Monday, October 11, 2010

अटके हुए पल

अटक जाता है मन
किसी ठहरे हुए
लम्हे पर
वह लम्हा
जो तेरे संग
कभी बचपने को चूमता
और कभी तेरी बातो सा
संजीदा हो जाया करता था
न जाने कब
अटके हुए यह पल
तेरी तरह
अब न आने की
कसम खायेंगे !!!

34 comments:

सदा said...

वह लम्हा
जो तेरे संग
कभी बचपने को चूमता
और कभी तेरी बातो सा
संजीदा हो जाया करता था ।


बहुत ही सुन्‍दर एवं भावमय प्रस्‍तुति ।

Manoj K said...

यह छोटी कवितायेँ बहुत अच्छी लगती हैं. मैं नहीं जानता के इनको क्या कहा जाता है, टेक्निकली थोड़ा वीक हूँ.

यह कुछ लाइनें ऐसे ही याद रह जाती है.
आभार
मनोज खत्री

जयकृष्ण राय तुषार said...

bahut sundar post badhai

समयचक्र said...

बहुत ही भावपूर्ण रचना .... आभार

अशोक लालवानी said...

pal hi to hai to thahar jata hai par waqt nahi thaha hai.. bahut dino baad aapki rachna padi aur hame bhi kuch likhne ki koshish ki hai...

yeh hamara blog hai:

http://ashoklalwani.blogspot.com/

ab koshish karenge rog aane ki aur padenge aapki rachanae... bas aap likhte rhiye...

M VERMA said...

बेहतरीन भाव
बहुत सुन्दर

मनोज कुमार said...

संवेदनशील मन की निश्‍छल अभिव्‍यक्ति!

shikha varshney said...

भावपूर्ण सुन्दर रचना.

rashmi ravija said...

न जाने कब
अटके हुए यह पल
तेरी तरह
अब न आने की
कसम खायेंगे !!!

कभी कभी उस पल को भी तरसना पड़ता है...जो अच्छी यादें लेकर आए...
बहुत ही ख़ूबसूरत अभिव्यक्ति

सुरेन्द्र "मुल्हिद" said...

अब न आने की
कसम खायेंगे !!!

wah wah wah.....khoobsurat!

रश्मि प्रभा... said...

kaise khayenge kasamen, inko to her khamoshi me aana hai

डॉ. मोनिका शर्मा said...

वह लम्हा
जो तेरे संग
कभी बचपने को चूमता
और कभी तेरी बातो सा
संजीदा हो जाया करता था.....

कमाल की पंक्तियाँ हैं.... बेहतरीन...

वन्दना अवस्थी दुबे said...

न जाने कब
अटके हुए यह पल
तेरी तरह
अब न आने की
कसम खायेंगे !!
बहुत सुन्दर, लेकिन इतनी ग़मगीन?

Alpana Verma said...

कुछ मौसम वापस कभी नहीं आते..बस वैसे ही कुछ यादें वापस हकीकत नहीं बन पाती..भावपूर्ण कविता .

DR.ASHOK KUMAR said...

मनमोहक पंक्तियाँ......संवेदनशील मन के क्या कहने। बहुत-बहुत आभार! -: VISIT MY BLOG :- मेरे ब्लोग पर पढ़ियेँ इस बार..... जाने किस बात की सजा देती हो.........गजल।

Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून said...

रंजू जी सुंदर कविता है ये.

seema gupta said...

न जाने कब
अटके हुए यह पल
तेरी तरह
अब न आने की
कसम खायेंगे !!!
" ना पल रुकते हैं और ना भीगी सी यादे.....सुन्दर पंक्तियाँ "
regards

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

अटके हुए यह पल
तेरी तरह
अब न आने की
कसम खायेंगे !!!

सुन्दर भावाभिव्यक्ति ...

स्वाति said...

कमाल की पंक्तियाँ हैं...
सच कहा आपने ..वाकई ज़िन्दगी बहुत से ऐसे पलो में अटकी हुई होती है ...

vandana gupta said...

गुज़रा हुआ ज़माना आता नही दोबारा……………बस यही कह सकती हूँ उन पलो को सिर्फ़ यादो मे ही जिया जा सकता है।

Arvind Mishra said...

अटके हुए पल तो अनुभूति की शाश्वतता का बोध कराते हैं -जो एक जीवन के लिए तो काफी हैं -क्यों ?

जयकृष्ण राय तुषार said...

very nice bhatiyaji

दिगम्बर नासवा said...

ये यादें ... बीते लम्हे तो उम्र भर तडपाएँगे ... दुआ करो ये मन को सुकून दे जाएँ ....
बहुत लाजवाब लिखा है ...

Akshitaa (Pakhi) said...

वाह, कित्ती प्यारी कविता है...अच्छी लगी. कभी 'पाखी की दुनिया' की भी सैर पर आयें .

निर्मला कपिला said...

वह लम्हा
जो तेरे संग
कभी बचपने को चूमता
और कभी तेरी बातो सा
संजीदा हो जाया करता था
कुछ यादें मन की संवेदनाओं मे ऐसे ही बसी रहती ह।ाच्छी लगी कविता। शुभकामनायें।

पूनम श्रीवास्तव said...

bahut hi bhav purn prastuti .dil ko chhoo gai .
न जाने कब
अटके हुए यह पल
तेरी तरह
अब न आने की
कसम खायेंगे .
poonam

Priyanka Soni said...

अहा ! कितना सुन्दर !
मन ठिठक गया कुछ देर के लिए पढ़ने बाद.

sandhyagupta said...

दशहरा की ढेर सारी शुभकामनाएँ!!

Mumukshh Ki Rachanain said...

व्यथित मन की वास्तविक व्यथा............
कसम के अर्थ जिसे पता, वो कसमें नहीं तोड़ते, इसलिए उम्मीद नहीं........

सुन्दर भावमयी प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई.......


चन्द्र मोहन गुप्त

रंजना said...

भावपूर्ण भावोद्गार !!!!

Anonymous said...

shandar lekhan....

Dr. Zakir Ali Rajnish said...

Sachmuch laajawaab kar diya ranju ji aapne.
..............
यौन शोषण : सिर्फ पुरूष दोषी?
क्या मल्लिका शेरावत की 'हिस्स' पर रोक लगनी चाहिए?

प्रवीण पराशर said...

kya baat hai mam... badiya

प्रवीण पराशर said...

kya baat hai mam... badiya