्दगी ....
कभी तू .....
पढ़ लिया करती थी
मेरे उन अनकहे सफों को भी
जो आँखों के कोनो में
सिमट कर बिखर जाया करते थे
समेट लेती थी तब उन्हें
अपने इस अंदाज़ से
कि दिल के हर कोने के
अँधेरे ,उजाले में
बदल जाया करते थे
बदलते मौसम के
बिखराव की तरह
रोज़ पीले गिरते पत्ते
हरियाले और नयी कलियों की
उम्मीद में सज जाया करते थे
सोचती हूँ अब ....
तू मिले जो कहीं
तो तुझसे पूछूँ 
छोडे थे हमने जो फासले
खुशगवार लम्हों के ...
प्यार की सोगातों के ...
और मदभरी शिकायतों के ..
वो ठिठके हुए हैं
आज भी किसी
रुकी हुई झील की तरह
क्या आज भी ...??
दो किनारों पर खड़े हम
एक एक कदम बड़ा कर
कम कर सकते हैं इन एहसासों को ?
जम गए हैं जो किसी बर्फ की तरह
क्या आज भी
उन भावनाओं को ,
संवेदनाओं को ..
एक दूजे के छूने से
पिघला सकते हैं ??
रंजू .........

17 comments:

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया said...

क्या आज भी ...??
दो किनारों पर खड़े हम
एक एक कदम बड़ा कर
कम कर सकते हैं इन एहसासों को

बेहतरीन सुंदर प्रस्तुति ,,,,,

MY RESENT POST,,,,,काव्यान्जलि ...: स्वागत गीत,,,,,

Maheshwari kaneri said...

ऐ ज़िन्दगी ....
कभी तू .....पढ़ लिया करती थी
मेरे उन अनकहे सफों को भी
जो आँखों के कोनो में
सिमट कर बिखर जाया करते थे ..... बहुत सुन्दर भाव लाजवाब प्रस्तुति..

सदा said...

ऐ ज़िन्दगी ....
कभी तू .....पढ़ लिया करती थी
मेरे उन अनकहे सफों को भी
भावमय करते शब्‍दों का संगम ... बेहतरीन ।

sonal said...

poochh kar dekhte hai shaayad jawaab aaye

मुकेश कुमार सिन्हा said...

ए जिंदगी तू पहली कित्ती खुशगवार थी...:)
अब इतनी दर्द क्यूं देती है...:)

मुकेश कुमार सिन्हा said...

aapki rachnaon ka jabab nahi... har shabd bolte hain.. !

दिगम्बर नासवा said...

ऐ ज़िन्दगी ....
कभी तू .....
पढ़ लिया करती थी
मेरे उन अनकहे सफों को भी ...

जिंदगी की थाती में जाने क्या क्या दबा रहता है जो वो पढ़ भी पाती है और व्यक्त भी कर पाती है ... पर समय के बदलाव में वो एक सी नहीं रह पाती ...

प्रवीण पाण्डेय said...

काश वे दिन फिर याद आयेंगे।

विभूति" said...

खुबसूरत अल्फाजों में पिरोये जज़्बात..

rashmi ravija said...

वो ठिठके हुए हैं
आज भी किसी
रुकी हुई झील की तरह

बहुत ही संवेदनशील रचना...

Anonymous said...

bahut hi accha likha

Thanks
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Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून said...

बड़े रंग बदलती है ज़िंदगी

दर्शन कौर धनोय said...

जिंदगी से पूछती कुछ अनकही बाते ...

Alpana Verma said...

मदभरी शिकायतें!
बहुत खूब!

अनकहे सवालों के उत्तर की प्रतीक्षा में लिखी कविता
भावपूर्ण अभिव्यक्ति है.

Asha Joglekar said...

रिश्तों में जमी बरफ स्नेह की गरमी से ही पिघलेगी ।

परमजीत सिहँ बाली said...

बहुत ही संवेदनशील रचना...भावपूर्ण अभिव्यक्ति ।

निवेदिता श्रीवास्तव said...

क्या आज भी
उन भावनाओं को ,
संवेदनाओं को ..
एक दूजे के छूने से
पिघला सकते हैं ??
......बेहतरीन अंदाज़ !!!