बसंती ब्यार सा
खिले पुष्प सा
उस अनदेखे साए ने
भरा दिल को
प्रीत की गहराई से,
खाली सा मेरा मन
गुम हुआ हर पल उस में
और झूठे भ्रम को
सच समझता रहा ,
मृगतृष्णा बना यह जीवन
भटकता रहा न जाने किन राहों पर
ह्रदय में लिए झरना अपार स्नेह का
यूं ही निर्झर बहता रहा,
प्यास बुझ न सकी दिल की
न जाने किस थाह को
पाने की विकलता में
गहराई में उतरता रहा,
प्यासा मनवा खिचता रहा
उस और ही
जिस ओर पुकारती रही
मरीचिका ...
पानी के छदम वेश में
किया भरोसा जिस भ्रम पर
वही जीवन को छलती रही
फ़िर भी
पागल मनवा
लिए खाली पात्र अपना
प्रेम के उस अखंड सच को
खिले पुष्प सा
उस अनदेखे साए ने
भरा दिल को
प्रीत की गहराई से,
खाली सा मेरा मन
गुम हुआ हर पल उस में
और झूठे भ्रम को
सच समझता रहा ,
मृगतृष्णा बना यह जीवन
भटकता रहा न जाने किन राहों पर
ह्रदय में लिए झरना अपार स्नेह का
यूं ही निर्झर बहता रहा,
प्यास बुझ न सकी दिल की
न जाने किस थाह को
पाने की विकलता में
गहराई में उतरता रहा,
प्यासा मनवा खिचता रहा
उस और ही
जिस ओर पुकारती रही
मरीचिका ...
पानी के छदम वेश में
किया भरोसा जिस भ्रम पर
वही जीवन को छलती रही
फ़िर भी
पागल मनवा
लिए खाली पात्र अपना
प्रेम के उस अखंड सच को
सदियों तक तलाशता रहा !!!ढूंढ़ता रहा ........
{चित्र गूगल के सोजन्य से }
21 comments:
प्रेम के उस अखंड सच को
सदियों तक तलाशता रहा !!!ढूंढ़ता रहा ........
aur nirantar bhram mein jeetaa rahaa
badhiyaa rachnaa,straight from heart
बहुत ही बढि़या।
खाली सा मेरा मन
गुम हुआ हर पल उस में
और झूठे भ्रम को
सच समझता रहा ,..
ये जीवन ही मरीचिका है शायद..
बहुत सुन्दर.
प्रेम के उस अखंड सच को
सदियों तक तलाशता रहा !!!ढूंढ़ता रहा ........बहुत बढि़या प्रस्तुति..
बहुत ही खुबसूरत
और कोमल भावो की अभिवयक्ति...
मरीचिकाएँ ऐसी ही होती हैं , पागल मन को ही सोचने की जरुरत है !
Prem ki talaash hi to jeevan hai ... Fir vo asal ho ya marichika ... Gahrai liye hain panktiyan ...
वाह बहुत सुंदर.
फ़िर भी
पागल मनवा
लिए खाली पात्र अपना
प्रेम के उस अखंड सच को
सदियों तक तलाशता रहा !!!ढूंढ़ता रहा ........
प्रेम की मरीचिकाओं ने कब खोज को पूर्णता दी है।
मृगतृष्णा बना यह जीवन
भटकता रहा न जाने किन राहों पर
ह्रदय में लिए झरना अपार स्नेह का
यूं ही निर्झर बहता रहा,
....बहुत सटीक चिंतन...सारा जीवन भटकाव में ही बीतता है, बिना सोचे कि जिसे ढूँढ रहा है वह उसके पास ही है...बहुत सुंदर अभिव्यक्ति..
सुख-आकार बना मृगतृष्णा..
बहुत सुन्दर...
बेहतरीन!!
बेहतरीन भाव पूर्ण सार्थक रचना.....
खबरनामा की ओर से आभार
kavita ek silsils hai ,banaye rakhe
kavita ek silsils hai ,banaye rakhe
सराहनीय..बहुत ही अच्छा |
बहुत सुन्दर ...
मन बावरा ...मरीचिका में भटकता
ma'm i really liked ur poems and wanna to write like u but i m new in this art and i need ur help and support to improving me, plz comment on my blog.. thank you ma'm!
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