Sunday, June 26, 2011

इन्तजार



रिमझिम बरसी
बारिश की बूंदे
खिले चाहत के फूल
और नयी खिलती
कोपलों सी पातें
और न जाने
कितनी स्वप्निल शामें
मौसमों के
बदलते रुख में
अपने रंग बदल गयीं
और अब तो ……
उम्र के पडाव की
आखिरी गाँठ भी
धीरे धीरे
खुलने लगी है
पर …..
तुम्हारे आने का
इन्तजार अभी भी
न जाने क्यों
बाकी है …………….
इंतज़ार क्यूँ न हो …………….
सच तो यही है न
जीवन के हर पल में
बारिश की रिमझिम में ,
चहचहाते परिंदों के सुर में ,
सर्दी की गुनगुनी धूप में ,
हवाओं की मीठी गंध में
तुम ही तुम हो ….
दिल में बसी आकृति में
फूलों की सुगन्ध में ….
दीपक की टिम -टिम करती लौ में
मेरे इस फैले सपनो के आकाश में
बस तुम ही तुम हो …..
पर…..
नहीं दिखा पाती हूँ
तुम्हें वह रूप मैं तुम्हारा
जैसे संगम पर दिखती नहीं
सरस्वती की बहती धारा॥
सच तो यह है ….
ज़िंदगी की उलझनों में
मेरे दिल की हर तह में
बन के मंद बयार से
तुम यूं धीरे धीरे बहते हो
मिलते ही नजर से नजर
शब्दों के यह मौन स्वर
तुम ही तो हो जो ……
मेरी कविता में कहते हो !!

31 comments:

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

शब्दों के यह मौन स्वर
तुम ही तो हो जो ……
मेरी कविता में कहते हो !

बहुत खूबसूरत भाव ... बारिश की फुहार जैसी रचना

suman'meet' said...

aisa lga ranju ji jaise mere mann ke jajbaton ko aapne shabd de diye.....

http://www.sumanmeet.blogspot.com

अनामिका की सदायें ...... said...

bahut sunder prem pagi rachna....jisme prateeko, bimbo aur umpaamo ka achha prayog hai.

Arvind Mishra said...

बहुत मधुर अनुभूति ..

vandana gupta said...

पता नही ये इंतज़ार कब पूरा होगा।

Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून said...

वाह. सामयिक भी

udaya veer singh said...

नहीं दिखा पाती हूँ
तुम्हें वह रूप मैं तुम्हारा
जैसे संगम पर दिखती नहीं
सरस्वती की बहती धारा॥.......
माधुर्य लिए सहज संतुलित सृजन प्रशंसनीय है , शुक्रिया जी /

सुरेन्द्र सिंह " झंझट " said...

कोमल भावों की सुन्दर रचना..........

अभिव्यक्ति .......रसमयी , प्रवाहमयी

Alpana Verma said...

जैसे संगम पर दिखती नहीं
सरस्वती की बहती धारा॥

अद्भुत ख्याल!
**अंतहीन इंतज़ार खलता है मगर आशा के सहारे पलता भी रहता है..

सुरेन्द्र "मुल्हिद" said...

बहुत ही खूबसूरत गज़ल!

Unknown said...

शब्दों के बहुत ही मधुर संगम ! मधुर भाव ! बहुत खूबसूरत रचना !!!

सदा said...

शब्दों के यह मौन स्वर
तुम ही तो हो जो ……
मेरी कविता में कहते हो !

वाह ...बहुत खूब कहा है ..चांद के पार पर भी इसे पढ़ा था बहुत-बहुत बधाई ।

डॉ. मनोज मिश्र said...

@@तुम ही तो हो जो ……
मेरी कविता में कहते हो !!..
बहुत सुंदर रचना,आभार.

Sadhana Vaid said...

ज़िंदगी की उलझनों में
मेरे दिल की हर तह में
बन के मंद बयार से
तुम यूं धीरे धीरे बहते हो
मिलते ही नजर से नजर
शब्दों के यह मौन स्वर
तुम ही तो हो जो ……
मेरी कविता में कहते हो !!

बहुत बहुत बहुत सुन्दर ! कितनी निष्ठा, कितनी सच्चाई, कितना समर्पण इस रचना के हर शब्द में है ! मन को गहराई तक उद्वेलित कर गयी यह रचना ! बधाई स्वीकार करें !

प्रवीण पाण्डेय said...

शब्द, प्रेम और अभिव्यक्ति का सुन्दर संयोजन।

अजय कुमार said...

सुखद एहसासों की सुंदर प्रस्तुति

वाणी गीत said...

शब्दों का यह मौन स्वर तुम्हारा ही है , तुम ही जो कविता में कहते हो तो इन्तजार लाजिमी ही है !
मधुर कविता !

Anupama Tripathi said...

बन के मंद बयार से
तुम यूं धीरे धीरे बहते हो
मिलते ही नजर से नजर
शब्दों के यह मौन स्वर
तुम ही तो हो जो ……
मेरी कविता में कहते हो !!
komal bhav piroti sunder rachna ...!!

Maheshwari kaneri said...

जैसे संगम पर दिखती नहीं
सरस्वती की बहती धारा॥...
बहुत सुन्दर एवं मर्मस्पर्शी रचना !
हार्दिक शुभकामनायें !

Maheshwari kaneri said...

बहुत खूबसूरत भाव ... बारिश की फुहार जैसी शीतल बौछार जैसी रचना...

चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’ said...

बहुत सुन्दर रचना

रविकर said...

वाह वाह वाह वाह ||

खूबसूरत भाव |

दिगम्बर नासवा said...

कविता के शब्द ... शब्दों के मौन स्वर ...
ताज़ा हवा के झोंके सी नज़्म है ...

Udan Tashtari said...

सुन्दर भाव!!!!

Unknown said...

प्राकृतिक प्रतीकों का सुन्दर संयोजन ..मन को स्पर्श करती बहुत ही सुन्दर रचना..
शुभकामनाएं !!

M VERMA said...

शब्दों के यह मौन स्वर
तुम ही तो हो जो ……
मेरी कविता में कहते हो !

यकीनन इंतजार के स्वर कविता की पृष्ठभूमि बन जाते हैं

Maheshwari kaneri said...

मधुर भावनाओ के साथ! बहुत खूबसूरत रचना !!!

डॅा. व्योम said...

सुन्दर अभिव्यक्ति

Dr. Zakir Ali Rajnish said...

मौन प्रेम की सुंदर अभिव्‍यक्ति।

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तांत्रिक शल्‍य चिकित्‍सा!
…ये ब्‍लॉगिंग की ताकत है...।

Asha Joglekar said...

कब आोगे कब आओगे कब आोगे प्राण पिया ।
बारिश का मौसम ही कुछ ऐसा होता है .

Anju (Anu) Chaudhary said...

आपकी कविता को पढना ...मेरे लिए एक सुखद एहसास की भांति रहा ........आभार