तेरे छुने से बरसो बाद मेरा मौन टूटा है
एक पर्दा सा था तन मन पर मेरे
तेरे छुने से वो भ्रम जाल टूटा है
आज बरसो बाद दिल में प्यार फूटा है !!
हिमनदी सी जमी हुई थी मैं
तेरे छुने से एक गर्माहट हुई
सोई हुई तितलियों के पंख में
फिर से कोई अकूलाहट हुई
दिल में फिर से मस्त बयार का झरना फूटा है
तेरे छुने से बरसो बाद मेरा मौन टूटा है
मेरे ही स्वर कही गुम थे मेरे भीतर छिपे हुए
तेरे आने से हर राग जैसे दिल को छूता है
छा गया है एक खुमार सा चारो तरफ़
हाँ बरसो बाद मेरा मौन से साथ छूटा है
तेरे छुने से मेरा हर भर्म जाल टूटा है
आज बरसो बाद दिल मे प्यार फूटा है !!
35 comments:
बेहद खूबसूरत और एहसासों भरी रचना !
बहुत गहरे प्रेम भरे एहसास हैं इस रचना में ... किसी एक स्पर्श से क्या क्या हो सकता है .... बहुत खूब ...
सुंदर रचना है ...
dilon mein pyaar phoot ta he rahey hamesha...
yehee kaamna hai....
:-)
तेरे छुने से वो भ्रम जाल टूटा है
आज बरसो बाद दिल में प्यार फूटा है
बेहद खूबसूरत.
बहुत सुन्दर रचना । आभार
pyaar ka komal ehsaas
kya kahen...bahut sundar...
कोमल एहसास
कोमल भाव
कोमल ही शब्द
बहुत सुन्दर रचना ।
सुन्दर रचना!
बहुत ही खूबसूरत रचना !!
तेरे छुने से मेरा हर भर्म जाल टूटा है
आज बरसो बाद दिल मे प्यार फूटा है !!
बहुत खूब चलो मौन टूटा तो अब तो और भी खूबसूरत रचनायें आपसे सुनने को मिलेंगी। अच्छी लगी आपकी रचना बधाई
प्रेम रस में भीगे भीगे कोमल से एहसास....सुन्दर रचना ..
प्रेम के भाव से भरी एक सुन्दर रचना। वैसे रंजू जी ये फोटो पर कैसे लिखा जाता है जरा हमें भी बता दो जी।
kitna tez hai uske chhune me..
jo barso ka maun toot gaya
jam gayi thi jo him nadi si vo
uska paani kaise kal-kal karta chhoot gaya....
bahut acchhi rachna.badhayi.
bahut hi komal ahsaas...........sundar rachna.
प्रेम रस में डूबी कोमल अनुभूतियों को कविता में पिरोया है..बहुत सुंदर प्रस्तुति!
तेरे छुने से बरसो बाद मेरा मौन टूटा है
एक पर्दा सा था तन मन पर मेरे
तेरे छुने से वो भ्रम जाल टूटा है
आज बरसो बाद दिल में प्यार फूटा है !!
बहुत सुंदर पंक्तियों के साथ.... बहुत सुंदर कविता....
सुंदर अभिव्यक्ति....
बहुत सुन्दर फागुनी अनुभूति की कविता
भर्म-भ्रम
क्या बात है..अहसासों की भीनी खुशबू:
तेरे छुने से बरसो बाद मेरा मौन टूटा है
एक पर्दा सा था तन मन पर मेरे
तेरे छुने से वो भ्रम जाल टूटा है
आज बरसो बाद दिल में प्यार फूटा है !!
अति सुंदर ओर सुंदर भाव लिये है आप की यह रचना.
धन्यवाद
सोई हुई तितलियों के पंख में
फिर से कोई अकूलाहट हुई
दिल में फिर से मस्त बयार का झरना फूटा है
तेरे छुने से बरसो बाद मेरा मौन टूटा है..
वाह,लाजवाब लाइनें.
behad nazuk tareeke se buni hui bas us ek pal mein saari umra jee lene ki tamanna samete rachna!
मन के कोने में कहीं अंतस को छू गये ये भाव।
होली की हार्दिक शुभकामनाएँ।।
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कुछ खाने-खिलाने की भी तो बात हो जाए।
किसे मिला है 'संवाद' समूह का 'हास्य-व्यंग्य सम्मान?
ye rachna to chhhoo gayi jaise....mast likhti ho aap..
Bahut sundar.
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रंग-बिरंगी होली की बधाई.
पत्थर मुझे कहता है मेरा चाहने वाला,
मै मोम हू उसने कभी छूकर नही देखा...
बशीर बद्र की ये लाईन्स याद आ गयी बस..
ऐसा तभी होता है जब कोई ’आत्मा’ को छू जाता है...
प्यार के रन्ग मे सराबोर रचना...
होली की शुभकामनायें कबूल करें !
दिल के तारों को झनझनाती, महसूस की जाने वाली - अति सुंदर रचना
मेरे ही स्वर कही गुम थे मेरे भीतर छिपे हुए
तेरे आने से हर राग जैसे दिल को छूता है
छा गया है एक खुमार सा चारो तरफ़
हाँ बरसो बाद मेरा मौन से साथ छूटा है
bahut laazwaab ,is sundar rachna ke saath holi ki dhero shubhkaamnaye .
हिमनदी सी जमी हुई थी मैं
प्रवाह का संबोधन मगर एक सदी जितना ठहराव.
बेहद खूबसूरत.
सौम्य सौम्य सा अहसास ।
प्रेम भरे एहसासो मे डूबी ये प्यारी रचना बहुत प्रिय लगी ।
रंजना जी
क्या कहूं निशब्द हूँ आप का लेखन अपने आप में पूर्ण है बस आपकी अनुसरणकर्ता बन गई हूँ सुमन ‘मीत’
बहुत खूब चलो मौन टूटा तो अब तो और भी खूबसूरत रचनायें आपसे सुनने को मिलेंगी। अच्छी लगी आपकी रचना बधाई
मेरे ही स्वर कही गुम थे मेरे भीतर छिपे हुए
तेरे आने से हर राग जैसे दिल को छूता है छा गया है एक खुमार सा चारो तरफ़हाँ
बरसो बाद मेरा मौन से साथ छूटा है
वाह..बहुत खूब...प्रेम रस से सराबोर...कोमल अहसास वाली बहुत ही नायाब कविता..
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