रिमझिम बरसी
बारिश की बूंदे
खिले चाहत के फूल
और नयी खिलती
कोपलों सी पातें
और न जाने
कितनी स्वप्निल शामें
मौसमों के
बदलते रुख में
अपने रंग बदल गयीं
और अब तो ……
उम्र के पडाव की
आखिरी गाँठ भी
धीरे धीरे
खुलने लगी है
पर …..
तुम्हारे आने का
इन्तजार अभी भी
न जाने क्यों
बाकी है …………….
इंतज़ार क्यूँ न हो …………….
सच तो यही है न
जीवन के हर पल में
बारिश की रिमझिम में ,
चहचहाते परिंदों के सुर में ,
सर्दी की गुनगुनी धूप में ,
हवाओं की मीठी गंध में
तुम ही तुम हो ….
दिल में बसी आकृति में
फूलों की सुगन्ध में ….
दीपक की टिम -टिम करती लौ में
मेरे इस फैले सपनो के आकाश में
बस तुम ही तुम हो …..
पर…..
नहीं दिखा पाती हूँ
तुम्हें वह रूप मैं तुम्हारा
जैसे संगम पर दिखती नहीं
सरस्वती की बहती धारा॥
सच तो यह है ….
ज़िंदगी की उलझनों में
मेरे दिल की हर तह में
बन के मंद बयार से
तुम यूं धीरे धीरे बहते हो
मिलते ही नजर से नजर
शब्दों के यह मौन स्वर
तुम ही तो हो जो ……
मेरी कविता में कहते हो !!
31 comments:
शब्दों के यह मौन स्वर
तुम ही तो हो जो ……
मेरी कविता में कहते हो !
बहुत खूबसूरत भाव ... बारिश की फुहार जैसी रचना
aisa lga ranju ji jaise mere mann ke jajbaton ko aapne shabd de diye.....
http://www.sumanmeet.blogspot.com
bahut sunder prem pagi rachna....jisme prateeko, bimbo aur umpaamo ka achha prayog hai.
बहुत मधुर अनुभूति ..
पता नही ये इंतज़ार कब पूरा होगा।
वाह. सामयिक भी
नहीं दिखा पाती हूँ
तुम्हें वह रूप मैं तुम्हारा
जैसे संगम पर दिखती नहीं
सरस्वती की बहती धारा॥.......
माधुर्य लिए सहज संतुलित सृजन प्रशंसनीय है , शुक्रिया जी /
कोमल भावों की सुन्दर रचना..........
अभिव्यक्ति .......रसमयी , प्रवाहमयी
जैसे संगम पर दिखती नहीं
सरस्वती की बहती धारा॥
अद्भुत ख्याल!
**अंतहीन इंतज़ार खलता है मगर आशा के सहारे पलता भी रहता है..
बहुत ही खूबसूरत गज़ल!
शब्दों के बहुत ही मधुर संगम ! मधुर भाव ! बहुत खूबसूरत रचना !!!
शब्दों के यह मौन स्वर
तुम ही तो हो जो ……
मेरी कविता में कहते हो !
वाह ...बहुत खूब कहा है ..चांद के पार पर भी इसे पढ़ा था बहुत-बहुत बधाई ।
@@तुम ही तो हो जो ……
मेरी कविता में कहते हो !!..
बहुत सुंदर रचना,आभार.
ज़िंदगी की उलझनों में
मेरे दिल की हर तह में
बन के मंद बयार से
तुम यूं धीरे धीरे बहते हो
मिलते ही नजर से नजर
शब्दों के यह मौन स्वर
तुम ही तो हो जो ……
मेरी कविता में कहते हो !!
बहुत बहुत बहुत सुन्दर ! कितनी निष्ठा, कितनी सच्चाई, कितना समर्पण इस रचना के हर शब्द में है ! मन को गहराई तक उद्वेलित कर गयी यह रचना ! बधाई स्वीकार करें !
शब्द, प्रेम और अभिव्यक्ति का सुन्दर संयोजन।
सुखद एहसासों की सुंदर प्रस्तुति
शब्दों का यह मौन स्वर तुम्हारा ही है , तुम ही जो कविता में कहते हो तो इन्तजार लाजिमी ही है !
मधुर कविता !
बन के मंद बयार से
तुम यूं धीरे धीरे बहते हो
मिलते ही नजर से नजर
शब्दों के यह मौन स्वर
तुम ही तो हो जो ……
मेरी कविता में कहते हो !!
komal bhav piroti sunder rachna ...!!
जैसे संगम पर दिखती नहीं
सरस्वती की बहती धारा॥...
बहुत सुन्दर एवं मर्मस्पर्शी रचना !
हार्दिक शुभकामनायें !
बहुत खूबसूरत भाव ... बारिश की फुहार जैसी शीतल बौछार जैसी रचना...
बहुत सुन्दर रचना
वाह वाह वाह वाह ||
खूबसूरत भाव |
कविता के शब्द ... शब्दों के मौन स्वर ...
ताज़ा हवा के झोंके सी नज़्म है ...
सुन्दर भाव!!!!
प्राकृतिक प्रतीकों का सुन्दर संयोजन ..मन को स्पर्श करती बहुत ही सुन्दर रचना..
शुभकामनाएं !!
शब्दों के यह मौन स्वर
तुम ही तो हो जो ……
मेरी कविता में कहते हो !
यकीनन इंतजार के स्वर कविता की पृष्ठभूमि बन जाते हैं
मधुर भावनाओ के साथ! बहुत खूबसूरत रचना !!!
सुन्दर अभिव्यक्ति
मौन प्रेम की सुंदर अभिव्यक्ति।
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तांत्रिक शल्य चिकित्सा!
…ये ब्लॉगिंग की ताकत है...।
कब आोगे कब आओगे कब आोगे प्राण पिया ।
बारिश का मौसम ही कुछ ऐसा होता है .
आपकी कविता को पढना ...मेरे लिए एक सुखद एहसास की भांति रहा ........आभार
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