Friday, December 09, 2011

मरने से पहले चलो फ़िर से जी जाएं

बदल गया वक्त क्यों इस तरह कैसे बताये
फूले भी चुभे शूल से किस्सा कैसे यह बतलाये

फासले तो थे न इतने जितनी बन गयीं दूरियाँ
क्यों खींच गई दीवारे  कैसे दिल को समझाए

बागों में तो आने को था बसंत का मौसम
क्यों छा गई खिजाएँ कैसे राग कोई गाए

वक्त की कलाई है सख्त पत्थर जैसी
कांच के ख्वाबों  को वहाँ कैसे बसाए

करे जज्बा वही पैदा फ़िर से मोहब्बत का
इस तरह मरने से पहले चलो फ़िर से जी जाएं !!

16 comments:

सदा said...

करे जज्बा वही पैदा फ़िर से मोहब्बत का
इस तरह मरने से चलो फ़िर से जी जाएं !!

वाह ...बहुत खूब कहा है आपने ...।

shikha varshney said...

करे जज्बा वही पैदा फ़िर से मोहब्बत का
इस तरह मरने से चलो फ़िर से जी जाएं !!
बहुत खूबसूरत बात कही है.

कुमार संतोष said...

Khoobsurat kavita sunder bhaw.

Aabhaar. . . !

vandana gupta said...

बहुत सुन्दर्।

विभूति" said...

भावमय करते शब्‍दों का संगम....

रेखा श्रीवास्तव said...

bahut sundar shabdon men bhavon ko utara hai.

अनामिका की सदायें ...... said...

har mausam ek sa nahi rahta...ye bhi badal jayega.

khoobsurat abhivyakti.

प्रवीण पाण्डेय said...

जी लेने की राह निकालें, हर पल हर दिन।

स्वाति said...

bahut sundar....mere blog pe apka swaagat hai....

Maheshwari kaneri said...

फासले तो थे न इतने जितनी बन गयीं दूरियाँ
क्यों खींच गई दीवारे कैसे दिल को समझाए
बहुत सुन्दर भाव..

Deepak Shukla said...

Hi...

Marne se har haal main jeena...
Behtar hi hota hai....
Jeevan ka jo marm saamajhta,
jeevan na khota hai...

Sundar bhav....

Deepak Shukla..

Parmarth Suman said...

मोहब्‍बत के भी बडे अजीब होते हैं फसाने
शिकवे गिले लोग खुद से ही है सुनाते
अब भी वक्‍त बेवक्‍त उनकी की ही बात करते हो
जिनके दिए जख्‍म हमें पल-पल हैं रुलाते

Anju (Anu) Chaudhary said...

bahut khub

Arvind Mishra said...

वक्त की कलाई है सख्त पत्थर जैसी
कांच के ख्वाबों को वहाँ कैसे बसाए ?
ये सफ़र कितना तवील है यहाँ वक्त कितना कलील है
वो लौट कर कहाँ आएगा जो गुज़र गया वो गुज़र गया
उसे याद कर न दिल दुखा जो गुजर गया वो गुज़र गया
(बशीर बद्र )

Prabodh Kumar Govil said...

marne ke mausam aate hain, na jane wo kaise hote. jo unmen phool khila lete,'jeene ke' , tum jaise hote.

कबीर कुटी - कमलेश कुमार दीवान said...

achchi gajal hai