न जाने क्यों
ठहरे हुए पानी की तरह
मेरे लफ्ज़ भी काई से
कहीं मन में
ठिठक गए हैं ,
सन्नाटे की
आहट में
न कोई एहसास
न आंसुओं की
गिरती बूंदें
इसमें कोई
लहर नहीं बनाती
पर इस जमे हुए
सन्नाटे में
तेरे होने की
सरसराहट सी
एक उम्मीद जगाती है
की कहीं से प्रेम की
अमृत धारा
फिर से इन जमे हुए
एहसासों में
कोई लहर दे जायेगी
और फिर कोई
नयी कविता
पन्नो पर बिखर जायेगी !!!
ठहरे हुए पानी की तरह
मेरे लफ्ज़ भी काई से
कहीं मन में
ठिठक गए हैं ,
सन्नाटे की
आहट में
न कोई एहसास
न आंसुओं की
गिरती बूंदें
इसमें कोई
लहर नहीं बनाती
पर इस जमे हुए
सन्नाटे में
तेरे होने की
सरसराहट सी
एक उम्मीद जगाती है
की कहीं से प्रेम की
अमृत धारा
फिर से इन जमे हुए
एहसासों में
कोई लहर दे जायेगी
और फिर कोई
नयी कविता
पन्नो पर बिखर जायेगी !!!
13 comments:
सुन्दर रचना!
लहरें तो मन के सागर में उठती ही रहती हैं!
जो भा जाए
वही कविता बन कर पन्नों पर आ जाती है!
बहुत भावपूर्ण रचना.
bahut khoob jee
apaki har kavita main khas bat hoti hain
http://iamhereonlyforu.blogspot.com/
mere blog par bhi apana aashirvad banaye rakhiyega
फिर कोई
नयी कविता
पन्नो पर बिखर जायेगी !!!
बहुत खूब ।।
एक उम्मीद जगाती है
की कहीं से प्रेम की '
'एक उम्मीद जगाती है
कि कहीं से प्रेम की '
ठीक???
प्रेम सचमुच 'अमृतधारा है रंजना जी और एहसासों में लहर दे जाता है.प्रेमपगे,प्रेम से सरोबार ह्रदय में ही नही जीवन में कविताओ की रचना कर उसे कवितामय,संगीतमय बना देता है. काई क्यूँ कर जम गई ???? आश्चर्य ! 'ये' मन तो ठहरे हुए जल सा न था, इसमें तो प्रेम की अनवरत धारा हमेशा से प्रवाहित रही है.
जानती हो ....मैं आश्चर्यचकित भी हूँ और......दुखी भी. निसंदेह फिर पन्नों पर उकेरी जायेगी अनगिनत कविताये. सागर नही सूखते कभी. रिमझिम बरसात आती है और भर देती है उसे. बस शांत और धैर्य मन से बरसात के आने की प्रतीक्षा भर करनी होती है वापस.बस और बरसात को आना ही होता है.प्यार.
नयी कविता
पन्नो पर बिखर जायेगी
सृजन का एक नया कारण, बहुत सुन्दर बधाई
पर इस जमे हुए
सन्नाटे में
तेरे होने की
सरसराहट सी
एक उम्मीद जगाती है
बहुत सुन्दर ...इंतज़ार है उस सरसराहट का ..वैसे कविता तो बन ही गयी ...
'उम्मीद/एक आस'...यही तो है जीवन-दीप का तेल..
बहुत सुन्दर भाव अभिव्यक्ति .
bahut sundar.....
फिर से इन जमे हुए
एहसासों में
कोई लहर दे जायेगी
और फिर कोई
नयी कविता
पन्नो पर बिखर जायेगी !!!
bahut sundar..
nice
तेरे होने की
सरसराहट सी
एक उम्मीद जगाती है
की कहीं से प्रेम की
अमृत धारा
फिर से इन जमे हुए
एहसासों में
कोई लहर दे जायेगी
और फिर कोई
नयी कविता
पन्नो पर बिखर जायेगी !!!
bahot khoob Ranjana ji.
बहुत सुन्दर भाव अभिव्यक्ति
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