Wednesday, February 01, 2012

मरीचिका

बसंती  ब्यार सा
खिले  पुष्प सा
उस अनदेखे साए ने
भरा दिल को
प्रीत की गहराई से,

खाली सा मेरा मन
गुम हुआ हर पल उस में
और  झूठे भ्रम को
सच समझता रहा ,

मृगतृष्णा बना यह  जीवन
  भटकता रहा न जाने किन राहों पर
ह्रदय में लिए झरना अपार स्नेह का
 यूं ही निर्झर  बहता रहा,

प्यास बुझ न सकी दिल की
  न जाने किस थाह को
पाने की विकलता में
गहराई  में उतरता रहा,

प्यासा मनवा खिचता रहा
उस और ही
जिस ओर पुकारती रही
मरीचिका ...
पानी के छदम वेश में
किया भरोसा जिस भ्रम पर
वही जीवन को छलती रही
फ़िर भी
पागल मनवा
लिए खाली पात्र अपना
प्रेम के उस अखंड सच को
सदियों तक  तलाशता रहा !!!ढूंढ़ता रहा ........
{चित्र गूगल के सोजन्य से }

21 comments:

Nirantar said...

प्रेम के उस अखंड सच को
सदियों तक तलाशता रहा !!!ढूंढ़ता रहा ........
aur nirantar bhram mein jeetaa rahaa
badhiyaa rachnaa,straight from heart

सदा said...

बहुत ही बढि़या।

vidya said...

खाली सा मेरा मन
गुम हुआ हर पल उस में
और झूठे भ्रम को
सच समझता रहा ,..

ये जीवन ही मरीचिका है शायद..
बहुत सुन्दर.

Maheshwari kaneri said...

प्रेम के उस अखंड सच को
सदियों तक तलाशता रहा !!!ढूंढ़ता रहा ........बहुत बढि़या प्रस्तुति..

विभूति" said...

बहुत ही खुबसूरत
और कोमल भावो की अभिवयक्ति...

वाणी गीत said...

मरीचिकाएँ ऐसी ही होती हैं , पागल मन को ही सोचने की जरुरत है !

दिगम्बर नासवा said...

Prem ki talaash hi to jeevan hai ... Fir vo asal ho ya marichika ... Gahrai liye hain panktiyan ...

Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून said...

वाह बहुत सुंदर.

vandana gupta said...

फ़िर भी
पागल मनवा
लिए खाली पात्र अपना
प्रेम के उस अखंड सच को
सदियों तक तलाशता रहा !!!ढूंढ़ता रहा ........

प्रेम की मरीचिकाओं ने कब खोज को पूर्णता दी है।

Kailash Sharma said...

मृगतृष्णा बना यह जीवन
भटकता रहा न जाने किन राहों पर
ह्रदय में लिए झरना अपार स्नेह का
यूं ही निर्झर बहता रहा,

....बहुत सटीक चिंतन...सारा जीवन भटकाव में ही बीतता है, बिना सोचे कि जिसे ढूँढ रहा है वह उसके पास ही है...बहुत सुंदर अभिव्यक्ति..

प्रवीण पाण्डेय said...

सुख-आकार बना मृगतृष्णा..

लोकेन्द्र सिंह said...

बहुत सुन्दर...

Udan Tashtari said...

बेहतरीन!!

India Darpan said...

बेहतरीन भाव पूर्ण सार्थक रचना.....
खबरनामा की ओर से आभार

कबीर कुटी - कमलेश कुमार दीवान said...

kavita ek silsils hai ,banaye rakhe

कबीर कुटी - कमलेश कुमार दीवान said...

kavita ek silsils hai ,banaye rakhe

Ayodhya Prasad said...

सराहनीय..बहुत ही अच्छा |

अंजना said...

बहुत सुन्दर ...

सु-मन (Suman Kapoor) said...

मन बावरा ...मरीचिका में भटकता

Anonymous said...

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