बदली दर्द की बरस कर पलकों पर रह गई बात दिल की फ़िर होंठों तक आ कर रह गई
टूटी न खामोशी आज भी पहली रातों की तरह ख्वाव उजले लिये यह रात भी काली रह गई बेबसी धडकी बेचैन तमन्ना बन कर दिल में तन्हा सांसे फ़िर से तन्हाई में घुल कर रह गई खुल के इजहार करू न आया वह बहारों का मौसम आज खामोशी मेरी मुझे खिंजा सी चुभ कर रह गई
26 comments:
वाह ...बहुत खूब ..
बहुत सुन्दर्।
बहुत सुन्दर..
सुन्दर पंक्तियाँ .
खूबसूरत रचना ..
वाह...भावपूर्ण...
बहुत ही सुन्दर...
Bahut lajawab .... Sadgi ke dil ki baat kah di ...
बहुत बेहतरीन और प्रशंसनीय.......
मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है।
"टूटी न खामोशी आज भी पहली रातों की तरह
ख्वाव उजले लिये यह रात भी काली रह गई"
बहुत खूब...!
सुंदर भावाभिव्क्ति।
Waah...!!
Shaandaar prastuti.
Aabhaar...!!
टूटी न खामोशी आज भी पहली रातों की तरह
ख्वाव उजले लिये यह रात भी काली रह गई
क्या बात है...सुन्दर पंक्तियाँ
amazing lines....
बहुत सुन्दर रंजना जी..
बहुत खूब ..सुन्दर पंक्तियाँ ...
कल 18/01/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है, जिन्दगी की बातें ... !
धन्यवाद!
वाह बहुत खूब
bahad khoobsurat...
nice
man k ehsaso ko sunder shabdo se sajaya hai.
बहुत सुन्दर भाव .......
खुल के इजहार करू न आया वह बहारों का मौसम
आज खामोशी मेरी मुझे खिंजा सी चुभ कर रह गई
behtarin rachana hai...
बहुत ही बढ़िया।
सादर
बात दिल की फ़िर होंठों तक आ कर रह गई
dil kee baat dil mein hee rah gayee
vahee kahaanee phir dohraayee gayee
khoobsoorat rachnaa
बहुत सुंदर रचना...
बहुत सुंदर रचना...
रंजू जी
अरसे बाद आपके ब्लॉग पर आया मगर वाही पुराना मार्मिक प्रभावी लेखन......
क्या खूब शेर कहा है.......
टूटी न खामोशी आज भी पहली रातों की तरह
ख्वाव उजले लिये यह रात भी काली रह गई
और यह भी मुक़र्रर है......
बेबसी धडकी बेचैन तमन्ना बन कर दिल में
तन्हा सांसे फ़िर से तन्हाई में घुल कर रह गई
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