जीवन की रेल पेल में
हर संघर्ष को झेलते
हर सुख दुःख को सहते
कभी मैंने चाही नही इनसे मुक्ति
पर कभी बैठे बैठे यूं ही अचानक
जब भी याद आई तुम्हारी
तब यह मन आज भी
भीगने सा लगता है
चटकने लगते हैं तन मन में
जैसे मोंगारे के फूल
और जैसे सर्दी से कांपते बदन में
तेरी याद का साया
गुनगुनी धूप सी भर देता है
छेड़ता नहीं है कोई सरगम को
फ़िर भी एक संगीत दिल में
गूंजने लगता है ..
उतर जाते हैं कई आवरण
उन यादो से .
जिन्हें दिल आज भी संजोये हुए हैं
नही पड़ने देता दिल
इन पर वक्त का साया
क्यों कि यही कुछ याद के पल
इस तपते जीवन को
एक ठंडी छाया देते हैं
जीवन के कड़वे यथार्थ को
कुछ तो समृद्ध बना देते हैं !!
हर संघर्ष को झेलते
हर सुख दुःख को सहते
कभी मैंने चाही नही इनसे मुक्ति
पर कभी बैठे बैठे यूं ही अचानक
जब भी याद आई तुम्हारी
तब यह मन आज भी
भीगने सा लगता है
चटकने लगते हैं तन मन में
जैसे मोंगारे के फूल
और जैसे सर्दी से कांपते बदन में
तेरी याद का साया
गुनगुनी धूप सी भर देता है
छेड़ता नहीं है कोई सरगम को
फ़िर भी एक संगीत दिल में
गूंजने लगता है ..
उतर जाते हैं कई आवरण
उन यादो से .
जिन्हें दिल आज भी संजोये हुए हैं
नही पड़ने देता दिल
इन पर वक्त का साया
क्यों कि यही कुछ याद के पल
इस तपते जीवन को
एक ठंडी छाया देते हैं
जीवन के कड़वे यथार्थ को
कुछ तो समृद्ध बना देते हैं !!
12 comments:
यादें संबल होती हैं जीवन की.
सुन्दर कविता.
स्मृतियाँ हृदय को ठंड देती हैं..
क्यों कि यही कुछ याद के पल
इस तपते जीवन को
एक ठंडी छाया देते हैं
....यादें न हों तो जीना बहुत मुश्किल है..
यादे ही है जिनके साथ साथ हम जीते है.... अच्छी रचना.....
बहुत ही खुबसूरत
और कोमल भावो की अभिवयक्ति....
यादें तो आसरा होती है जीने के लिए...
छाँव देती है सफर की धूप में...
बहुत सुन्दर रचना...
☺☺
भाव और शब्द की समृद्धता! वाह!
सुंदर भाव - आभार
bahut hee sundar bhaav...!
यादों से तो मुक्ति वैसे भी नहीं मिलती ...उनको संबल बना लो तो जीवन आसान हो जाता है ...
sundar kavita
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