Monday, January 16, 2012

बात दिल की फ़िर होंठों तक आ कर रह गई

बदली दर्द की बरस कर पलकों पर रह गई
बात दिल की फ़िर होंठों तक आ कर रह गई
 
टूटी न खामोशी आज भी पहली रातों की तरह
ख्वाव उजले लिये यह रात भी काली रह गई
 
बेबसी धडकी बेचैन तमन्ना बन कर  दिल में
तन्हा सांसे फ़िर से तन्हाई में घुल कर रह गई
 
खुल के  इजहार करू न  आया वह बहारों का मौसम
आज खामोशी मेरी मुझे खिंजा सी चुभ कर रह गई

26 comments:

सदा said...

वाह ...बहुत खूब ..

vandana gupta said...

बहुत सुन्दर्।

प्रवीण पाण्डेय said...

बहुत सुन्दर..

shikha varshney said...

सुन्दर पंक्तियाँ .

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

खूबसूरत रचना ..

रंजना said...

वाह...भावपूर्ण...

बहुत ही सुन्दर...

दिगम्बर नासवा said...

Bahut lajawab .... Sadgi ke dil ki baat kah di ...

Shanti Garg said...

बहुत बेहतरीन और प्रशंसनीय.......
मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है।

डॉ.मीनाक्षी स्वामी Meenakshi Swami said...

"टूटी न खामोशी आज भी पहली रातों की तरह
ख्वाव उजले लिये यह रात भी काली रह गई"
बहुत खूब...!
सुंदर भावाभिव्क्ति।

कुमार संतोष said...

Waah...!!
Shaandaar prastuti.

Aabhaar...!!

rashmi ravija said...

टूटी न खामोशी आज भी पहली रातों की तरह
ख्वाव उजले लिये यह रात भी काली रह गई

क्या बात है...सुन्दर पंक्तियाँ

सुरेन्द्र "मुल्हिद" said...

amazing lines....

vidya said...

बहुत सुन्दर रंजना जी..

Maheshwari kaneri said...

बहुत खूब ..सुन्दर पंक्तियाँ ...

सदा said...

कल 18/01/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्‍वागत है, जिन्‍दगी की बातें ... !

धन्यवाद!

Anju (Anu) Chaudhary said...

वाह बहुत खूब

kavita verma said...

bahad khoobsurat...

Randhir Singh Suman said...

nice

अनामिका की सदायें ...... said...

man k ehsaso ko sunder shabdo se sajaya hai.

निवेदिता श्रीवास्तव said...

बहुत सुन्दर भाव .......

मेरा मन पंछी सा said...

खुल के इजहार करू न आया वह बहारों का मौसम
आज खामोशी मेरी मुझे खिंजा सी चुभ कर रह गई
behtarin rachana hai...

Yashwant R. B. Mathur said...

बहुत ही बढ़िया।


सादर

Nirantar said...

बात दिल की फ़िर होंठों तक आ कर रह गई
dil kee baat dil mein hee rah gayee
vahee kahaanee phir dohraayee gayee
khoobsoorat rachnaa

dinesh gautam said...

बहुत सुंदर रचना...

dinesh gautam said...

बहुत सुंदर रचना...

Pawan Kumar said...

रंजू जी
अरसे बाद आपके ब्लॉग पर आया मगर वाही पुराना मार्मिक प्रभावी लेखन......
क्या खूब शेर कहा है.......

टूटी न खामोशी आज भी पहली रातों की तरह
ख्वाव उजले लिये यह रात भी काली रह गई
और यह भी मुक़र्रर है......
बेबसी धडकी बेचैन तमन्ना बन कर दिल में
तन्हा सांसे फ़िर से तन्हाई में घुल कर रह गई