Monday, November 21, 2011

एक घूंट में ....

सिर्फ इस लिए पी ली
मैंने सारी उम्र की कडवाहट
एक घूंट में ....
क्यों कि
तेरी आँखों की नमी में
अपने दर्द के अक्स की झलक
और तेरे प्यार की ...
एक नूर की बूंद
मेरे हाथ में थमे .
इन साँसों के प्याले में
मिल गयी थी ............

21 comments:

सदा said...

वाह ...बहुत खूब कहा है आपने ।

दिगम्बर नासवा said...

बहुत खूब ... उम्र भर का बंधन एक घूँट में पी लिया और जी लिया ..

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

बहुत खूब ... सुन्दर भाव

Rajput said...

एक लम्बे अरसे बात फिर आपसे मुखातिब हूँ रंजना जी | बहुत पहले आपको shyeri की किसी साईट पे पढ़ा था .
पुर जिन्दगी का फलसफा कुछ शब्दों में बंधने का हुनर आपके पास बहुत पहले से है | सुन्दर रचना

सु-मन (Suman Kapoor) said...

bahut hi sundar...

प्रवीण पाण्डेय said...

कितनी आशाओं में जीती हमारी प्रतीक्षा..

shikha varshney said...

वाह क्या बात कही है. बहुत खूब.

कुमार संतोष said...

बेहद सुंदर रचना ..

Pallavi saxena said...

वाह बहुत खूब.... बेहद सुंदर और गहरे विचारों से सुसजित भावमयी रचना.... समय मिले कभी तो आयेगा मेरी पोस्ट पर आपका स्वागत है

Deepak Saini said...

वाह ....... कम शब्दों में क्या खूब कहा आपने
शुभकामनाये

रंजना said...

वाह ...

सुरेन्द्र "मुल्हिद" said...

kya baat hai....sundar

दिलीप said...

waah...bahut khoob...

S.M.HABIB (Sanjay Mishra 'Habib') said...

वाह! बहुत खूब....
सुन्दर प्रस्तुति...
सादर...

मन के - मनके said...

भावपूर्ण प्रस्तुति.

अनामिका की सदायें ...... said...

bahut sunder samarpan bhaav hai.

Gyan Darpan said...

अति सुन्दर
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Arvind Mishra said...

आह /वाह

Atul said...

आप लिखती बहुत अच्छा है.मै हमेशा आप का ब्लॉग देखता हूँ !

Mamta Bajpai said...

शब्दों का अच्छा समायोजन ..बहत खूब
आभार

Kailash meena said...

बहुत ही सुंदर रचना,
तेरी आँखों की नमी में
अपने दर्द के अक्स की झलक
और तेरे प्यार की ...
एक नूर की बूंद
मेरे हाथ में थमे .
इन साँसों के प्याले में
मिल गयी थी ............