Thursday, February 25, 2010

तेरे छूने से



तेरे छुने से बरसो बाद मेरा मौन टूटा है
एक पर्दा सा था तन मन पर मेरे
तेरे छुने से वो भ्रम जाल टूटा है
आज बरसो बाद दिल में प्यार फूटा है !!

हिमनदी सी जमी हुई थी मैं
तेरे छुने से एक गर्माहट हुई
सोई हुई तितलियों के पंख में
फिर से कोई अकूलाहट हुई
दिल में फिर से मस्त बयार का झरना फूटा है
तेरे छुने से बरसो बाद मेरा मौन टूटा है

मेरे ही स्वर कही गुम थे मेरे भीतर छिपे हुए
तेरे आने से हर राग जैसे दिल को छूता है
छा गया है एक खुमार सा चारो तरफ़
हाँ बरसो बाद मेरा मौन से साथ छूटा है

तेरे छुने से मेरा हर भर्म जाल टूटा है
आज बरसो बाद दिल मे प्यार फूटा है !!

35 comments:

अनिल कान्त said...

बेहद खूबसूरत और एहसासों भरी रचना !

दिगम्बर नासवा said...

बहुत गहरे प्रेम भरे एहसास हैं इस रचना में ... किसी एक स्पर्श से क्या क्या हो सकता है .... बहुत खूब ...
सुंदर रचना है ...

सुरेन्द्र "मुल्हिद" said...

dilon mein pyaar phoot ta he rahey hamesha...

yehee kaamna hai....

:-)

वन्दना अवस्थी दुबे said...

तेरे छुने से वो भ्रम जाल टूटा है
आज बरसो बाद दिल में प्यार फूटा है
बेहद खूबसूरत.

संजय भास्‍कर said...

बहुत सुन्दर रचना । आभार

रश्मि प्रभा... said...

pyaar ka komal ehsaas

neelima garg said...

kya kahen...bahut sundar...

किरण राजपुरोहित नितिला said...

कोमल एहसास
कोमल भाव
कोमल ही शब्द
बहुत सुन्दर रचना ।

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

सुन्दर रचना!

Kusum Thakur said...

बहुत ही खूबसूरत रचना !!

निर्मला कपिला said...

तेरे छुने से मेरा हर भर्म जाल टूटा है
आज बरसो बाद दिल मे प्यार फूटा है !!
बहुत खूब चलो मौन टूटा तो अब तो और भी खूबसूरत रचनायें आपसे सुनने को मिलेंगी। अच्छी लगी आपकी रचना बधाई

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

प्रेम रस में भीगे भीगे कोमल से एहसास....सुन्दर रचना ..

सुशील छौक्कर said...

प्रेम के भाव से भरी एक सुन्दर रचना। वैसे रंजू जी ये फोटो पर कैसे लिखा जाता है जरा हमें भी बता दो जी।

अनामिका की सदायें ...... said...

kitna tez hai uske chhune me..
jo barso ka maun toot gaya
jam gayi thi jo him nadi si vo
uska paani kaise kal-kal karta chhoot gaya....

bahut acchhi rachna.badhayi.

vandana gupta said...

bahut hi komal ahsaas...........sundar rachna.

Alpana Verma said...

प्रेम रस में डूबी कोमल अनुभूतियों को कविता में पिरोया है..बहुत सुंदर प्रस्तुति!

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) said...

तेरे छुने से बरसो बाद मेरा मौन टूटा है
एक पर्दा सा था तन मन पर मेरे
तेरे छुने से वो भ्रम जाल टूटा है
आज बरसो बाद दिल में प्यार फूटा है !!

बहुत सुंदर पंक्तियों के साथ.... बहुत सुंदर कविता....

सुंदर अभिव्यक्ति....

Arvind Mishra said...

बहुत सुन्दर फागुनी अनुभूति की कविता
भर्म-भ्रम

Udan Tashtari said...

क्या बात है..अहसासों की भीनी खुशबू:

तेरे छुने से बरसो बाद मेरा मौन टूटा है
एक पर्दा सा था तन मन पर मेरे
तेरे छुने से वो भ्रम जाल टूटा है
आज बरसो बाद दिल में प्यार फूटा है !!

राज भाटिय़ा said...

अति सुंदर ओर सुंदर भाव लिये है आप की यह रचना.
धन्यवाद

डॉ. मनोज मिश्र said...

सोई हुई तितलियों के पंख में
फिर से कोई अकूलाहट हुई
दिल में फिर से मस्त बयार का झरना फूटा है
तेरे छुने से बरसो बाद मेरा मौन टूटा है..
वाह,लाजवाब लाइनें.

Reetika said...

behad nazuk tareeke se buni hui bas us ek pal mein saari umra jee lene ki tamanna samete rachna!

Dr. Zakir Ali Rajnish said...

मन के कोने में कहीं अंतस को छू गये ये भाव।

होली की हार्दिक शुभकामनाएँ।।
--------
कुछ खाने-खिलाने की भी तो बात हो जाए।
किसे मिला है 'संवाद' समूह का 'हास्य-व्यंग्य सम्मान?

Mihir jha said...

ye rachna to chhhoo gayi jaise....mast likhti ho aap..

Akshitaa (Pakhi) said...

Bahut sundar.

*********************
रंग-बिरंगी होली की बधाई.

Pankaj Upadhyay (पंकज उपाध्याय) said...

पत्थर मुझे कहता है मेरा चाहने वाला,
मै मोम हू उसने कभी छूकर नही देखा...

बशीर बद्र की ये लाईन्स याद आ गयी बस..

ऐसा तभी होता है जब कोई ’आत्मा’ को छू जाता है...
प्यार के रन्ग मे सराबोर रचना...

Satish Saxena said...

होली की शुभकामनायें कबूल करें !

Anonymous said...

दिल के तारों को झनझनाती, महसूस की जाने वाली - अति सुंदर रचना

ज्योति सिंह said...

मेरे ही स्वर कही गुम थे मेरे भीतर छिपे हुए
तेरे आने से हर राग जैसे दिल को छूता है
छा गया है एक खुमार सा चारो तरफ़
हाँ बरसो बाद मेरा मौन से साथ छूटा है
bahut laazwaab ,is sundar rachna ke saath holi ki dhero shubhkaamnaye .

के सी said...

हिमनदी सी जमी हुई थी मैं

प्रवाह का संबोधन मगर एक सदी जितना ठहराव.
बेहद खूबसूरत.

शरद कोकास said...

सौम्य सौम्य सा अहसास ।

अंजना said...

प्रेम भरे एहसासो मे डूबी ये प्यारी रचना बहुत प्रिय लगी ।

सु-मन (Suman Kapoor) said...

रंजना जी
क्या कहूं निशब्द हूँ आप का लेखन अपने आप में पूर्ण है बस आपकी अनुसरणकर्ता बन गई हूँ सुमन ‘मीत’

संजय भास्‍कर said...

बहुत खूब चलो मौन टूटा तो अब तो और भी खूबसूरत रचनायें आपसे सुनने को मिलेंगी। अच्छी लगी आपकी रचना बधाई

rashmi ravija said...

मेरे ही स्वर कही गुम थे मेरे भीतर छिपे हुए
तेरे आने से हर राग जैसे दिल को छूता है छा गया है एक खुमार सा चारो तरफ़हाँ
बरसो बाद मेरा मौन से साथ छूटा है
वाह..बहुत खूब...प्रेम रस से सराबोर...कोमल अहसास वाली बहुत ही नायाब कविता..